झारखंड : पूर्वी सिंहभूम जिले में इस साल 6812 हेक्टेयर में हुई सब्जियों की खेती, 730 क्विंटल पैदावार
झारखंड के आठ जिलों में कम बारिश के कारण 80 प्रतिशत से अधिक कृषि योग्य भूमि पर अब तक धान की रोपाई नहीं हो पायी है. वहीं, फूल और सब्जियों की खेती ने कुछ राहत दी है. पूर्वी सिंहभूम जिले में दोनों को मिलाकर 730 क्विंटल पैदावार हुई है.
Jharkhand News: पूर्वी सिंहभूम जिले में बारिश की कमी के बावजूद सब्जियों की खेती अच्छी हुई है. गेंदा फूल की खेती के अलावा विभिन्न सब्जियों को मिलाकर 730 क्विंटल पैदावार हुई है. यह आंकड़ा जिला कृषि विभाग का है. इसमें गेंदा फूल की पैदावार 100 क्विंटल हुई है, जो 194 हेक्टेयर में लगाया गया है. सब्जियों में सबसे ज्यादा खेती भिंडी का हुई है, जबकि दूसरे नंबर पर नेनुआ और मूली रहा है, जिसका उत्पादन 100 क्विंटल से भी अधिक हो चुका है. फूलगोभी की पैदावार करीब 20 टन हुई है. जिला कृषि पदाधिकारी मिथिलेश कालिंदी ने बताया कि सब्जियों बेहतर पैदवार से खपत बढ़ेगी और सब्जियां सस्ती भी होंगी.
सब्जियों की खेती एक नजर में
सब्जी का नाम : कितना उत्पादन हुआ : कितनी एरिया में हुई खेती
खीरा : 60 क्विंटल : 578 हेक्टेयर
लौकी : 60 क्विंटल : 1420 हेक्टेयर
नेनुआ : 100 क्विंटल : 256 हेक्टेयर
भिंडी : 120 क्विंटल : 982 हेक्टेयर
फूलगोभी : 20 टन : 1478 हेक्टेयर
बंधागोभी : 50 टन : 496 हेक्टेयर
मूली : 100 क्विंटल : 142 हेक्टेयर
करैला : 60 क्विंटल : 974 हेक्टेयर
झिंगा : 60 क्विंटल : 292 हेक्टेयर
गेंदा फूल : 100 क्विंटल : 194 हेक्टेयर
कुल पैदावार : 730 क्विंटल : 6812 हेक्टेयर
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झारखंड के आठ जिलों की 80%भूमि पर रोपनी नहीं
इधर, झारखंड के आठ जिलों में कम बारिश के कारण 80 प्रतिशत से अधिक कृषि योग्य भूमि पर अब तक धान की रोपाई नहीं हो पायी है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, धान की रोपाई का सही समय एक जुलाई से 31 जुलाई तक माना जाता है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में मानसून में देरी या कम बारिश होने की वजह से काफी किसान अगस्त के मध्य तक ही रोपाई करते हैं, लेकिन इससे फसल का उत्पादन अच्छा नहीं होता. झारखंड में 18 अगस्त तक 43.66 प्रतिशत धान की कुल रोपाई हुई थी. राज्य कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 18 अगस्त तक 18 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के मुकाबले केवल 7.85 लाख हेक्टेयर भूमि पर ही धान की रोपाई हुई है.
आठ जिलों की स्थिति गंभीर
धान की रोपाई के मामले में राज्य के 24 में से आठ जिलों में स्थिति गंभीर है. पलामू जिले में 18 अगस्त तक राज्य में सबसे कम (2.96 फीसदी) धान की रोपाई हुई है. इसके बाद जामताड़ा में 5.63 फीसदी, दुमका में 7.66 फीसदी, गढ़वा में 8.43 फीसदी, धनबाद में 10.26 फीसदी, गिरिडीह में 11.42 फीसदी, कोडरमा में 12.61 प्रतिशत और चतरा में 16.35 फीसदी ही रोपाई हो पायी है.
कृषि विभाग के उप निदेशक ने जतायी चिंता
प्रदेश के कृषि विभाग के उप निदेशक मुकेश सिन्हा ने इस पर चिंता जताते हुए बताया कि जून और जुलाई में कम बारिश के कारण धान की रोपाई प्रभावित हुई और अब बारिश का दौर चल रहा है, तो किसान रोपाई में लगे हैं. स्थिति खराब है. हालांकि, पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष स्थिति मामूली रूप से बेहतर है.
18 अगस्त तक 30.83 प्रतिशत हुई रोपाई
राज्य में 18 अगस्त तक 30.83 प्रतिशत रोपाई ही हो पायी थी. उन्होंने कहा कि हम जिलों में रोपाई की स्थिति और अन्य कारकों का आकलन कर रहे हैं. एक और सप्ताह तक स्थिति देखी जायेगी. उसके बाद सभी मापदंडों का मूल्यांकन करने के बाद, सरकारी स्तर पर सूखा घोषित करने के संबंध में कोई भी निर्णय किया जायेगा.
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झारखंड में 36 फीसदी बारिश की कमी
मौसम विभाग के मुताबिक, झारखंड में बारिश की कमी अब भी 36 फीसदी है. राज्य में एक जून से 18 अगस्त तक सामान्य बारिश 689.8 मिलीमीटर की तुलना में अब तक 422.7 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गयी है. राज्य में 31 जुलाई तक 47 फीसदी बारिश की कमी दर्ज की गयी थी. रांची मौसम विज्ञान केंद्र के प्रभारी अभिषेक आनंद ने कहा कि झारखंड में पिछले कुछ दिनों में शुक्रवार तक अच्छी बारिश हुई. 21 अगस्त से इसमें फिर से बढ़ोतरी होगी.