23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रामगढ़ के तिरला में कौड़ियों के मोल भी नहीं बिक रही सब्जियां, निराश किसानों ने सड़कों पर फेंकी सब्जियां, लाखों का नुकसान

Jharkhand Mini Lockdown (गोला) : झारखंड के रामगढ़ जिला अंतर्गत गोला प्रखंड कृषि बाहुल्य क्षेत्र है. यहां के 80 फीसदी लोग कृषि पर ही आश्रित हैं. यहां के किसान सालों भर विभिन्न सब्जियों की खेती करते हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से क्षेत्र में सब्जियों की बिक्री नहीं होने से इस क्षेत्र के किसान निराश हो गये हैं. अब तो किसानों का सब्र का बांध टूटने लगा है. निराश होकर क्षेत्र के किसान अपनी सब्जियों को बर्बाद करने लगे हैं. इन किसानों को लाखों का नुकसान हो रहा है.

Jharkhand Mini Lockdown Impact (राजकुमार/शंकर पोद्दार-गोला) : झारखंड के रामगढ़ जिला अंतर्गत गोला प्रखंड कृषि बाहुल्य क्षेत्र है. यहां के 80 फीसदी लोग कृषि पर ही आश्रित हैं. यहां के किसान सालों भर विभिन्न सब्जियों की खेती करते हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से क्षेत्र में सब्जियों की बिक्री नहीं होने से इस क्षेत्र के किसान निराश हो गये हैं. अब तो किसानों का सब्र का बांध टूटने लगा है. निराश होकर क्षेत्र के किसान अपनी सब्जियों को बर्बाद करने लगे हैं. इन किसानों को लाखों का नुकसान हो रहा है.

जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को गोला के तिरला स्थित डेली मार्केट में सब्जी खरीदारी को लेकर व्यापारी नहीं पहुंचने के कारण किसानों के उत्पादित हरी सब्जियां नहीं बिक पाया. इससे नाराज किसानों ने मार्केट में ही सब्जियों को फेंक कर और रौंद कर विरोध प्रकट किया. वहीं, कुछ किसान सब्जी को वापस घर ले गये.

इस संबंध में किसानों ने बताया कि अधिकतर किसानों ने कर्ज लेकर अलग-अलग हरी सब्जी की खेती किये हैं. उम्मीद थी कि फसलों की अच्छी पैदावार होने से कर्ज चुका कर कुछ पैसों की आमदनी हो जायेगी. लेकिन, मुनाफा तो दूर सब्जी के खरीदारी के लिए व्यापारी नहीं पहुंचने से लागत पूंजी भी नहीं मिल पा रहा है. गौरतलब हो कि पूरे राज्य में आलू उत्पादन में गोला प्रखंड का प्रथम स्थान है.

Also Read: गुमला के झरगांव जंगल में लगी आग, हजारों पौधे जलकर हुए बर्बाद, 5 घंटे बाद पाया गया काबू
प्रतिदिन 150 टन हरी सब्जी पहुंचता है मार्केट

किसानों ने बताया कि तिरला के डेली मार्केट में प्रतिदिन 150 टन हरा सब्जी पहुंचता है. जिसे खरीदने के लिए रांची, धनबाद, बोकारो, हजारीबाग, बगोदर, जमशेदपुर, झरिया, चास सहित कई जगहों के व्यापारी पहुंचते हैं. जबकि वर्तमान में यहां से खीरा एवं तरबूज दूसरे प्रदेश जैसे यूपी, बिहार एवं पश्चिम बंगाल सहित अन्य प्रदेशों में भेजा जाता है. किसानों ने बताया कि एक दिन में 50 लाख रुपये तक का कारोबार डेली मार्केट में होता है. लेकिन सब्जी के खरीदार नहीं मिलने के कारण अब घटकर मात्र 10 से 12 लाख रुपये हो गया है. इससे किसानों को लगभग 40 लाख रुपये का नुकसान एक दिन में उठाना पड़ रहा है.

