रेलवे की ओर से बंडामुंडा में मंगलवार से थर्ड लाइन का काम शुरू हो गया है. हालांकि गत 28 जनवरी व सात फरवरी की भांति इस बार भी अंचल के ग्रामीणों ने इस जमीन को अपनी बताकर इसका विरोध किया. लेकिन आरपीएफ समेत रेलवे के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर उपस्थित ग्रामीणों को समझाने-बुझाने के बाद काम शुरू करा दिया है.
उल्लेखनीय है कि बंडामुंडा से होकर जाने वाली थर्ड लाइन के निर्माण का विरोध स्थानीय उत्तम व नेपाली बस्ती के लोग कर रहे हैं. थर्ड लाइन की जमीन यहां के आदिवासियों के पुरखों की जमीन होने को लेकर इसका विरोध किया जा रहा है. साथ ही यह मांग लगातार की जाती रही है कि, यदि यह जमीन रेलवे की जमीन है, तो रेलवे की ओर से इसका दस्तावेज दिखाया जाये. साथ ही पुरानी रेलवे परियोजना मार्शलिंग यार्ड के विस्थापितों को भी अब तक न्याय नहीं मिलने से इसके प्रतिवाद में थर्ड लाइन का विरोध किया जाता रहा है.
वहीं, मंगलवार को नेपाली बस्ती के पास जब रेलवे ने फिर से थर्ड लाइन का निर्माण कार्य शुरू किया तो बंधु ओराम नामक बुजुर्ग आदिवासी ने मौके पर पहुंचकर इस जमीन को अपनी पुरखों की जमीन बताकर इसका विरोध किया. इस दौरान नेपाली बस्ती के लोग भी वहां जुट गये. इसके बाद वहां पर कुछ देर के लिये रेलवे को काम रोकना पड़ा. बाद में आरपीएफ की टीम व रेलवे अधिकारियों के समझाने-बुझाने तथा जमीन से जुड़ी सभी विवाद व समस्या का समाधान करने के पहल करने का भरोसा दिया गया. इसके बाद रेलवे की ओर से यहां पर थर्ड लाइन का काम शुरू कराया गया है.
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कार्य चालू होते ही विरोध पर उतरे बस्ती अंचल के लोग: बंधु ओराम ने बताया कि ये जमीन हमारे पुरखो की है.हमारे पास इसका दस्तावेज है. अगर रेलवे के पास कागज हैं तो दिखाये. रेलवे कागजात क्यों नहीं दिखा रहा है. सिर्फ हम सब गरीबों को परेशान किया जा रहा है और जबर्दस्ती निर्माण कार्य कराया जा रहा है. इसके बाद अन्य ग्रामीण भी इक्ट्ठा हो गये और निर्माण कार्य का विरोध शुरू कर दिया.