कल है Sankashti Chaturthi, बना है शुभ योग, जानिए किस मुहूर्त मे पूजन से प्रसन्न होंगे गणेश भगवान
Sankashti Chaturthi 2021: हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है. अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. ये भगवान गणेश को समर्पित होता है.
अभी पितृ पक्ष चल रहे हैं. हर वर्ष भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से आश्विन अमावस्या तिथि तक पितरों को तर्पण और पिंडदान दिया जाता है. मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितृलोक से हमारे परिजन 16 दिनों के लिए पृथ्वी पर आते हैं और अपने परिवार के सगे संबंधियों से भोजन ग्रहण कर उन्हें आशीर्वाद देते हुए पितृलोक वापस चले जाते हैं. श्राद्ध, तर्पण आदि जो कुछ भी हम करते हैं, ये किसी और के लिये नहीं करते हैं, यह तो हम स्वयं अपने मान-सम्मानके लिये तथा अपने बच्चों को संस्कार देनेके लिये ही करते हैं.
अर्थात् जब हमारे बच्चे हमारी मरे हुए लोगों के प्रति इस श्रद्धाको देखते हैं, तब यह अवश्य ही सोचतें हैं कि जब ये हमारे पिता, दादा आदि मरे हुए लोगों के प्रति इतनी श्रद्धा रखते हैं तो फिर हमारे पिता, दादा आदि तो अभी जीवित हैं, तो हमें भी इनकी सेवा जीवित अवस्थामें करना चाहिये – यही संस्कार देनेके लिये ही और अपने मान-सम्मान के लिये ही हम ये श्राद्ध, तर्पण आदि करते हैं.
और अगर हम ये श्राद्ध आदि कार्य यह सबकुछ नहीं करते हैं तो फिर लोग हमें नास्तिक ही समझते हैं तथा वे लोग फिर हमारा मान-सम्मान भी नहीं करते हैं; इसीलिये ही ये श्राद्ध, तर्पण आदि हमें अपने मान-सम्मान के लिये करने ही पड़ते हैं.
इसके अलावा और कुछ भी नहीं हो सकता है; क्योंकि सभी लोगों को अपने-अपने कर्मोंका फल भोगना ही पड़ता है। कोई भी किसीके सुख-दुःखका कारण हो ही नहीं सकता है. इसीलिये ही कहा गया है कि –
काहु न कोउ सुख दुख कर दाता। निज कृत करम भोग सबु भ्राता।।
करम प्रधान बिस्व करि राखा। जो जस करइ सो तस फलु चाखा।
शुक्रवार, 24 सितंबर को अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है। चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश की कृपा पाने का दिन होता है. ऐसे में इस तिथि पर व्रत रखा जाता है. 24 सितंबर को पितृपक्ष, शुक्रवार और चतुर्थी का शुभ योग बन रहा है जो बहुत ही शुभ फल देने वाला होगा.
चतुर्थी तिथि पर ऐसे करें पितरों की पूजा :-
शुक्रवार को पितरों की पूजा विशेष रूप से करनी चाहिए. इसमें सुबह-सुबह उठकर स्नान करने के बाद परिवार के मृत सदस्यों को याद करते हुए उनके लिए धूप जलाएं और काले तिल के साथ तर्पण करना चाहिए.
इसके बाद दोपहर को पितरों का आह्वन करते हुए अग्नि में गुड़ और घी अर्पित करें और भोजन करने का आग्रह करना चाहिए.
संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त :-
अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 24 सितंबर के दिन यानि शुक्रवार को प्रात: 08 बजकर 32 मिनट पर प्रारंभ होगी.
इसका समापन 25 सितंबर के दिन शनिवार को प्रात: 10 बजकर 38 मिनट पर होगा.
इस दिन राहुकाल का ध्यान रखकर गणेश की पूजा अर्चना करें.
राहुकाल 24 सितंबर को दिन में 10 बजकर 10मिनट से दोपहर 11 बजकर 41मिनट तक रहेगा.
संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847