प्रदूषण के खिलाफ आर-पार की लड़ाई के मूड में सरायकेला के इस गांव के ग्रामीण, नदी-नाले व तालाब भी प्रदूषित
सरायकेला-खरसावां जिले की मुड़िया पंचायत क्षेत्र के कारण प्रदूषण से काफी परेशान हैं. इससे गुस्साए ग्रामीणों ने एक कंपनी के खिलाफ आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं. ग्रामीणों का कहना है कि प्रदूषण के कारण क्षेत्र दो दर्जन से अधिक गांव प्रभावित है, वहीं नदी-नाले और तालाब का पानी भी प्रदूषित हो गया है.
Jharkhand News: सरायकेला-खरसावां जिला अंतर्गत सरायकेला अंचल क्षेत्र की मुड़िया पंचायत स्थित मसलवा गांव में एक स्टील कंपनी के प्रदूषण से आसपास की पांच पंचायत के लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. लगातार शिकायत करने के बाद भी प्रदूषण पर रोक नहीं लगाये जाने से आक्रोशित लोगों का जुटान कोलाबिरा फुटबॉल मैदान में हुआ, जहां प्रदूषण के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया गया. बैठक में रवींद्र मंडल, सुसेन मार्डी, जिप सदस्य शंभू मंडल, 20 सूत्री सदस्य मो जुबेर, मो करीम, जयप्रकाश महतो समेत विभिन्न पंचायत के ग्रामीण उपस्थित थे.
दो प्रखंड के दर्जनों गांव के लोग प्रभावित
कंपनी द्वारा फैलाये जा रहे प्रदूषण से गम्हरिया प्रखंड के मुड़िया, दुगनी, बीरबांस, चमारु तथा सरायकेला प्रखंड के मुढ़ाटांड़ पंचायत के दर्जनों गांव के लोग प्रभावित हैं. वक्ताओं ने कहा कि कंपनी द्वारा फैलाये जा रहे प्रदूषण से क्षेत्र में न केवल मानव जनजीवन बल्कि जानवर व कृषि कार्य प्रभावित हो रहा है. वहीं नदी-नाले व तालाब का पानी भी प्रदूषित हो रहा है. इसके अलावा कृषि की उपज भी घटने लगी है.
नाम बदला, पर प्रदूषण से नहीं मिली राहत
कई वर्ष पहले मसलवा में कंपनी के नाम से स्पंज आयरन का कारखाना स्थापित करने के पूर्व ग्रामीणों को बताया गया था कि कारखाना की चिमनी से निकलने वाले धुएं को प्रदूषण नियंत्रण यंत्र के माध्यम से नियंत्रित किया जायेगा, जिससे क्षेत्र में किसी तरह जनजीवन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. परंतु कारखाना का प्रोडक्शन चालू हुआ पर कंपनी ने प्रदूषण नियंत्रण यंत्र को कभी चालू नहीं किया. इससे परेशान ग्रामीणों ने प्रदूषण रोकने के लिए कंपनी से गुहार लगायी. इस बीच किसी के कारणों से उक्त कंपनी बंद हो गयी. इसके बाद स्टील प्रालि के नाम से स्पंज आयरन का कारखाना पुनः शुरू हो गया. लोगों ने कहा कि जब तक कंपनी बंद थी उन्हें प्रदूषण से संबंधित कोई समस्या नहीं हुई. कंपनी के दोबारा चालू होते ही प्रदूषण से ग्रामीणों का जीना मुश्किल हो गया है.