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इस दिन क्यों की जाती है वट वृक्ष की पूजा
इस व्रत को लेकर शास्त्रों में कई धार्मिक मान्यताएं प्रचलित हैं.उसमें से एक के अनुसार वट वृक्ष के नीचे ही अपने कठोर तप से पतिव्रता सावित्री ने अपने पति सत्यवान को दोबारा जीवित किया था.जबकि एक अन्य मान्यता की मानें तो भगवान शिव के वरदान से ऋषि मार्कण्डेय को वट वृक्ष में भगवान विष्णु के बाल मुकुंद अवतार के दर्शन हुए थे.उसी दिन से वट वृक्ष की पूजा किये जाने का विधान है. इस वर्ष वट सावित्री व्रत के दिन कुछ शुभ योग का निर्माण हो रहा है.इसलिए इस वर्ष इस व्रत का महत्व और अधिक बढ़ गया है.
वट सावित्री व्रत पूजा शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि का प्रारंभ 18 मई को सुबह 9 बजकर 43 मिनट पर होगा और 19 मई को रात 9 बजकर 22 मिनट तक रहेगी. 19 मई को पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 21 मिनट से लेकर पूरे दिन रहेगा.
वट सावित्री के दिन गलत कार्य या किसी के साथ छल आदि की योजना न बनाएं
वट सावित्री के दिन कोई भी गलत कार्य या किसी के साथ छल आदि की योजना न बनाएं. क्योंकि, व्रत रखने से मन, वचन, और कर्म की शुद्धता के लिए रखा जाता है. मन में किसी का बुरा सोचने से भी व्यक्ति को इसका फल नहीं मिल पाता है.
वट सावित्री के दिन गलत कार्य या किसी के साथ छल आदि की योजना न बनाएं
वट सावित्री के दिन कोई भी गलत कार्य या किसी के साथ छल आदि की योजना न बनाएं. क्योंकि, व्रत रखने से मन, वचन, और कर्म की शुद्धता के लिए रखा जाता है. मन में किसी का बुरा सोचने से भी व्यक्ति को इसका फल नहीं मिल पाता है.
वट सावित्री के दिन क्या न करें
वट सावित्री के दिन अपने जीवनसाथी के साथ किसी बात को लेकर वाद विवाद या झगड़ा न करें. दोनों एक दूसरे के साथ अच्छा व्यवहार करें.
वट सावित्री व्रत पूजा शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि का प्रारंभ 18 मई को सुबह 9 बजकर 43 मिनट पर होगा और 19 मई को रात 9 बजकर 22 मिनट तक रहेगी. 19 मई को पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 21 मिनट से लेकर पूरे दिन रहेगा.
ये है मान्याता
मान्यता है कि लिस्ट अमावस्या के दिन ही सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण बचाए थे तभी से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए हर वर्ष जेष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री पूजा रखती हैं. इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। उसकी परिक्रमा करती हैं और वृक्ष के चारों ओर मंगल धागा यानी कि कलावा बांधती हैं.
Vat Savitri Purnima: महिलाएं अपने पति के दीर्घायु और लंबी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत रखती हैं
पौराणिक कथा के अनुसार महान सावित्री ने मृत्यु के स्वामी भगवान यम से आशीर्वाद प्राप्त किया और उन्हें अपने पति सत्यवान के जीवन को वापस करने के लिए मजबूर किया. इसलिए विवाहित महिलाएं अपने पति के दीर्घायु और लंबी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत रखती हैं.
कैसे करें वट सावित्री की पूजा
इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, उसकी परिक्रमा करती हैं और पेड़ के चारों ओर कलावा बांधती हैं. वे रात भर कड़ा उपवास रखते हैं और अगले दिन पूर्णिमा समाप्त होने पर इसे तोड़ते हैं. वे बरगद के पेड़ को जल, चावल और फूल चढ़ाते हैं, सिंदूर छिड़कते हैं, पेड़ के तने को सूती धागे से बांधते हैं और पवित्र बरगद के पेड़ की 108 बार परिक्रमा करते हैं.
