राउरकेला, मुकेश सिन्हा: राउरकेला से सटे धार्मिक पर्यटन स्थल वेदव्यास में रोपवे निर्माण परियोजना का रास्ता साफ हो गया है. परियोजना का सर्वे करने के बाद डीपीआर राज्य सरकार को सौंप दी गयी है, जिसके बाद इसका निर्माण शीघ्र शुरू होने की उम्मीद जगी है. एक बार रोपवे बन जाने के बाद इस इलाके की सूरत बदल जायेगी. पर्यटन के लिहाज से जिले का यह एक महत्वपूर्ण स्थल रोपवे के सहारे ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित करेगा. ब्रिज कंसल्टेंट इंजीनियर अशोक कुमार बासा ने डीपीआर सौंपने के साथ ही राज्य सरकार से त्रिवेणी संगम वेदव्यास में अत्याधुनिक रोपवे बनाने की अनुशंसा की है. वेदव्यास विकास मंच, विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रयास से जिले के लोगों का वर्षों पुराना सपना पूरा होने जा रहा है. ब्रिज कंसल्टेंट इंजीनियर अशोक कुमार बासा की सिफारिशें और डीपीआर मिलने के बाद अब लोगों की नजर इस बात पर है कि राज्य सरकार आने वाले दिनों में दीर्घकालिक परियोजना को हकीकत में बदलने के लिए कितना जोर लगाती है. आपको बता दें कि कोयल, शंख व सरस्वती के त्रिवेणी संगम स्थल पर बसा पश्चिम ओडिशा का वेदव्यास धाम न केवल तीर्थस्थल है, बल्कि अपनी प्राकृतिक छटा के कारण यह किसी पर्यटन स्थल से कम नहीं है. इस स्थान पर प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि पर ऐतिहासिक मेला भी लगता है, जो 100 साल से ज्यादा पुराना है.
लोक निर्माण विभाग ने एक माह पूर्व किया था सर्वे
राउरकेला लोक निर्माण विभाग के सहायक कार्यकारी अभियंता मनोज कुमार महानंद, सहायक कार्यकारी अभियंता भागीरथी साहू, सहायक अभियंता प्रमोद कुमार महापात्र की देखरेख में करीब एक महीने पहले सर्वे किया गया था. एडीएम की अनुमति से अग्निशमन विभाग के अधिकारी कटिबास साहू के नेतृत्व में 11 सदस्यीय टीम ने इसमें सहायता की थी. सर्वेक्षण कार्य और परियोजना रिपोर्ट की निगरानी के लिए ब्रिज कंसल्टेंट इंजीनियर अशोक कुमार बासा को जिम्मेवारी दी गयी थी. ओडिशा सरकार के आदेश पर 18 मई को भुवनेश्वर से विश्व बैंक परियोजना के प्रमुख दुर्गा प्रसन्न मिश्रा ने हाडपकाघाट और आसपास के इलाकों का दौरा किया था. तब उन्होंने कहा था कि प्रोजेक्ट पर तुरंत काम शुरू हो जायेगा.
मुख्यमंत्री व पर्यटन मंत्री को सौंपा जा चुका है ज्ञापन
वेदव्यास विकास मंच की ओर से पूर्व में रोप-वे निर्माण के लिए मुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री को ज्ञापन सौंपा जा चुका है. इतना ही नहीं, बहुत पहले तत्कालीन केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री और सुंदरगढ़ सांसद जुएल ओराम ने वेदव्यास में केंद्रीय जनजातीय विभाग कोष से धन स्वीकृत किया था. राज्य सरकार से एनओसी नहीं मिलने के कारण वर्षों की देरी के बाद धनराशि वापस लौटा दी गयी. पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप राय ने वेदव्यास पीठ के सौंदर्यीकरण के लिए रोप-वे बनाने के लिए मुख्यमंत्री को पिछले दिनों पत्र भी लिखा था.
महाशिवरात्रि पर लगता है ऐतिहासिक मेला
कोयल, शंख व सरस्वती के त्रिवेणी संगम स्थल पर बसा पश्चिम ओडिशा का वेदव्यास धाम न केवल तीर्थस्थल है, बल्कि अपनी प्राकृतिक छटा के कारण यह किसी पर्यटन स्थल से कम नहीं है. इस स्थान पर प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि पर ऐतिहासिक मेला भी लगता है, जो 100 साल से ज्यादा पुराना है. वेदव्यास मंदिर के ठीक पहले एक वैदिक गुरुकुल और आश्रम है.
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यहीं पर हुई थी महाभारत की रचना
पूरा मंदिर परिसर चट्टानों की आड़ में बना हुआ है. स्थानीय लोगों का मानना है कि महाभारत की रचना महर्षि वेदव्यास जी ने इसी स्थान पर की थी. मंदिर के आगे जाने पर नीचे की तरफ एक रास्ता है, जहां एक कुंड है और वहां सालोंभर पानी भरा रहता है. इसे सरस्वती कुंड के नाम से जाना जाता है. मंदिर की एक और खास बात यह भी है कि इसका निर्माण पुराने पेड़ों को बिना काटे ही छत और फर्श का कार्य किया गया है.
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वेदव्यास धाम के विकसित होने की हैं अपार संभावनाएं
वेदव्यास में धार्मिक पर्यटन के विकास की अपार संभावनाएं हैं. यहीं पर गुफा में रहकर महर्षी वेदव्यास ने महाभारत की रचना की थी. आज भी यह गुफा यहां है, जिसे देखने के लिए हर वर्ष हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं. वेदव्यास मंदिर व नदी के बीच सीढ़ियां बनी हैं. यहां बालुंकेश्वर मंदिर व चंद्रशेखर मंदिर दोनों शिवालयों के अलावा हनुमान जी का मंदिर, मां का मंदिर, संकीर्तन मंडप है.
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