Vishnu Aarti: अजा एकादशी पर व्रती करें विष्णु जी की आरती, ओम जय जगदीश हरे… के बिना पूजा रहेगी अधूरी
Vishnu Aarti: सनातन धर्म में भादो मास में पड़ने वाली एकादशी तिथि का विशेष महत्व है. आज भाद्रपद मास की एकादशी तिथि है. इस दिन व्रत रख कर भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है. आज एकादशी पूजा के दौरान भगवान विष्णु की आरती जरुर करनी चाहिए.
Aarti: Om Jai Jagdish Hare: आज भादो मास की एकादशी तिथि है. इस एकादशी तिथि को अजा एकादशी व्रत के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है. भादो मास में पड़ने वाली एकादशी तिथि का विशेष महत्व है. आज भगवान विष्णु की पूजा करने के दौरान आरती जरूर करनी चाहिए. क्योंकि भगवान विष्णु की पूजा आरती के बिना अधूरी मानी जाती है. आरती ओम जय जगदीश हरे… पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी द्वारा सन् 1870 में लिखी गई थी. यह आरती भगवान विष्णु को समर्पित है. धार्मिक मान्यता है कि इस आरती का मनन करने से सभी देवी-देवताओं की आरती का पुण्य मिल जाता है. अजा एकादशी व्रत पूजा के दौरान आप यहां से आरती ओम जय जगदीश हरे पढ़ सकते है.
ॐ जय जगदीश हरे आरती (Aarti: Om Jai Jagdish Hare)
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
जो ध्यावे फल पावे,
दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी,
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ,
द्वार पड़ा तेरे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा ॥
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