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विनोबा भावे विश्वविद्यालय में सीनेट की हुई बैठक, एक साथ 1032 करोड़ रुपये के बजट की मिली मंजूरी

विनोबा भावे विश्वविद्यालय के सीनेट की 16वीं बैठक हुई. इसमें विवि के चार साल के बजट को एक साथ मंजूरी दी. सत्र 2019-20 के लिए 198 करोड़ रुपये, सत्र 2020-21 के लिए 291 करोड़ रुपये, सत्र 2021-22 के लिए 268 करोड़ रुपये और सत्र 2022-2023 के लिए 277 करोड़ रुपये के बजट को सीनेट सदस्यों ने अनुमोदित किया.

विनोबा भावे विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में शुक्रवार को सीनेट की 16वीं बैठक हुई. इसमें 16 एजेंडे पर चर्चा की गयी. वहीं, सीनेट ने विवि के चार साल के बजट (1032 करोड़ की राशि) को एक साथ मंजूरी दी. सत्र 2019-20 के लिए 198 करोड़ रुपये, सत्र 2020-21 के लिए 291 करोड़ रुपये, सत्र 2021-22 के लिए 268 करोड़ रुपये और सत्र 2022-2023 के लिए 277 करोड़ रुपये के बजट का प्रस्ताव संकायाध्यक्ष कॉमर्स डॉ मोख्तार आलम ने रखा. जिसे सीनेट सदस्यों ने अनुमोदित किया. कुलपति डॉ मुकुल नारायण देव ने बैठक की अध्यक्षता की. कार्यवाही का संचालन कुलसचिव डॉ वीरेंद्र कुमार गुप्ता ने किया. राष्ट्रगान व विवि के कुलगीत गायन और विनोबा भावे की तस्वीर पर माल्यार्पण के बाद सीनेट की कार्यवाही शुरू हुई. स्वागत भाषण मानविकी संकायाध्यक्ष डॉ मिथिलेश कुमार सिंह ने दिया.

एजेंडा नहीं मिलने पर सदस्यों में असंतोष

सीनेट की बैठक शुरू होते ही सदस्यों ने पूर्व में एजेंडा नहीं मिलने का मुद्दा उठाया. सदस्यों का कहना था कि बैठक से एक सप्ताह पूर्व ही सदस्यों को एजेंडा दिया जाना चाहिए था. एजेंडा संख्या पांच से 11 तक में शिक्षकों की बहाली, प्रोन्नति, वेतन निर्धारण, नामांकन समेत विभिन्न मुद्दों पर संशोधित नियम-परिनियम से संबंधित विषय थे. जिस पर बहस की आवश्यकता थी. सदस्य प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि अनुमोदन से संबंधित कागजात एक सप्ताह पूर्व सभी सीनेट सदस्यों को एजेंडा मिल जाना चाहिए था. इससे मुद्दों पर मंथन करते और खुल कर अपनी बात रख सकते. लेकिन, विभावि की ओर से ऐसा नहीं किया गया. इस कारण कई मुद्दों पर बहस नहीं हो सकी. सदस्यों के असंतोष को ध्यान में रख कर उन्हें आश्वस्त करते हुए कुलसचिव डॉ वीरेंद्र कुमार गुप्ता ने प्रस्ताव को अनुमोदित कराया.

यह सीनेट बैठक है या मजाक है

सीनेट की बैठक के शून्यकाल में डॉ प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि विभावि 30 वर्ष हो गया है. यह सीनेट की 16वीं बैठक है, लेकिन मजाक जैसा लग रहा है. एक वर्ष में सीनेट की दो बैठक होनी चाहिए. इस पर कुलपति ने कोरोना काल का हवाला दिया.

अनुबंधित कर्मियों के वेतन का मामला उठाया

बैठक में एजेंसी द्वारा बहाल कर्मचारियों का मामला उठा. डॉ प्रदीप कुमार सिंह ने विभावि के कॉलेजों में अनुबंध कर्मचारियों की बहाली में एकरूपता लाने का प्रस्ताव लाया. साथ ही मार्खम कॉलेज में अनुबंध कर्मियों को चार माह से वेतन नहीं मिलने की बात रखी. कुलपति ने कहा कि एजेंसी ने मार्खम कॉलेज में 26 लाख और चतरा कॉलेज में 4.5 लाख रुपये की गड़बड़ी की है. जब तक एजेंसी पीएफ, इएसआइ और जीएसटी नहीं जमा करती है, तब तक विभावि एजेंसी को बकाया भुगतान नहीं करेगी.

प्राचार्यों के अग्रिम का मामला उठा

बैठक में कॉलेज के प्राचार्यों को मिलनेवाली अग्रिम राशि को बढ़ाने का मुद्दा भी उठा. कुलपति ने कहा कि कई कॉलेजों के प्राचार्यों पर अग्रिम राशि बकाया है, वे इसका समायोजन नहीं करा रहे हैं. इस कारण अग्रिम राशि नहीं मिल रही है. इसी राशि से परीक्षा संंबंधी कार्यों को संपन्न कराने की जिम्मेवारी प्राचार्य पर है. प्राचार्य को मिलनेवाली कंटेंजेंसी फंड से आकस्मिक खर्च किया जाये. बड़े खर्च के लिए कॉलेज से प्रस्ताव आते ही राशि मुहैया करायी जायेगी.

