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Vishwakarma Puja 2020, Puja Vidhi, Muhurat, Mantra: 17 सितंबर को क्यों की जाती है विश्वकर्मा पूजा, जानें शुभ समय, पूजा करने की विधि, मंत्र, स्तुति, आरती समेत अन्य…

Vishwakarma Puja 2020, Puja Vidhi, Muhurat, Mantra: विश्वकर्मा पूजा हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है. इस बार देश के कुछ हिस्सों में 16 सितंबर दिन बुधवार को विश्वकर्मा पूजा की गयी, तो वहीं उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में आज 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा की जाएगी. बता दें कि इसी दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था. विश्वकर्मा को दुनिया का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है. इसलिए इस दिन उद्योगों, फैक्ट्र‍ियों और हर तरह के मशीन की पूजा की जाती है. भगवान विश्वकर्मा ने ही देवी-देवताओं के लिए अस्त्रों, शस्त्रों, भवनों और मंदिरों का निर्माण किया था. विश्वकर्मा ने सृष्टि की रचना में भगवान ब्रह्मा की सहायता की थी, ऐसे में इंजीनियरिंग काम में लगे लोग उनकी पूजा करते हैं. यह पूजा सभी कलाकारों, बुनकर, शिल्पकारों और औद्योगिक घरानों द्वारा की जाती है. आइए जानते है विश्वकर्मा पूजा करने के लिए शुभ समय और इस पूजा से जुड़ी पूरी जानकारी...

लाइव अपडेट

विश्वकर्मा पूजा आरती और भोजपुरी भजन Video

Vishwakarma Puja 2020, Puja Vidhi, Muhurat, Mantra: 17 सितंबर को क्यों की जाती है विश्वकर्मा पूजा, जानें शुभ समय, पूजा करने की विधि, मंत्र, स्तुति, आरती समेत अन्य...
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यूपी, बिहार, दिल्ली, हरियाणा, पश्चिम बंगाल में प्रमुख रूप से भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है. इन स्थानों में भजन गाने बनाने, आरती से लेकर स्तुति भी काफी प्रचलित है. ऐसे में आइये देखते हैं विश्वकर्मा पूजा के प्रसिद्ध वीडियो आरती और भोजपुरी भजन व गानें..

सुपरहिट विश्वकर्मा पूजा भजन

विश्वकर्मा भगवान के DJ remix Song

बाबा विश्वकर्मा का हिट भजन

बाबा विश्वकर्मा तेरी जय..

विश्वकर्मा भगवान की स्तुति

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री विश्वकर्मा विश्व के भगवान सर्वाधारणम् ।

शरणागतम् शरणागतम् शरणागतम् सुखाकारणम् ।।

कर शंख चक्र गदा मद्दम त्रिशुल दुष्ट संहारणम् ।

धनुबाण धारे निरखि छवि सुर नाग मुनि जन वारणम् ।।

डमरु कमण्डलु पुस्तकम् गज सुन्दरम् प्रभु धारणम् ।

संसार हित कौशल कला मुख वेद निज उच्चारणम् ।।

त्रैताप मेटन हार हे ! कर्तार कष्ट निवारणम् ।

नमस्तुते जगदीश जगदाधार ईश खरारणम् ।।

सर्वज्ञ व्यापक सत्तचित आनंद सिरजनहारणम् ।

सब करहिं स्तुति शेष शारदा पाहिनाथ पुकारणम् ।।

श्री विश्वपति भगवत के जो चरण चित लव लांइ है ।

करि विनय बहु विधि प्रेम सो सौभाग्य सो नर पाइ है ।।

संसार की सुख सम्पदा सब भांति सो नर पाइ है ।

गहु शरण जाहिल करि कृपा भगवान तोहि अपनाई है ।।

प्रभुदित ह्रदय से जो सदा गुणगान प्रभु की गाइ है ।

संसार सागर से अवति सो नर सुपध को पाइ है ।।

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हे विश्वकर्मा विश्व के भगवान सर्वा धारणम् ।

