Makar Sankranti : क्या जल समाधि ले सकता है कपिलमुनि आश्रम, गंगा सागर तट पर हो रहे कटाव से चिंतित राज्य सरकार
बढ़ते जलस्तर के कारण कपिल मुनि मंदिर समुद्र के करीब आ रहा है. स्थानीय लोग बताते हैं कि कपिल मुनि के पहले के कई मंदिर समुद्र में समा चुके हैं. जादवपुर विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओशनोग्राफिक स्टडीज के प्रोफेसर तुहिन घोष ने कहा कि लगभग 30 साल पहले यहां दूसरे एक पुराने मंदिर के अवशेष दिखायी दे रहे थे.
समुद्र का बढ़ता जल स्तर और सागरद्वीप पर कपिल मुनि मंदिर (
Kapil Muni Temple) के सामने समुद्र तट का कटाव गंगासागर मेले के लिए एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है. कपिल मुनि मंदिर के सामने समुद्र तट का लगभग एक किलो मीटर का हिस्सा कीचड़ से भरा पड़ा है. जिसे देखते हुए प्रशासन ने दो नंबर समुद्र तट को बंद कर दिया है. इस घाट पर तीर्थयात्री स्नान करने ना जायें इसके लिए घाट के सामने बैरिकेडिंग भी की गयी है. ऐसे में तीर्थयात्रियों को पवित्र स्नान के लिए मंदिर से दूर चार, पांच, छह और एक व एक ए समुद्र तट पर जाना पड़ रहा है. उधर, जलवायु परिवर्तन के कारण दो नंबर समुद्र तट को काफी नुकसान पहुंचा है. यहां लगातार हो रहे मिट्टी के कटाव को रोकने में राज्य सरकार ने अपनी असमर्थता जतायी है. इस संबंध में गंगासागर मेला भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में राज्य के सिंचाई मंत्री पार्थ भौमिक ने कहा, ‘हम प्रकृति से नहीं लड़ सकते.’ शनिवार को मंत्री अरूप विश्वास ने कहा था कि प्रकृति से लड़ना असंभव है. श्री भौमिक ने संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शासन में तीर्थयात्रियों को परेशानी नहीं होगी.
कटाव रोकने के लिए लगाये गये टेट्रापोड्स
राज्य सरकार ने गंगा सागर तट पर कटाव को रोकने के लिए टेट्रापोड्स लगाये हैं. सागरद्वीप में जलवायु परिवर्तन से बढ़ते जल स्तर के कारण समुद्र तट का कटाव काफी तेजी से हो रहा है. ऐसे में समुद्री लहरों को रोकने के लिए कंक्रीट से बने टेट्रापोड्स लगाये गये हैं. यह समुद्र में दीवार की तरह काम करता है. ये पानी के बहाव से होने वाले मिट्टी के कटाव को भी रोकने में सहायक है. सिंचाई मंत्री ने कहा कि समुद्र की लहरों की वजह से हो रहे मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए टेट्रापोड लगाये गये हैं. उन्होंने बताया कि, टेट्रापोड्स को लगाने से फायदा हुआ है या नहीं यह मॉनसून में पता चलेगा. सुंदरबन के ज्वार-भाटे और तेजी से बदलते परिदृश्य के बारे में श्री भौमिक ने कहा कि सागरद्वीप के पास नदी में तलछट जमा होने के कारण बालू के टीले बन गये हैं. इसकी जानकारी पहले से हमारे पास नहीं थी.
Also Read: Ganga Sagar Mela: गंगा सागर मेले की क्या है खासियत, कैसे पड़ा ‘गंगा सागर’ नाम?
जल समाधि ले सकता है कपिलमुनि आश्रम
बढ़ते जलस्तर के कारण कपिल मुनि मंदिर समुद्र के करीब आ रहा है. स्थानीय लोग बताते हैं कि कपिल मुनि के पहले के कई मंदिर समुद्र में समा चुके हैं. जादवपुर विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओशनोग्राफिक स्टडीज के प्रोफेसर तुहिन घोष ने कहा कि लगभग 30 साल पहले यहां दूसरे एक पुराने मंदिर के अवशेष दिखायी दे रहे थे. पहले वहां रेत के टीले और वनस्पतियां थीं और उसके बाद एक सपाट समुद्र तट था. पर मेले के आयोजन के लिए धीरे-धीरे वनस्पतियों के साथ समुद्र तट से सटे भूमि को समतल कर दिया गया था. भूमि को समतल किये जाने के बाद से ही समुद्र का जल स्तर लगतार बढ़ रहा है. शहरीकरण के कारण यह समस्या पैदा हुई है.