यह भी जानें

  • वर्ष 2022-23 के लिए 277 करोड़ के बजट का प्रस्ताव अनुमोदित

  • कुलपति बोले : छह नये डिग्री खोलने का प्रस्ताव भेजा जायेगा

  • विवि के लिए 50 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने का प्रयास है

  • पुरुष व महिला के लिए अलग-अलग हॉस्टल बनाने की योजना

इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर सीनेट में हुई चर्चा

  • शून्य काल में मार्खम कॉलेज में वोकेशनल कोर्स के कर्मचारियों को चार माह से वेतन नहीं मिलने का मुद्दा उठाया गया. इस पर कुलपति व वित्त सलाहार ने कहा कि कॉलेज से प्रस्ताव देर से आया है. एक सप्ताह के अंदर मामला निपटा लिया जायेगा.

  • डॉ केदार सिंह ने कहा कि विभावि में शोधकार्य हो रहा है. पीएचडी की डिग्री भी मिल रही है. लेकिन अथक प्रयास के बावजूद डीलिट और डीएससी का प्रावधान विभाग में नहीं है. इसे चालू करने का प्रस्ताव पेश किया. जिसे सीनेट सदस्यों ने पारित कर दिया.

  • डॉ सादिक रज्जाक ने कहा कि पीएचडी के नियम-परिनियम की कॉपी सभी विभागाध्यक्ष को मिलनी चाहिए और वेबसाइट पर भी उपलब्ध होना चाहिए. कुलपति ने इस पर सहमति जतायी.

  • डॉ जॉनी रूफिना तिर्की ने एमएड विभाग में कार्यरत कर्मचारी का वेतन 11 माह से पेंडिंग होने का मामला उठाया और वेतन भु्गतान करने की मांग की. कुलपति ने कहा कि संबंधित कर्मचारी द्वारा किये गये वित्तीय अनियमितता पर कमेटी की जांच रिपोर्ट आ गयी है. मामला जल्द निपटा लिया जायेगा.

महिला कॉलेज में शिक्षक की कमी का मामला उठा

डॉ नवेदिता चौधरी ने आरके महिला कॉलेज गिरिडीह में भौतिकी, रसायन शास्त्र व दर्शनशास्त्र विभाग में शिक्षक की कमी का मामला उठाया. कुलपति ने कहा कि विवि के अंगीभूत कॉलेजों में शिक्षकों के 200 सीट खाली हैं. इसके लिए कुलसचिव लगातार एचआरडी के संपर्क में हैं. सरकार से अनुमति मिलते ही अनुबंध पर शिक्षकों की बहाली की जायेगी. फिलहाल, पीजी टॉपरों को शिक्षण कार्य में लगाये जाने का प्रयास किया जा रहा है.

27 सदस्य ही उपस्थित

विभावि में चार साल बाद यानी वर्ष 2018 के बाद हो रही बैठक में सांसद एवं विधायक शामिल नहीं हुए. वहीं, कुल 57 सीनेट सदस्यों में से 27 ही बैठक में उपस्थित रहे. विद्यार्थी प्रतिनिधि के रूप में पीजी गणित टॉपर नॉशिंन परवीन उपस्थित रहीं. अंत में डॉ मिथलेश कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

शोध काे वैश्विक स्तर पर लाना बड़ी चुनौती : वीसी

कुलपति डॉ मुकुल नारायण देव ने कहा कि सीनेट की बैठक में अकादमिक और प्रशाासनिक निर्णय लिये जायें. वैश्विक स्तर पर विभावि शोध कार्य नहीं कर पा रहा है, यह बड़ी चुनौती है. इस दिशा में प्रयास जारी है. उन्होंंने विभावि में बीते चार साल में हुए विकास कार्य सीनेट के पटल पर रखा. कहा कि छह नये डिग्री खोलने का प्रस्ताव भेजा जायेगा. विभावि के लिए 50 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने का प्रयास चल रहा है. परिसर में पुरुष व महिला के लिए अलग-अलग हॉस्टल बनाने की योजना है. जल्द ही खोरठा, संथाली भाषा में पीजी की पढ़ाई शुरू की जायेगी. छात्रों व कर्मचारियों के हित में अलग से फंड बनाया जायेगा. नैक के लिए बहुत जल्द एसएसआर रिपोर्ट भेजी जायेगी.

शिक्षकेतरकर्मियों के प्रतिनिधि नहीं आये

हजारीबाग. सीनेट की बैठक में शिक्षकेतर कर्मचारियों के प्रतिनिधि शामिल नहीं हुए. कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संजीत पासवान ने बताया कि 2017 से सीनेट की बैठक में शिक्षकेतर कर्मचारियों का कोई प्रतिनिधि नहीं शामिल होता है. ऐसे में कर्मचारियों की समस्याओं का सुध लेनेवाला कोई नहीं है. महासंघ ने कुलपति से सीनेट चुनाव करवाने की मांग की है. कहा कि चुनाव नहीं होने के कारण सीनेट में शिक्षकेतर कर्मियों का प्रतिनिधित्व नहीं हो पा रहा है.

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