कैमूर पहाड़ी पर बसे दर्जनों गांवों के लोगों को आवास के लिए सरकार के द्वारा चयनित किया गया है. इस वित्तीय वर्ष में रोहतास गढ़ पंचायत में 849 लाभुकों का चुनाव हुआ था, जिसमें 615 लाभुकों के खातों में पैसे दिये जा चुके हैं.
लाभुक ललिता कुंवर, सुनील उरांव, बजरंगी उरांव, कमलेश उरांव, सतीश उरांव तथा बसंत उरांव ने बताया कि सरकार के द्वारा पहली किस्त 45 हजार रुपये की दे दी गयी है और तीन माह के अंदर उसे बनाने के लिए भी दबाव दिया गया है. पर क्षेत्र में जलस्तर घट जाने से पानी की जटिल समस्या हो गयी है. साथ ही जो बालू एस्टिमेट में दो हजार प्रति टेलर जोड़ा गया है. वही बालू डेहरी से 10 हजार से लेकर 12 हजार रुपये कीमत पर एक ट्रैक्टर लेने पर मजबूर हो रहे हैं. ऐसे में आवास का जो भी टारगेट है उसमें सक्षम होना मुश्किल है.
सरकार के द्वारा दूसरी किस्त जब तक डोर लेवल पर नहीं होती है, तब तक नहीं डाली जाती है. सरकार के द्वारा चार किस्तों में इस पैसे को दिया जाता है. पहली किस्त प्लिंथ होने पर 45 हजार तथा डोर लेबल पर होने के पर दूसरा किस्त 45 हजार तथा सेंटरिंग लगा करके ढलाई करने के बाद तीसरी किस्त 40 हजार तथा चौथी किस्त 18 हजार लेबर मिस्त्री के नाम पर दिया जाता है.
सरकार के द्वारा एक लाख 48 हजार रुपये दिये जाते हैं, जिसमें लगभग बालू पांच गाड़ी शुरू से लेकर आखिरी तक होता है. ऐसे में सिर्फ बालू में पचास हजार रुपये लगा देना होगा और पानी के लिए टैंकर से दूर-दूर से व्यवस्था बनाकर लाने का खर्च अलग से बढ़ रहा है. इसमें सरकार का ध्यान आकृष्ट हो और कोई वैकल्पिक व्यवस्था बना कर मदद की जाये.
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वही रोहतास गढ़ पंचायत के मुखिया नागेंद्र यादव ने सरकार से गुहार लगायी है कि वनवासियों को सस्ते दरों में बालू मुहैया कराये जाये और क्षेत्र में जो पानी की समस्या है उसे दूर किया जाये, ताकि जितने लोगों को आवास दिया गया है, वह समय पर अपना अपना मकान बना सकें और सरकार से दूसरा किस्त लेने के लिए सक्षम हों.