शरणागतम् । शरणागतम् । शरणागतम् । शरणागतम् ।।

श्री विश्वकर्मा भगवान की मुरति अजब विशाल ।

भरि निज नैन विलोकिये तजि नाना जंजाल ।।

आरती गाऊं जगदीश हरी को । विश्वकर्मा स्वामी परम श्री की ।

तन मन धन सब अर्पण तेरे । करो वास हिये मेँ प्रभु मेरे ।

शिव विरंची तुमरे गुण गावें । घनश्याम राम सिया मां ध्यावें । ।

कलियुग में कर साधन कीन्हां । चतुरानन वेद पढयो मुनि चारा ।

शिल्प कला शुभ मार्ग दीन्हा । साम यजु ऋग शिल्प भडारा । 2 ।

विश्वकर्मा नाम सदा अविनाशी । अगम अगोचर घट घट वासी ।

कल्पतरु पद सब सुख धामा । सत्य सनातन मुद मगंल नामा । 3 ।

करें अर्चन सुमरण पूजा किसकी । नहीं तुम बिन दूजा करे आसा जिसकी ।

विषय विकार मिटाओ मन के । दुख व्याधा रोग कटें तब तन के । 4 ।

माता पिता तुम शरणा गत स्वामी । तुम पूरण प्रभु नित्य अन्तर्यामी ।

हम पावन पाठ करेंहिं चितलाई । करो संकट नाश सदा सुख दाई । 5 ।

परम विज्ञानी सत्य लोक निवासी । देव तनु धर आयो ,ख राशी ।

तुम बिन जग में कौन गोसाँई । विश्वप्रताप की अब जो करे सहाई । 6 ।

बंग समुदाय ने की मां की आराधना

Rashifal, Panchang : जानें महालया और विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर मेष से मीन तक का राशिफल, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

खबरों की मानें तो विभिन्न स्थानों पर आज सुबह बंग समुदाय ने अपने घरों और पूजा मंडपों की सफाई की. यह परंपरा दशकों से चलती आ रही है. इसके बाद उन्होंने मां की आराधना की. तब जाकर रेडियो और मोबाइल आदि के माध्यम से महिषासुर मर्दिनी का मंचन देखा.

फिर नदी घाटों पर पितृ तर्पण करेंगे. बांग्ला की विशुद्ध सिद्धनाथ पंजिका के अनुसार शाम 4:29 तक और बेनीमाधव शील पंजिका के अनुसार शाम 5:04 तक अमावस्या है.

17 सितंबर के कुछ विशेष संयोग

17 सितंबर विशेष संयोग लेकर आया है. आपको बता दें कि इस तिथि को तीन महत्वपूर्ण संयोग पड़े है. आज भगवान विश्वकर्मा की पूजा तो हो ही रही है साथ ही साथ महालया (जिसके बाद से दुर्गा पूजा की शुरूआत हो जाती है) और पितृ तर्पण (पितृ पक्ष का समापन) एक साथ मनाया जा रहा है. इसके अलावा आज से ही पुरुषोत्तम मास (मलमास या अधिकमास) की शुरुआत भी हुई है. जैसा कि ज्ञात हो आमतौर पर महालया के बाद से ही शारदीय नवरात्र शुरू होने के संकेत मिल जाते हैं. लेकिन, इस साल महालया के पूरे एक महीने बाद अर्थात 17 अक्तूबर से दुर्गा पूजा की शुरुआत होगी.

'महालया अमावस्या' के अवसर पर हुगली नदी में लोगों ने लगायी पवित्र डुबकी

'महालया अमावस्या' के अवसर पर कोलकाता के हुगली नदी में बड़ी संख्या में लोग पवित्र डुबकी लगाने पहुंचे. तस्वीरों में देख सकते हैं कैसे कोरोना पर आस्था पड़ रही भारी.

जानें हर साल 17 सितंबर को क्यों की जाती है विश्वकर्मा पूजा

विश्वकर्मा पूजा देवी शिल्पी भगवान विश्वकर्मा के प्रति श्रद्धा और आस्था प्रकट करने का दिन है. ऐसी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा का जन्म भाद्रकृष्ण पक्ष की संक्रांति तिथि को हुआ था. ज्योतिषीय गणना के अनुसार आज के हिसाब से 17 सितंबर की तिथि थी. इसलिए हर साल 17 सितंबर के दिन ही भगवान विश्वकर्मा का जन्मोत्सव यानी विश्वकर्मा पूजा का आयोजन किया जाता है.

कैसे हुई थी भगवान विश्वकर्मा की उत्पत्ति

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विष्णु भगवान सागर में शेषशय्या पर प्रकट हुए. कहते हैं कि धर्म की ‘वस्तु’ नामक स्त्री से उत्पन ‘वास्तु’ के सातवें पुत्र थें, जो शिल्पशास्त्र के प्रवर्तक थे. वास्तुदेव की ‘अंगिरसी’ नामक पत्नी से विश्वकर्मा भगवान का जन्म हुआ था, अपने पिता की तरह विश्वकर्मा भी वास्तुकला के अद्वितीय आचार्य बने.

गलती से भी न करें इसका सेवन

आपको विश्वकर्मा पूजा के दिन भूलकर भी मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए.

भगवान विश्वकर्मा जी की आरती

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हम सब उतारे आरती तुम्हारी हे विश्वकर्मा, हे विश्वकर्मा।

युग–युग से हम हैं तेरे पुजारी, हे विश्वकर्मा...।।

मूढ़ अज्ञानी नादान हम हैं, पूजा विधि से अनजान हम हैं।

भक्ति का चाहते वरदान हम हैं, हे विश्वकर्मा...।।

निर्बल हैं तुझसे बल मांगते, करुणा का प्यास से जल मांगते हैं।

श्रद्धा का प्रभु जी फल मांगते हैं, हे विश्वकर्मा...।।

चरणों से हमको लगाए ही रखना, छाया में अपने छुपाए ही रखना।

धर्म का योगी बनाए ही रखना, हे विश्वकर्मा...।।

सृष्टि में तेरा है राज बाबा, भक्तों की रखना तुम लाज बाबा।

धरना किसी का न मोहताज बाबा, हे विश्वकर्मा...।।

धन, वैभव, सुख–शान्ति देना, भय, जन–जंजाल से मुक्ति देना।

संकट से लड़ने की शक्ति देना, हे विश्वकर्मा...।।

तुम विश्वपालक, तुम विश्वकर्ता, तुम विश्वव्यापक, तुम कष्टहर्ता।

तुम ज्ञानदानी भण्डार भर्ता, हे विश्वकर्मा...।।

पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त

भगवान विश्वकर्मा का जन्म भी 17 सितंबर को हुआ था. पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त 12 बजकर 35 मिनट से 3 बजकर 38 तक का समय बेहद ही शुभ रहेगा. इस बीच 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजे तक राहुकाल भी रहेगा.

आज इनकी होती है पूजा

विश्‍वकर्मा पूजा के दिन घर और कारखाने में प्रयोग होने वाले औजार और हथियारों की पूजा की जाती है. इन सबके बीच सभी औजार और अस्‍त्र-शस्‍त्र की साफ-सफाई की जाती है और उनमें तेल डालकर इनकी ग्रीसिंग की जाती है. विश्‍वकर्मा पूजा के बाद कारखाने के सभी कर्मचारियों में प्रसाद का वितरण किया जाता है और सभी मजदूर एक-दूसरे को विश्‍वकर्मा जयंती की बधाई देते हैं. दरअसल विश्‍वकर्मा भगवान को ब्रह्मांड के पहले शिल्‍पकार, वास्‍तुकार और इंजीनियर की उपाधि दी गई है.

जानें कहां-कहां मनायी जाती है विश्वकर्मा पूजा

विश्वकर्मा पूजा खासकर देश के पूर्वी प्रदेशों में मनाई जाती है, जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, असम, त्रिपुरा, वेस्ट बंगाल और ओड़िशा. मान्यता हैं कि विश्वकर्मा भगवान ने ही ब्रह्मा जी की सृष्टि के निर्माण में मदद की थी और पूरे संसार का नक्शा बनाया था. शास्त्रों के अनुसार विश्वकर्मा वास्तुदेव के पुत्र हैं.

विश्वकर्मा पूजा का धार्मिक महत्व

विश्वकर्मा पूजा उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो कलाकार, शिल्पकार और व्यापारी हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यापार में वृद्धि होती है. धन-धान्य और सुख-समृद्धि की अभिलाषा रखने वालों के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करना आवश्यक और मंगलदायी है.

विश्वकर्मा पूजा विधि-1

आज सुबह उठकर स्नानादि कर पवित्र हो जाएं. फिर पूजन स्थल को साफ कर गंगाजल छिड़क कर उस स्थान को पवित्र करें. एक चौकी लेकर उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं. पीले कपड़े पर लाल रंग के कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं. भगवान गणेश का ध्यान करते हुए उन्हें प्रणाम करें. इसके बाद स्वास्तिक पर चावल और फूल अर्पित करें. फिर चौकी पर भगवान विष्णु और ऋषि विश्वकर्मा जी की प्रतिमा या फोटो लगाएं.

एक दीपक जलाकर चौकी पर रखें. भगवान विष्णु और ऋषि विश्वकर्मा जी के मस्तक पर तिलक लगाएं. विश्वकर्मा जी और विष्णु जी को प्रणाम करते हुए उनका स्मरण करें. साथ ही यह प्रार्थना करें कि वह आपके नौकरी-व्यापार में तरक्की करवाएं. विश्वकर्मा जी के मंत्र का 108 बार जप करें. फिर श्रद्धा से भगवान विष्णु की आरती करने के बाद विश्वकर्मा जी की आरती करें. आरती के बाद उन्हें फल-मिठाई का भोग लगाएं. इस भोग को सभी लोगों और कर्मचारियों में जरूर बांधें.

क्या है पूजा का महत्व

विश्वकर्मा भगवान की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि उन्हें पहला वास्तुकार माना गया था, मान्यता है कि हर साल अगर आप घर में रखे हुए लोहे और मशीनों की पूजा करते हैं तो वो जल्दी खराब नहीं होते हैं. मशीनें अच्छी चलती हैं क्योंकि भगवान उनपर अपनी कृपा बनाकर रखते हैं. भारत के कई हिस्सों में हिस्से में बेहद धूम धाम से मनाया जाता है.

पूजा विधि-2

विश्वकर्मा भगवान की पूजा करने के लिए सुबह स्नान करने के बाद अच्छे कपड़े पहनें और भगवान विश्वकर्मा की पूजा करें. पूजा के समय अक्षत, हल्दी, फूल, पान का पत्ता, लौंग, सुपारी, मिठाई, फल, धूप, दीप और रक्षासूत्र जरूर रखें. आप जिन चीजों की पूजा करना चाहते हैं उन पर हल्दी और चावल लगाएं. साथ में धूप और अगरबत्ती भी जलाएं. इसके बाद आटे की रंगोली बनाएं. उस रंगोली पर 7 तरह का अनाज रखें. फिर एक लोटे में जल भरकर रंगोली पर रखें. फिर भगवान विष्णु और विश्वकर्मा जी की आरती करें. आरती के बाद विश्वकर्मा जी और विष्णु जी को भोग लगाकर सभी को प्रसाद बांटें. इसके बाद कलश को हल्दी और चावल के साथ रक्षासूत्र चढ़ाएं, इसके बाद पूजा करते वक्त मंत्रों का उच्चारण करें. जब पूजा खत्म हो जाए उसके बाद सभी लोगों में प्रसाद का वितरण करें.

आज ये काम जरूर करना चाहिए

-विश्वकर्मा पूजा करने वाले सभी लोगों को इस दिन अपने कारखाने, फैक्ट्रियां बंद रखनी चाहिए.

- विश्वकर्मा पूजा के दिन अपनी मशीनों, उपकरणों और औजारों की पूजा करने से घर में बरकत होती है.

-विश्वकर्मा पूजा के दिन औजारों और मशानों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

-विश्वकर्मा पूजा के दिन तामसिक भोजन (मांस-मदिरा) का सेवन नहीं करना चाहिए.

-विश्वकर्मा पूजा के दिन अपने रोजगार में वृद्धि करने के लिए गरीब और असहाय लोगों को दान-दक्षिणा जरूर दें.

-विश्वकर्मा पूजा के दिन अपने बिजली उपकरण, गाड़ी की सफाई भी करें.

घर में ऐसे करें पूजा

इस दिन दफ्तर के साथ ही घर में भी सभी मशीनों की पूजा करनी चाहिए, चाहे बिजली के उपकरण हो या फिर बाहर खड़ी गाड़ी, विश्वकर्मा पूजा के दिन सभी की सफाई करें. अगर जरूरी हो तो ऑयलिंग और ग्रीसिंग करें। इस दिन इनकी देखभाल किसी मशीन की तरह न करके, इस प्रकार करें जिससे प्रतीत हो कि आप भगवान विश्वकर्मा की ही पूजा कर रहे हों.

भगवान विश्वकर्मा की पूजा का मंत्र

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ॐ आधार शक्तपे नम: और ॐ कूमयि नम:, ॐ अनन्तम नम:, ॐ पृथिव्यै नम:

आज औजारों की होती है पूजा

विश्वकर्मा पूजा आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को की जाती है. मान्यताएं हैं कि इसी दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था. इस दिन भगवान विश्वकर्मा के साथ ही कारखानों और फैक्ट्रियों में औजारों की पूजा की जाती है.

हर वर्ष 17 सितंबर को ही क्यों मनाई जाती है विश्वकर्मा पूजा

भगवान विश्वकर्मा की जयंती को लेकर कुछ मान्यताएं हैं. कुछ ज्योतिषाचार्यो के अनुसार भगवान विश्वकर्मा जी का जन्म आश्विन कृष्णपक्ष का प्रतिपदा तिथि को हुआ था. वहीं कुछ लोगों का मनाना है कि भाद्रपद की अंतिम तिथि को भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है. वैसे विश्वकर्मा पूजा सूर्य के पारगमन के आधार पर तय किया जाता है. भारत में कोई भी तीज व्रत और त्योहारों का निर्धारण चंद्र कैलेंडर के मुताबिक किया जाता है. लेकिन विश्वकर्मा पूजा की तिथि सूर्य को देखकर की जाती है। जिसके चलते हर साल विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को आती है.

कौन हैं भगवान विश्वकर्मा

ऐसी मान्यता है कि पौराणिक काल में देवताओं के अस्त्र-शस्त्र और महलों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था। भगवान विश्वकर्मा को निर्माण और सृजन का देवता माना जाता है. भगवान विश्वकर्मा ने सोने की लंका, पुष्पक विमान, इंद्र का व्रज, भगवान शिव का त्रिशूल, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ नगर और भगवान कृष्ण की नगरी द्वारिका को बनाया था. भगवान विश्वकर्मा शिल्प में गजब की महारथ हासिल थी जिसके कारण इन्हें शिल्पकला का जनक माना जाता है.

भगवान विश्वकर्मा के पूजन-अर्चन किए बिना कोई भी तकनीकी कार्य शुभ नहीं माना जाता

मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा के पूजन-अर्चन किए बिना कोई भी तकनीकी कार्य शुभ नहीं माना जाता. इसी कारण विभिन्न कार्यों में प्रयुक्त होने वाले औजारों, कल-कारखानों में लगी मशीनों की पूजा की जाती है. भगवान विश्वकर्मा के जन्म को लेकर शास्त्रों में अलग-अलग कथाएं प्रचलित हैं.

17 सितम्बर दिन गुरुवार का शुभ मुहूर्त

शुद्ध आश्विन कृष्ण्पक्ष अमावश्या शाम 04 बजकर 15 मिनट के उपरांत प्रतिपदा

श्री शुभ संवत -2077,शाके -1942,हिजरीसन -1442-43,

सूर्योदय -05:55

सूर्यस्य -06:05

सूर्योदय कालीन नक्षत्र -पूर्वाफल्गुन उपरांत उत्तराफाल्गुन, शुभ- योग, च -करण

सूर्योदय कालीन ग्रह विचार -सूर्य-सिंह, चंद्रमा-सिंह, मंगल-मीन, बुध-कन्या, गुरु-धनु, शुक्र-कर्क, शनि-धनु, राहु-मिथुन केतु-धनु

चौघड़िया,आज का शुभ समय

सुबह 06.01 से 7.30 बजे तक शुभ

सुबह 07.31 से 9.00 बजे तक रोग

सुबह 09.01 से 10.30 बजे तक उद्वेग

सुबह 10.31 से 12.00 बजे तक चर

दोपहर 12.01 से 1.30 बजे तक लाभ

दोपहर 01.31 से 03.00 बजे तक अमृत

दोपहर 03.01 से 04.30 बजे तक काल

शाम 04.31 से 06.00 बजे तक शुभ

उपाय

तंदूर की बनी रोटी कुत्तों को खिलायें

आराधनाः ऊं हं हनुमते रूद्रात्मकाय हुं फट कपिभ्यो नम: का 1 माला जाप करें।

नोट-

राहुकाल 13:30 से 15 बजे तक।

दिशाशूल-अग्नेय एवं दक्षिण

।।अथ राशि फलम्।।

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