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Vijaya Ekadashi 2023: इस दिन रखा जाएगा विजया एकादशी का व्रत, जानें क्या है इसका महत्व

Vijaya Ekadashi 2023: वर्ष में लगभग 24 से 26 एकादशी होती है और प्रत्येक एकादशी का अपना विशेष महत्व होता है, इस प्रकार विजया एकादशी का भी है. विजया एकादशी के नाम से ज्ञात होता है कि यह व्रत विजय प्रादन करने वाला व्रत है. साल 2023 में विजया एकादाशी 16 फरवरी को है.

Vijaya Ekadashi 2023: फरवरी माह की शुरूआत कल से होने जा रही है. इस माह में जया एकादशी, भीष्म द्वादशी और महाशिवरात्रि जैसे कई त्योहार मनाया जाएगा. इसी माह विजया एकादशी का त्योहार भी मनाया जाएगा. वर्ष में लगभग 24 से 26 एकादशी होती है और प्रत्येक एकादशी का अपना विशेष महत्व होता है, इस प्रकार विजया एकादशी का भी है. विजया एकादशी के नाम से ज्ञात होता है कि यह व्रत विजय प्रादन करने वाला व्रत है. साल 2023 में विजया एकादाशी 16 फरवरी को है.

विजया एकादशी व्रत मुहूर्त

विजया एकादशी पारणा मुहूर्त :08:03:55 से 09:13:09 तक 17, फरवरी को

अवधि :1 घंटे 9 मिनट

हरि वासर समाप्त होने का समय :08:03:55 पर 17, फरवरी को

पूजन विधि

भगवान विष्णु की धूप-दीप, पुष्प, चंदन, फूल, तुलसी आदि से आराधना करें. भगवान विष्णु को तुलसी अत्यधिक प्रिय है, इसीलिए इस दिन तुलसी को आवश्यक रूप से पूजन में शामिल करें और भगवान की व्रत कथा का श्रवण और श्री हरि की आरती करें. शाम के समय आरती कर फलाहार ग्रहण करें. अगले दिन सुबह किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और यथा-शक्ति दान-दक्षिणा देकर विदा करें.

पूजा के बाद इन चीजों का रखें विशेष ध्यान

पूजा के बाद कुछ बातों का खास ध्यान रखा जाता है और भक्त पूरी श्रद्धा से पालन भी करते हैं. विजया एकादशी के दिन सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है. इस दिन चावल और भारी खाद्य पदार्थों के सेवन से खासा परहेज किया जाता है. रात में पूजा करना अच्छा होता है. साथ ही इस दिन लड़ाई-झगड़े, अपशब्द कहने और किसी के साथ बुरा बर्ताव या रवैया अपनाने से परहेज करना चाहिए. अच्छा आचरण ही भगवान विष्णु को भाता है.

विजया एकादशी का महत्व

सभी व्रतों में एकादशी का व्रत सबसे प्राचीन माना जाता है. पद्म पुराण के अनुसार स्वयं महादेव ने नारद जी को उपदेश देते हुए कहा था कि, ’एकादशी महान पुण्य देने वाली होती है’. कहा जाता है कि जो मनुष्य विजया एकादशी का व्रत रखता है उसके पितृ और पूर्वज कुयोनि को त्याग स्वर्ग लोक जाते हैं. साथ ही व्रती को हर कार्य में सफलता प्राप्त होती ही है और उसे पूर्व जन्म से लेकर इस जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है.

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