Vat Savitri Puja 2023: वट सावित्री पूजा का पारण समय
तिथि के मुताबिक : प्रातः 05:21 बजे से पूरे दिन
गुली काल मुहूर्त : सुबह 06:44 बजे से 08:25 बजे तक
अमृत काल मुहूर्त : सुबह 08:25 बजे से 10:06 बजे तक
अभिजित मुहूर्त : दोपहर 11:19 बजे से 12:13 बजे तक
शुभ योग मुहूर्त : दोपहर 11:46 बजे से 01:27 बजे तक
इस दिन क्यों की जाती है वट वृक्ष की पूजा
इस व्रत को लेकर शास्त्रों में कई धार्मिक मान्यताएं प्रचलित हैं.उसमें से एक के अनुसार वट वृक्ष के नीचे ही अपने कठोर तप से पतिव्रता सावित्री ने अपने पति सत्यवान को दोबारा जीवित किया था.जबकि एक अन्य मान्यता की मानें तो भगवान शिव के वरदान से ऋषि मार्कण्डेय को वट वृक्ष में भगवान विष्णु के बाल मुकुंद अवतार के दर्शन हुए थे.उसी दिन से वट वृक्ष की पूजा किये जाने का विधान है. इस वर्ष वट सावित्री व्रत के दिन कुछ शुभ योग का निर्माण हो रहा है.इसलिए इस वर्ष इस व्रत का महत्व और अधिक बढ़ गया है.
कैसे करें वट सावित्री की पूजा
इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, उसकी परिक्रमा करती हैं और पेड़ के चारों ओर कलावा बांधती हैं. वे रात भर कड़ा उपवास रखते हैं और अगले दिन पूर्णिमा समाप्त होने पर इसे तोड़ते हैं. वे बरगद के पेड़ को जल, चावल और फूल चढ़ाते हैं, सिंदूर छिड़कते हैं, पेड़ के तने को सूती धागे से बांधते हैं और पवित्र बरगद के पेड़ की 108 बार परिक्रमा करते हैं.
वट सावित्री व्रत पूजा विधि (Vat Savitri Vrat Puja Vidhi)
वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठ जायें.
स्नान के बाद महिलाएं नए कपड़े, चूड़ियां पहनें और माथे पर सिंदूर लगाएं.
'वट' या बरगद के पेड़ की जड़ को जल अर्पित करें. गुड़, चना, फल, अक्षत और फूल अर्पित करें.
वट सावित्री व्रत कथा पढ़ें या सुनें.
महिलाएं वट वृक्ष के चारों ओर पीले या लाल रंग का धागा बांधकर 'वट' के पेड़ की परिक्रमा करें.
परिक्रमा करते समय सौभाग्य और पति के लंबी आयु की कामना करें.
वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं घर में बड़ों और विवाहित महिलाओं से आशीर्वाद लें.
वट सावित्री व्रत पर दान करना भी बहुत फलदायी होता है. इस दिन लोग गरीबों और जरूरतमंदों को सामर्थ्य के अनुसार धन, भोजन और कपड़े दान करते हैं.
वट सावित्री व्रत पारण, शनिवार, 20 मई 2023
तिथि के मुताबिक : प्रातः 05:21 बजे से पूरे दिन
गुली काल मुहूर्त : सुबह 06:44 बजे से 08:25 बजे तक
अमृत काल मुहूर्त : सुबह 08:25 बजे से 10:06 बजे तक
अभिजित मुहूर्त : दोपहर 11:19 बजे से 12:13 बजे तक
शुभ योग मुहूर्त : दोपहर 11:46 बजे से 01:27 बजे तक
वट सावित्री शुभ मुहूर्त
वट सावित्री अमावस्या शुक्रवार, 19 मई 2023 को
अमावस्या तिथि प्रारंभ - मई 18, 2023 को 09:42 अपराह्न
अमावस्या तिथि समाप्त - 19 मई 2023 को रात्रि 09:22 बजे
वट सावित्री पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वट सावित्री व्रत का महत्व करवा चौथ के समान ही है. इस दिन, विवाहित महिलाएं विशिष्ट अनुष्ठानों और प्रक्रियाओं का पालन करते हुए बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, जिसे वट वृक्ष भी कहा जाता है. माना जाता है कि बरगद के पेड़ की पूजा करने से दीर्घायु, समृद्धि, अखंड सुख की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के संघर्ष और दुखों का नाश होता है. कहा जाता है कि इस दिन, सावित्री ने अपने पति सत्यवान के जीवन को यमराज (मृत्यु के देवता) के चंगुल से छुड़ाया था. तभी से महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना से यह व्रत करती हैं. इस साल महिलाएं 19 मई को वट सावित्री व्रत रखेंगी.
Vat Savitri Puja 2023: वट सावित्री पूजा विधि
वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान और यम की मिट्टी की मूर्तियां स्थापित कर पूजा करें.
वट वृक्ष की जड़ में पानी डालें.
पूजा के लिए जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, पुष्प और धूप रखें.
जल से वट वृक्ष को सींचकर तने के चारों ओर कच्चा सूत लपेटकर तीन बार परिक्रमा करें.
इसके बाद सत्यवान सावित्री की कथा सुनें.
