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Vat Savitri Puja 2023 Date: वट सावित्री पूजा कब है ? जानें सही तारीख शुभ मुहूर्त पूजा विधि और इस दिन का महत्व

Vat savitri puja 2023 kab hai: ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत रखा जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंंगार करके, मेहंदी लगा के, नये कपड़े पहन कर अपने पति की लंबी उम्र के लिए बरगद वृक्ष की पूजा करती हैं.

Vat savitri puja 2023 kab hai Date: वट सावित्री पूजा विवाहित हिंदू महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण व्रत है. इस वर्ष वट सावित्री व्रत 19 मई, शुक्रवार (Vat Savitri Puja 2023 Date) को है. ज्येष्ठ मास की अमावस्या (Jyestha month Amavasya 2023 Date) को वट सावित्री का व्रत रखा जाता है. सनातन धर्म में इस व्रत का महत्व कई गुना अधिक बताया गया है. इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके अपने पति की लंबी उम्र के लिए बरगद वृक्ष की पूजा करती हैं. जानें साल 2023 की वट सावित्री व्रत कब है? पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, पूजा सामग्री समेत पूरी डिटेल जानें.

वट सावित्री पूजा 2023 तिथि, शुभ मुहूर्त  (Vat Savitri Vrat 2023 Date and Time)

वट सावित्री अमावस्या शुक्रवार, 19 मई 2023 को

अमावस्या तिथि प्रारंभ – मई 18, 2023 को 09:42 अपराह्न

अमावस्या तिथि समाप्त – 19 मई 2023 को रात्रि 09:22 बजे

वट सावित्री व्रत पारण, शनिवार, 20 मई 2023

तिथि के मुताबिक : प्रातः 05:21 बजे से पूरे दिन

गुली काल मुहूर्त : सुबह 06:44 बजे से 08:25 बजे तक

अमृत काल मुहूर्त : सुबह 08:25 बजे से 10:06 बजे तक

अभिजित मुहूर्त : दोपहर 11:19 बजे से 12:13 बजे तक

शुभ योग मुहूर्त : दोपहर 11:46 बजे से 01:27 बजे तक

वट सावित्री पूजा सामाग्री (Vat Savitri Vrat Puja samagri)

  • लाल कलावा या मौली या सूत

  • बांस का पंखा

  • बरगद के पत्ते

  • लाल वस्त्र पूजा में बिछाने के लिए, कुमकुम या रोली

  • धूप-दीप, पुष्प

  • फल

  • जल भरा हुआ कलश

  • सुहाग का सामान

  • चना, (भोग के लिए)

  • मूंगफली के दाने

वट सावित्री व्रत पूजा विधि (Vat Savitri Vrat Puja Vidhi)

  • वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठ जायें.

  • स्नान के बाद महिलाएं नए कपड़े, चूड़ियां पहनें और माथे पर सिंदूर लगाएं.

  • ‘वट’ या बरगद के पेड़ की जड़ को जल अर्पित करें. गुड़, चना, फल, अक्षत और फूल अर्पित करें.

  • वट सावित्री व्रत कथा पढ़ें या सुनें.

  • महिलाएं वट वृक्ष के चारों ओर पीले या लाल रंग का धागा बांधकर ‘वट’ के पेड़ की परिक्रमा करें.

  • परिक्रमा करते समय सौभाग्य और पति के लंबी आयु की कामना करें.

  • वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं घर में बड़ों और विवाहित महिलाओं से आशीर्वाद लें.

  • वट सावित्री व्रत पर दान करना भी बहुत फलदायी होता है. इस दिन लोग गरीबों और जरूरतमंदों को सामर्थ्य के अनुसार धन, भोजन और कपड़े दान करते हैं.

वट सावित्री पूजा का महत्व (Vat Savitri Puja Significance)

वट सावित्री व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति और बच्चों की भलाई और लंबी उम्र के लिए करती हैं. हिंदू किंवदंतियों के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन, देवी सावित्री ने मृत्यु के देवता भगवान यमराज को अपने पति सत्यवान के जीवन को वापस करने के लिए मजबूर किया था. भगवान यमराज उनकी भक्ति से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने उनके मृत पति को वापस दे दिया. तब से, विवाहित महिलाएं ‘वट’ (बरगद) के पेड़ की पूजा करती हैं और इस दिन सावित्री की ‘देवी सावित्री’ के रूप में भी पूजा की जाती है.

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