नेतरहाट में दो दिनों का राशन-पानी लेकर पहुंचे ग्रामीण, जानें फील्ड फायरिंग रेंज का क्यों हो रहा विरोध
jharkhand news: नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज निर्माण का विरोध करने सैकड़ों ग्रामीण मंगलवार की सुबह से ही टुुटुवापानी मैदान पहुंचने लगे. दो दिवसीय विरोध एवं संकल्प दिवस में शामिल होने के लिए ग्रामीण ट्रैक्टर्स में राशन-पानी लेकर पहुंचे. वहीं, किसान नेता राकेश टिकैत के भाषण को ग्रामीणों ने सुना.
Jharkhand news: नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज निर्माण का विरोध करने के लिए 22 मार्च की अहले सुबह से ही लातेहार और गुमला जिला के विभिन्न गांवों के ग्रामीण टुटुवापानी मैदान पहुंचने लगे थे. ग्रामीणों को ट्रैक्टरों में सपरिवार सवार होकर टुटुवापानी पहुंचते देखा गया. यहां तक कि ग्रामीणों ने ट्रैक्टरों में दो दिनों का राशन और पानी लेकर यहां पहुंचे हैं.
किसान नेता राकेश टिकैत की बातों को ग्रामीणों ने ध्यान से सुना
दो दिवसीय विरोध एवं संकल्प दिवस में शामिल होने नेतरहाट पहुंचे किसन नेता राकेश टिकैत ने ग्रामीणों को संबोधित किया. किसान-मजदूर और गरीबों के आंदोलन में हमेशा साथ देने की बात करते हुए उन्होंने युवाओं से भी इस आंदोलन में शिरकत करने की अपील की. इधर, ग्रामीण श्री टिकैत की बातों को बड़ी ध्यान से सुन रहे थे और कई बार उन्हें तालियां बजाते भी देखा गया. श्री टिकैत ने ग्रामीणों की खूब हौसला अफजाई की और 27 वर्षों से आंदोलन जारी रखने पर उन्हें बधाई भी दिया.
ग्रामीण क्यों कर रहे इस परियोजना का विरोध
तत्कालीन बिहार सरकार ने वर्ष 1956 में मैनुवर्स फील्ड फायरिंग एड आर्टिलरी प्रैक्टिस एक्ट 1938 की धारा 9 के अंतर्गत अधिसूचना जारी किया था. इसके बाद सेना ने नेतरहाट के पठार क्षेत्र के 7 गांवों में 1964 से लेकर 1994 तक तोपों का अभ्यास किया. उक्त अधिसूचना के समाप्त होने के पूर्व 1991-92 में तत्कालीन बिहार सरकार ने अधिसूचना जारी करते हुए तोपाभ्यास की अवधि का ना सिर्फ विस्तार किया, बल्कि अधिसूचित क्षेत्रों को और बढ़ाया. इस अधिसूचना के तहत 1471 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को चिह्नित किया गया. इसके बाद क्षेत्र के दो से ढाई लाख ग्रामीणों के समक्ष विस्थापन का संकट उत्पन्न हो गया. इस अधिसूचना के बाद 22 और 23 मार्च, 1994 को यहां अभ्यास करने आये सैनिकों को विरोध का सामना करना पड़ा. उसके बाद से लगातार 22 और 23 मार्च को नेतरहाट के टुटवापानी मैदान में संकल्प सह विरोध सभा का आयोजन किया जाता है.
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कार्यक्रम स्थल में लोगों को पांरपरिक वेशभूषा एवं वाद्य यंत्रों के साथ देखा गया. कई गांवों से आये युवाओं की टोलियों को सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते देखा गया. इस मौके पर रत्न तिर्की, बासबी किंडो, दयामनी बारला, प्रभाकर तिर्की, बलराम, जेम्स हेरेंज, अनिल मनोहर, जस्निता केरकेट्टा, कुरदुला, ज्योति लकड़ा, मेघा श्रीराम, सेलेटिन कुजूर और सुनील मिंज आदि उपस्थित थे. इससे पहले अतिथियों को पारंपरिक रूप से पगड़ी पहना कर स्वागत किया गया.
रिपोर्ट : वसीम अख्तर, महुआडांड़, लातेहार.