कथा सुनने के बाद चना, गुड़ का बायना निकालकर उस पर सामर्थ्य अनुसार रुपये रखकर अपनी सास या सास के समान किसी सुहागिन महिला को देकर उनका आशीर्वाद लें.
वट सावित्री व्रत की कथा का श्रवण या पठन करें .
Vat Savitri Puja 2023: कब की जाती वट सावित्री की पूजा
हिंदू धर्म में ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत रखा जाता है. इस दिन महिलाओं द्वारा उपवास रखा जाता है जो बरगद के पेड़ की पूजा भी करती हैं. शास्त्रों के अनुसार वट सावित्री व्रत को करवा चौथ जितना ही महत्वपूर्ण बताया गया है. शास्त्रों का कहना है कि ऐसा माना जाता है कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन, सावित्री जिन्हें देवी अवतार माना जाता है, क्योंकि वह अपने मृत पति सत्यवान को यमराज से वापस ले आई थीं. तब से विवाहित महिलाएं हर साल ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं.
Vat Savitri Purnima: महिलाएं अपने पति के दीर्घायु और लंबी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत रखती हैं
पौराणिक कथा के अनुसार महान सावित्री ने मृत्यु के स्वामी भगवान यम से आशीर्वाद प्राप्त किया और उन्हें अपने पति सत्यवान के जीवन को वापस करने के लिए मजबूर किया. इसलिए विवाहित महिलाएं अपने पति के दीर्घायु और लंबी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत रखती हैं.
वट सावित्री पूजा 2023 तिथि, शुभ मुहूर्त (Vat Savitri Vrat 2023 Date and Time)
वट सावित्री अमावस्या शुक्रवार, 19 मई 2023 को
अमावस्या तिथि प्रारंभ - मई 18, 2023 को 09:42 अपराह्न
अमावस्या तिथि समाप्त - 19 मई 2023 को रात्रि 09:22 बजे
वट सावित्री व्रत पारण, शनिवार, 20 मई 2023
तिथि के मुताबिक : प्रातः 05:21 बजे से पूरे दिन
गुली काल मुहूर्त : सुबह 06:44 बजे से 08:25 बजे तक
अमृत काल मुहूर्त : सुबह 08:25 बजे से 10:06 बजे तक
अभिजित मुहूर्त : दोपहर 11:19 बजे से 12:13 बजे तक
शुभ योग मुहूर्त : दोपहर 11:46 बजे से 01:27 बजे तक
वट पूर्णिमा व्रत और वट सावित्री अमावस्या व्रत रखने के पीछे की कथा समान है
हालांकि वट सावित्री व्रत को अपवाद माना जा सकता है. पूर्णिमांत कैलेंडर में वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ अमावस्या के दौरान मनाया जाता है जो शनि जयंती के साथ मेल खाता है. अमांता कैलेंडर में वट सावित्री व्रत, जिसे वट पूर्णिमा व्रत भी कहा जाता है, ज्येष्ठ पूर्णिमा के दौरान मनाया जाता है. इसलिए महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिणी भारतीय राज्यों में विवाहित महिलाएं उत्तर भारतीय महिलाओं की तुलना में 15 दिन बाद वट सावित्री व्रत रखती हैं. हालांकि दोनों कैलेंडर में व्रत रखने के पीछे की कथा समान है.
वट सावित्री की पूजा करने से मिलेगा अखंड सुहाग का वरदान
सनातन धर्म के ग्रंथ ब्रह्मवैवर्त पुराण व स्कंद पुराण के हवाले से बताया है कि वट सावित्री की पूजा व वटवृक्ष की परिक्रमा करने से सुहागिनों को अखंड सुहाग, पति की दीर्घायु, वंश वृद्धि, दांपत्य जीवन में सुख शांति व वैवाहिक जीवन में आने वाले कष्ट दूर होते हैं. पूजा के बाद भक्ति पूर्वक सत्यवान सावित्री की कथा का श्रवण और वाचन करना चाहिए. इससे परिवार पर आने वाली सभी बाधाएं दूर होती है तथा घर में सुख समृद्धि का वास होता है.
वट सावित्री व्रत की विधि
वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठ जायें.
स्नान के बाद महिलाएं नए कपड़े, चूड़ियां पहनें और माथे पर सिंदूर लगाएं.
'वट' या बरगद के पेड़ की जड़ को जल अर्पित करें. गुड़, चना, फल, अक्षत और फूल अर्पित करें.
वट सावित्री व्रत कथा पढ़ें या सुनें.
महिलाएं वट वृक्ष के चारों ओर पीले या लाल रंग का धागा बांधकर 'वट' के पेड़ की परिक्रमा करें.
