कोडरमा गोलीकांड मामला: 20 साल बाद आया फैसला, पूर्व MLA राजकुमार यादव सहित 22 बरी
हजारीबाग के एमपी-एमएलए कोर्ट ने कोडरमा के मरकच्चो गोलीकांड में पूर्व विधायक राजकुमार यादव और जिप अध्यक्ष रामधन यादव समेत 22 आरोपियों को निर्दोष करार देते हुए बरी किया है. 20 तक चली सुनवाई के बाद मंगलवार को फैसला आया.
हजारीबाग, परवेज आलम : कोडरमा जिले के बहुचर्चित मरकच्चो गोलीकांड मामले में मंगलवार को हजारीबाग के एमपी-एमएलए कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट में 20 सालों तक चली सुनवाई के बाद कुमार पवन की कोर्ट ने भाकपा माले के पूर्व विधायक राजकुमार यादव और जिला परिषद अध्यक्ष रामधन यादव समेत 22 आरोपियों को दोषमुक्त करते हुए बरी कर दिया.
क्या है मामला
22 जनवरी, 2003 को भाकपा-माले ने कानिकेंद जंगल में लूटपाट पर रोक लगाने और थाना को दलालों से मुक्त कराने समेत अन्य मांगों को लेकर मरकच्चो थाना का घेराव किया था. भाकपा माले के जोरदार प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने फायरिंग कर दी थी. पुलिस की बर्बरतापूर्ण कार्रवाई में माले कार्यकर्ता महेश सिंह, अशोक यादव और रतन मोदी की मौत हो गयी थी.
दर्ज हुआ था मामला
पुलिस ने माले नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ 5/2003 कांड संख्या दर्ज किया था. इस मामले में माले नेता राजकुमार यादव, वर्तमान राजद जिलाध्यक्ष रामधन यादव समेत कई माले कार्यकर्ताओं को आरोपी बनाया था.
20 साल तक कोर्ट में चला मामला
20 साल तक चली सुनवाई के बाद माले के पूर्व विधायक कॉमरेड राजकुमार यादव, तत्कालीन माले नेता और वर्तमान राजद जिलाध्यक्ष रामधन यादव समेत 22 लोगों को मामले में बरी कर दिया है.
न्याय की हुई जीत
जिला परिषद अध्यक्ष सह राजद जिलाध्यक्ष रामधन यादव ने गोलीकांड में शहीद हुए महेश सिंह, अशोक यादव और रतन मोदी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि न्याय की जीत हुई है. उन्होंने कहा कि कोर्ट के प्रति विश्वास बढ़ा है. कहा कि संघर्ष की जीत हुई है. वर्ष 2003 में प्रदर्शन के खिलाफ पुलिसिया ज़ुल्म और झूठे मुकदमे के जरिये माले नेता और कार्यकर्ताओं की आवाज को दबाने की कोशिश हुई थी. लेकिन, मामले में न्यायालय ने ऐतिहासिक निर्णय सुनाया. हालांकि, उन्होंने कहा कि 20 साल तक मुकदमा चला. कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा. कहा कि बहुचर्चित मरकच्चो गोलीकांड के शहीदों को नमन है. अन्याय के खिलाफ सतत संघर्ष के बलबूते न्याय मिला है. बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता चंद्रनाथ भाई पटेल ने बहस किया.