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गोड्डा : इसीएल प्रभावित हिजुकित्ता ख के ग्रामीण हो रहे प्रदूषण से बीमार, सुविधाएं नदारद

राजमहल कोल परियोजना के प्रभावित गांव हिजूकिता के ग्रामीण को परियोजना प्रबंधन के द्वारा मूलभूत सुविधा नहीं दी जा रही है. ग्रामीण कोयला उत्खनन के लिए 42 वर्ष पूर्व परियोजना को जमीन दिया था.

राजमहल कोल परियोजना क्षेत्र के लोगों ने अपनी जमीन देकर देश के हित में काम किया. लोगों ने इस उम्मीद से अपनी बेशकीमती जमीन दान में देकर बिजली की व्यवस्था को बेहतर बनाने के साथ आर्थिक उन्नति कर पाये इसका समर्थन किया. उस वक्त स्थानीय रैयतों का भी सपना कंपनी के साथ स्वयं के बेहतर हो जाने की थी. मगर समय के साथ परियोजना आगे निकल गयी. ग्रामीण विभिन्न परेशानियों के मकड़जाल मेंं फंसकर स्वयं बदहाल हो गये. परियोजना के विस्थापित गांव में शामिल गांव में हिजुकित्ता-ख के ग्रामीण प्रदूषण से बीमार हो रहे हैं. बुनियादी सुविधाएं मयस्सर नहीं हो पायी है.

42 वर्ष पहले रैयतों ने दी थी परियोजना को जमीन

गोड्डा के राजमहल कोल परियोजना के प्रभावित गांव हिजूकिता ख के ग्रामीण को परियोजना प्रबंधन के द्वारा मूलभूत सुविधा नहीं दी जा रही है. ग्रामीण कोयला उत्खनन के लिए 42 वर्ष पूर्व परियोजना को जमीन दिया था. जमीन लेते वक्त परियोजना की ओर से ऐसे ग्रामीण व रैयतों को बड़े सपने दिखाते हुए हर तरह की सुविधा देने का वादा किया था. यहां तक कि कंपनी की ओर से ग्रामीणों को पुनर्वास के लिए पुनर्वास नीति के तहत ग्रामीणों को 50% मुआवजा भी दिया गया. ऐसे कई ग्रामीण हैं, जिन्हें हिजुकित्ता के पुनर्वास के तहत घर बनाने के लिए जमीन भी दी गयी. वर्तमान में परियोजना प्रबंधन ऐसे शेष बचे ग्रामीणों को अब तक न तो जमीन का मुआवजा दिया और ना ही उन्हें घर बनाने के लिए जमीन ही उपलब्ध करा पायी है. स्थिति नर्क से भी बदतर है. हिजुकित्ता गांव में स्थानीय लोगों को पूजन कार्य के लिए काली मंदिर भी बना था. प्रबंधन के उदासीन रवैये की वजह से काली मंदिर गड्ढे में तब्दील है. इस मंदिर के आसपास बारिश का पानी जमा होने की वजह से मंदिर परिसर में पानी भरा रहता है.

कोयले की धूल से काल के गाल में समाये गये कई लोग

स्थानीय ग्रामीणों के विरोध के कई कारण है. ग्रामीणों को हर दिन परियोजना के कोयला उत्खनन के दौरान कोयले के उड़ती धूलकण की वजह से लोग बीमारी हो गये हैं. वहीं कई वृद्ध असमय काल के गाल में समा गये. लोग बताते हैं कि परियोजना उसे कुछ नहीं दिया. मगर बीमार होन के लिए काला जहर जरूर दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि परियोजना की ओर से मूलभूत सुविधा नहीं दी जा रही है . ग्रामीण शुद्ध पेयजल के लिए परेशान हैं. पानी का छिडकाव गांव में नहीं हो रहा है. प्रदूषण से रोकथाम के लिए सकारत्मक पहल नहीं हो पा रही है. यहां बीमारी को रोकने के लिए उपचार के हेल्थ सेंटर भी नहीं है. बेरोजगार युवाओं को नौकरी के लिए भटक बाहर प्रदेशों में भटकना पड़ रहा है, जबकि बाहरी लोग प्राइवेट कंपनी में काम कर मजे काट रहे हैं. परियोजना में कार्य कर रहे प्राइवेट कंपनी बाहरी लोगों को लाकर नौकरी में रखने की वजह से स्थानीय लोगों में आक्रोश व्याप्त है. बिंदेश्वरी महतो, जगदीश महतो, दीनानाथ महतो, इंदु देवी, सत्यनारायण महतो, खिरोद महतो का कहना है कि प्रबंधन के रवैया से नाराज होकर ग्रामीण आगामी आठ जनवरी से गांव के पास आमरण अनशन करेंगें. प्रबंधन को आमरण अनशन की सूचना दे दी गयी है. प्रबंधन के द्वारा पत्र के आलोक में कोई भी सकारात्मक पहल नहीं की गयी है.

क्या कहते हैं ग्रामीण

गांव में मूलभूत सुविधा का काफी अभाव है. ग्रामीण कई समस्याओं से जूझ रहे हैं. प्रबंधन को ग्रामीणों को पुनर्वास कर देनी चाहिए. इस गांव में रहना मुश्किल है. यहां के लोगों को प्रदूषण के बीच रहकर विभिन्न बीमारियों से जूझना पड़ रहा है.

-कल्पना देवी

गांव की महिलाएं कई गंभीर बीमारी से पीड़ित है. ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो रहा है. वर्षा होने पर घरों में पानी घुसने से परेशान रहतें है. प्रदूषण से निबटारे को लेकर अब तक पानी का छिडकाव नहीं किया जा रहा है.

– सुमिता पाल

प्रबंधन की उदासीनता की वजह से ग्रामीणों को लगातार पानी की समस्या के अलावा विस्थापन की परेशानी से जूझना पड़ रहा है. गांव में नियमित स्वास्थ्य कैंप लगना चाहिए. ताकि स्वास्थ्य की जांच से लाभ मिल सके.

– मुकेश कुमार

परियोजना को कोयला उत्खनन के लिए ग्रामीण खुशी-खुशी दी. ग्रामीण ने सोचा था कि प्रबंधन गांव का विकास करेगा. लेकिन गांव के बेरोजगार युवक नौकरी के लिए भटक रहे हैं. प्रबंधन बाहरी लोगों को नौकरी दे रही है.

– अमित कुमार महतो

क्या कहते हैं प्रबंधक

ग्रामीणों की समस्या को ध्यान में रखकर कंपनी काम कर रही है. समय पर पानी तथा आवश्यक सेवा देने का काम कर रही है. विस्थापन की बातों को भी ध्यान में रखकर काम कर रही है. किसी को परेशानी नहीं होने दी जायेगी.

एसके प्रधान, कार्मिक प्रबंधक

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