परिक्रमा करते समय सौभाग्य और पति के लंबी आयु की कामना करें.
वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं घर में बड़ों और विवाहित महिलाओं से आशीर्वाद लें.
वट सावित्री व्रत पर दान करना भी बहुत फलदायी होता है. इस दिन लोग गरीबों और जरूरतमंदों को सामर्थ्य के अनुसार धन, भोजन और कपड़े दान करते हैं.
वट सावित्री की पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वट सावित्री व्रत का महत्व करवा चौथ के समान ही है. इस दिन, विवाहित महिलाएं विशिष्ट अनुष्ठानों और प्रक्रियाओं का पालन करते हुए बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, जिसे वट वृक्ष भी कहा जाता है. माना जाता है कि बरगद के पेड़ की पूजा करने से दीर्घायु, समृद्धि, अखंड सुख की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के संघर्ष और दुखों का नाश होता है. कहा जाता है कि इस दिन, सावित्री ने अपने पति सत्यवान के जीवन को यमराज (मृत्यु के देवता) के चंगुल से छुड़ाया था. तभी से महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना से यह व्रत करती हैं. इस साल महिलाएं 19 मई को वट सावित्री व्रत रखेंगी.
कैसे करें वट सावित्री की पूजा
इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, उसकी परिक्रमा करती हैं और पेड़ के चारों ओर कलावा बांधती हैं. वे रात भर कड़ा उपवास रखते हैं और अगले दिन पूर्णिमा समाप्त होने पर इसे तोड़ते हैं. वे बरगद के पेड़ को जल, चावल और फूल चढ़ाते हैं, सिंदूर छिड़कते हैं, पेड़ के तने को सूती धागे से बांधते हैं और पवित्र बरगद के पेड़ की 108 बार परिक्रमा करते हैं.
Vat Savitri Puja 2023: वट सावित्री पूजा का पारण समय
तिथि के मुताबिक : प्रातः 05:21 बजे से पूरे दिन
गुली काल मुहूर्त : सुबह 06:44 बजे से 08:25 बजे तक
अमृत काल मुहूर्त : सुबह 08:25 बजे से 10:06 बजे तक
अभिजित मुहूर्त : दोपहर 11:19 बजे से 12:13 बजे तक
शुभ योग मुहूर्त : दोपहर 11:46 बजे से 01:27 बजे तक
वट सावित्री शुभ मुहूर्त
वट सावित्री अमावस्या शुक्रवार, 19 मई 2023 को
अमावस्या तिथि प्रारंभ - मई 18, 2023 को 09:42 अपराह्न
अमावस्या तिथि समाप्त - 19 मई 2023 को रात्रि 09:22 बजे
बरगद के पेड़ का वैज्ञानिक महत्व क्या है
धार्मिक आस्थाओं के साथ ही ये वृक्ष पर्यावरण संरक्षण में भी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. बरगद के पेड़ और इसकी पत्तियों में कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने की सबसे ज्यादा क्षमता होती है. पीपल के समान ही ये वृक्ष भी ऑक्सीजन उत्सर्जित करते हैं. कहा जाता है कि एक हरा-भरा बरगद का पेड़ 20 घंटे से भी अधिक मात्रा में ऑक्सीजन देता है. इसलिए, बरगद का वृक्ष पर्यावरण के लिए किसी वरदान (Vat savitri 2023 banyan tree scientific importance) से कम नहीं है.
इस दिन क्यों की जाती है वट वृक्ष की पूजा
इस व्रत को लेकर शास्त्रों में कई धार्मिक मान्यताएं प्रचलित हैं.उसमें से एक के अनुसार वट वृक्ष के नीचे ही अपने कठोर तप से पतिव्रता सावित्री ने अपने पति सत्यवान को दोबारा जीवित किया था.जबकि एक अन्य मान्यता की मानें तो भगवान शिव के वरदान से ऋषि मार्कण्डेय को वट वृक्ष में भगवान विष्णु के बाल मुकुंद अवतार के दर्शन हुए थे.उसी दिन से वट वृक्ष की पूजा किये जाने का विधान है. इस वर्ष वट सावित्री व्रत के दिन कुछ शुभ योग का निर्माण हो रहा है.इसलिए इस वर्ष इस व्रत का महत्व और अधिक बढ़ गया है.