पिछले वर्ष भी उत्पन्न हुई थी ऐसी ही स्थिति

किसानों ने बताया कि पिछले वर्ष भी कोरोना महामारी के कारण पूरे देश में लगाये गये संपूर्ण लाॅकडाउन के कारण किसानों का सब्जी नहीं बिक पा रहा था. जिस कारण उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा था. अब पुनः कोरोना के दूसरी लहर के कारण राज्य में 22 अप्रैल से स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह लागू है. इससे किसानों के समक्ष पिछले वर्ष की भांति दोबारा विकट स्थिति उत्पन्न हो गयी है.

क्या कहते हैं क्षेत्र के किसान

इस संबंध में न्यू किसान मजदूर यूनियन के संगठन मंत्री चतुर्भुज कश्यप ने कहा कि स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह की तिथि बढ़ाने के साथ सब्जी दुकानों को दोपहर 2 बजे तक ही खुला रखने का आदेश दिया गया है. जिस कारण दूसरे जगह के व्यापारी नहीं पहुंच पा रहे हैं क्योंकि यहां से सब्जी खरीदकर उन्हें पहुंचने में ही 2 बज जाता है.

Also Read: Jharkhand Lockdown News : रोज कमाने खाने वालों का घर चलाना हुआ मुश्किल, भूखे मरने की आ रही है नौबत

किसान देवेंद्र दांगी ने कहा कि डेली मार्केट पर क्षेत्र के किसान आश्रित हैं. अधिकतर किसान बैंक से केसीसी ऋण या स्थानीय महिला समूह से ब्याज पर कर्ज लेकर खेती करते हैं, लेकिन सब्जी का उचित दाम नहीं मिलेगा, तो किसान कर्ज कैसे चुकायेंगे. ऐसी स्थिति में किसानों के समक्ष आत्महत्या करने जैसे नौबत आ सकती है. उन्होंने सरकार से सब्जी खरीदने एवं बेचने का समय पर पाबंदी नहीं लगाने की मांग की है.

किसान प्रतिनिधि उत्तम कुमार कुशवाहा ने कहा कि झारखंड में जिस गति से कोरोना संक्रमण फैल रहा है. उसे नियंत्रण में करने के लिए सरकार को कड़े कदम अवश्य उठाना चाहिए, लेकिन किसान एवं खेती प्रधान क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए नियम बनाया जाये. जिससे कोरोना से बचाव हो सके और किसानों के फसलों का उचित दाम मिल सके.

किसान ललन कुमार महतो ने कहा कि कड़ी मेहनत एवं कर्ज लेकर हमलोग खेती किये हैं. लेकिन जब सब्जी को बेचने मार्केट पहुंचे, तो इसके खरीदार ही नहीं मिल रहे हैं. सरकार से अनुरोध है कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए नियम में कुछ ढील दिया जाये. जिससे किसानों के फसलों का उचित दाम मिल सके.

Also Read: पुलिस ने गांव के व्यक्ति को किया गिरफ्तार तो गोलगंद हुए ग्रामीण, एसपी से की शिकायत, जानें क्या है पूरा मामला

इस दाम पर बिकी सब्जियां

सब्जी : प्रति किलो (रुपये में)
भिंडी : 3-4 रुपये
नेनुआ : 2 रुपये
झिंगा : 2 रुपये
मूली : 5 रुपये
हरा मिर्च : 25 रुपये
प्याज : 12 रुपये
आलू : 12 रुपये
फरसबीन : 8 रुपये
करेला : 10 रुपये

इसके अलावा टमाटर, लौकी एवं खीरा को तो पूछने वाला कोई नहीं है. जिस कारण इनके उत्पादक किसान कौड़ियों के भाव में इसे बेचने को मजबूर है.

Posted By : Samir Ranjan.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें