गोड्डा : कोयला टेस्टिंग के लिए डुमरकोल पहुंचे परियोजना पदाधिकारी व पुलिस का ग्रामीणों ने किया विरोध
ग्रामीणों ने कहा कि पूरी परियोजना क्षेत्र के गरीब आदिवासी एवं पिछडे लोगों की जमीन पर चल रही है. अपनी कीमती जमीन को देकर ग्रामीण स्वयं हर दिन बेरोजगारी व मुफलिसी के दौर से गुजर रहे हैं.
राजमल कोल परियोजना के हेड ऑफिस सेक्तोरिया के पदाधिकारी का प्रखंड के बाबूपुर पंचायत के डुमरकोल के ग्रामीणों के कड़ा विरोध का सामना करना पडा. इसीएल पदाधिकारियों के साथ पुलिस पदाधिकारियों के खिलाफ ग्रामीणों ने रोष प्रर्दशन करते हुए कोयला टेस्टिंग का विरोध किया. कोयला टेस्टिंग वाहन के साथ महागामा एसडीपीओ चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में इसीएल के पदाधिकारियों में आरके सिंह, एसके प्रधान, बीसी सिंह, प्रणव कुमार तथा ललमटिया थाना प्रभारी प्रदीप कुमार दास शामिल थे. टीम के सदस्यों के गांव स्थित स्कूल मैदान में पहुंचने पर ग्रामीणों ने विरोध करते हुए कोयला टेस्टिंग से मना किया. ग्रामीणों ने टेस्टिंग के लिए जमीन नहीं देने की घोषणा करते हुए कहा कि आदिवासियों के लिए जमीन ही उनकी पूंजी है. वे अपनी जमीन पर ही आश्रित हैं. ग्रामीणों का कहना था कि चाहे कुछ भी हो वो अपनी जमीन परियोजना को कोयला उत्खनन के लिए किसी भी कीमत पर नहीं देंगें.
पहले भी देखा है हश्र, अब विश्वास नहीं
ग्रामीणों ने कहा कि पूरी परियोजना क्षेत्र के गरीब आदिवासी एवं पिछडे लोगों की जमीन पर चल रही है. अपनी कीमती जमीन को देकर ग्रामीण स्वयं हर दिन बेरोजगारी व मुफलिसी के दौर से गुजर रहे हैं. पहले ही कंपनी ग्रामीणों का विश्वास खो चुकी है. अब विश्वास करने का सवाल ही नहीं होता है. परियोजना के पदाधिकारी आरके सिंह व एसके प्रधान ने कहा कि राजमहल परियोजना के विस्तार हेतु जमीन की जरूरत पड़ रही है. इसके लिए कोयला के टेस्टिंग की जरूरत है. यह देखा जाना है कि कोयला जमीन के कितने अंदर है. जांच से ही पता चल पायेगा. कहा कि वर्तमान समय में राजमहल परियोजना के पास छह वर्ष के लिए ही जमीन उपलब्ध है. परियोजना के विस्तार के लिए जमीन की खोज नहीं की गयी तो इसीएल का भविष्य संकट में पड़ जाएगा. ग्रामीणों के साथ अच्छी तरह से वार्ता की जा रही है. एक बार फिर से प्रयास कर प्रबंधन कोयला टेस्टिंग की कोशिश करेगा.
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