वट सावित्री की पूजा करने से मिलेगा अखंड सुहाग का वरदान
सनातन धर्म के ग्रंथ ब्रह्मवैवर्त पुराण व स्कंद पुराण के हवाले से बताया है कि वट सावित्री की पूजा व वटवृक्ष की परिक्रमा करने से सुहागिनों को अखंड सुहाग, पति की दीर्घायु, वंश वृद्धि, दांपत्य जीवन में सुख शांति व वैवाहिक जीवन में आने वाले कष्ट दूर होते हैं. पूजा के बाद भक्ति पूर्वक सत्यवान सावित्री की कथा का श्रवण और वाचन करना चाहिए. इससे परिवार पर आने वाली सभी बाधाएं दूर होती है तथा घर में सुख समृद्धि का वास होता है.
कैसे करें वट सावित्री की पूजा
इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, उसकी परिक्रमा करती हैं और पेड़ के चारों ओर कलावा बांधती हैं. वे रात भर कड़ा उपवास रखते हैं और अगले दिन पूर्णिमा समाप्त होने पर इसे तोड़ते हैं. वे बरगद के पेड़ को जल, चावल और फूल चढ़ाते हैं, सिंदूर छिड़कते हैं, पेड़ के तने को सूती धागे से बांधते हैं और पवित्र बरगद के पेड़ की 108 बार परिक्रमा करते हैं.
वट सावित्री व्रत का महत्व (Vat Savitri Puja Significance)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वट सावित्री व्रत का महत्व करवा चौथ के समान ही है. इस दिन, विवाहित महिलाएं विशिष्ट अनुष्ठानों और प्रक्रियाओं का पालन करते हुए बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, जिसे वट वृक्ष भी कहा जाता है. माना जाता है कि बरगद के पेड़ की पूजा करने से दीर्घायु, समृद्धि, अखंड सुख की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के संघर्ष और दुखों का नाश होता है. कहा जाता है कि इस दिन, सावित्री ने अपने पति सत्यवान के जीवन को यमराज (मृत्यु के देवता) के चंगुल से छुड़ाया था. तभी से महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना से यह व्रत करती हैं. इस साल महिलाएं 19 मई को वट सावित्री व्रत रखेंगी.
वट सावित्री व्रत पूजा विधि (Vat Savitri Vrat Puja Vidhi)
वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठ जायें.
स्नान के बाद महिलाएं नए कपड़े, चूड़ियां पहनें और माथे पर सिंदूर लगाएं.
'वट' या बरगद के पेड़ की जड़ को जल अर्पित करें. गुड़, चना, फल, अक्षत और फूल अर्पित करें.
वट सावित्री व्रत कथा पढ़ें या सुनें.
महिलाएं वट वृक्ष के चारों ओर पीले या लाल रंग का धागा बांधकर 'वट' के पेड़ की परिक्रमा करें.
परिक्रमा करते समय सौभाग्य और पति के लंबी आयु की कामना करें.
वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं घर में बड़ों और विवाहित महिलाओं से आशीर्वाद लें.
वट सावित्री व्रत पर दान करना भी बहुत फलदायी होता है. इस दिन लोग गरीबों और जरूरतमंदों को सामर्थ्य के अनुसार धन, भोजन और कपड़े दान करते हैं.
वट सावित्री व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त (Vat Savitri Vrat 2023 Shubh Muhurat)
वट सावित्री अमावस्या शुक्रवार, 19 मई 2023 को
अमावस्या तिथि प्रारंभ - मई 18, 2023 को 09:42 अपराह्न
अमावस्या तिथि समाप्त - 19 मई 2023 को रात्रि 09:22 बजे
वट सावित्री व्रत पारण, शनिवार, 20 मई 2023
तिथि के मुताबिक : प्रातः 05:21 बजे से पूरे दिन
गुली काल मुहूर्त : सुबह 06:44 बजे से 08:25 बजे तक
अमृत काल मुहूर्त : सुबह 08:25 बजे से 10:06 बजे तक
अभिजित मुहूर्त : दोपहर 11:19 बजे से 12:13 बजे तक
शुभ योग मुहूर्त : दोपहर 11:46 बजे से 01:27 बजे तक
Vat Savitri Puja 2023: कब की जाती वट सावित्री की पूजा
हिंदू धर्म में ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत रखा जाता है. इस दिन महिलाओं द्वारा उपवास रखा जाता है जो बरगद के पेड़ की पूजा भी करती हैं. शास्त्रों के अनुसार वट सावित्री व्रत को करवा चौथ जितना ही महत्वपूर्ण बताया गया है. शास्त्रों का कहना है कि ऐसा माना जाता है कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन, सावित्री जिन्हें देवी अवतार माना जाता है, क्योंकि वह अपने मृत पति सत्यवान को यमराज से वापस ले आई थीं. तब से विवाहित महिलाएं हर साल ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं.