Vijaya Ekadashi 2023 Date: फाल्गुन माह (Phalguna Month) की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. एकादशी तिथि एक महीने में दो बार आती है और पूरे साल में 24 एकादशी तिथि पड़ती है. सभी 24 एकादशी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है और प्रत्येक एकादशी का महत्व भी अलग-अलग होता है. धार्मिक शास्त्रों में एकादशी के व्रत (Ekadashi Vrat) को बहुत श्रेष्ठ और मोक्ष दिलाने वाला बताया गया है. एकादशी व्रत श्री विष्णु को समर्पित होते हैं. कहा जाता है कि विजया एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के पूर्व जन्म के पापों का अंत होता है. इस बार एकादशी तिथि दो दिन पड़ रही है, इस कारण भक्तों में व्रत की तिथि को लेकर उलझन की स्थिति है. जानें विजया एकादशी व्रत कब है. विजया एकादशी पूजा विधि और इस दिन का महत्व क्या है?
विजया एकादशी व्रत कब रखा जाएगा इस बात को लेकर संशय में रहने की जरूरत नहीं है. एकादशी तिथि की शुरुआत 16 फरवरी 2023, गुरुवार के दिन सुबह 5:32 बजे से होगी और तिथि का समापन 17 फरवरी, शुक्रवार सुबह 02:49 बजे होगा. उदया तिथि के अनुसार विजया एकादशी का व्रत 16 फरवरी को रखा जाएगा. वहीं वैष्णव भक्त ये व्रत 17 फरवरी 2023 को रखें.
विजया एकादशी गुरुवार, फरवरी 16, 2023 को
17 फरवरी को पारण का समय – 08:01 AM से 09:13 AM
पारण के दिन हरि वासर समाप्ति मुहूर्त – 08:01 AM
एकादशी तिथि प्रारंभ – फरवरी 16, 2023 को 05:32 ए एम
एकादशी तिथि समाप्त – फरवरी 17, 2023 को 02:49 AM
वैष्णव विजया एकादशी शुक्रवार, फरवरी 17, 2023 को
18 फरवरी को वैष्णव एकादशी का पारण समय – 06:57 AM से 09:12 AM
पारण के दिन द्वादशी सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगी
-
एकादशी का व्रत काफी कठिन माना गया है क्योंकि इसके नियम दशमी की शाम को सूर्यास्त के बाद से ही लागू हो जाते हैं और द्वादशी की सुबह व्रत पारण तक मान्य होते हैं.
-
विजया एकादशी व्रत कर रहे हैं तो 16 फरवरी की शाम को सूर्यास्त के बाद सात्विक भोजन करें.
-
द्वादशी के दिन तक ब्रह्मचर्य का पालन करें.
-
एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें. दिन भर व्रत रखें.
-
भगवान नारायण को पीला चंदन, रोली, अक्षत, पुष्प, तुलसी, प्रसाद, वस्त्र, दक्षिणा आदि अर्पित करें.
-
व्रत कथा पढ़ें या सुनें और आरती करें.
-
व्रत निर्जल रखें यदि निर्जला व्रत रखना संभव न हो तो फलाहार और जल ले सकते हैं.
-
एकादशी की रात में जागरण करके भगवान के भजन और ध्यान करें.
-
द्वादशी को ब्राह्मण को भोजन कराकर उसे दान दक्षिणा दें.
-
दान करने के बाद ही अपने व्रत का पारण करें.
विजया एकादशी का व्रत व्यक्ति को मोक्ष की ओर ले जाता है. यदि आप शत्रुओं से परेशान हैं तो आपको विधिवत विजया एकादशी का व्रत रखना चाहिए. इससे शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति मिलती है. भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं इस व्रत का महत्व युधिष्ठिर को बताया था, इसके बाद ही पाण्डवों ने कौरवों पर विजय प्राप्त की थी.