Vishwakarma Puja 2022: भगवान विश्वकर्मा के अद्भुत आर्किटेक्चर का आज भी नहीं कोई तोड़ नहीं है उन्होंने ही विश्व का मानतचित्र बनाया था. इतना ही नहीं सोने की लंका से लेकर द्वारिकापुरी तक थी बसाने का श्रेय भगवान विश्वकर्मा को ही है. उन्हें देवों के शिल्पी, संसार के पहले इंजीनियर वास्तुकला के ज्ञाता के रूप में जाना और पूजा जाता है. भगवान विश्वकर्मा की पूजा आज, 17 सितंबर, दिन शनिवार को की जा रही है. इस शुभ दिन पर जानें विभिन्न युगों में उनके द्वारा तैयार अदभुत कलाकृतियों के बारे में.
भगवान विश्वकर्मा को वास्तुशास्त्र के प्रकांड विद्वान के रूप में माना जाता है. विष्णुपुराण के अनुसार भगवान विश्वकर्मा देवताओं के काष्ठशिल्पी माने जाते हैं. ब्रह्माजी ने भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का शिल्पीकार नियुक्त किया था. उन्होंने सबसे पहले इस सृष्टि का मानचित्र बनाया था. स्वर्गलोक, इंद्रपुरी, कृष्ण भगवान की द्वारिका नगरी, सुदामापुरी, हस्तिनापुर, पांडवों का इंद्रप्रस्थ नगरी, गरूढ़भवन, कुबेरपुरी, यमपुरी, सोने की लंका जैसे कई नगर और स्थानों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया.
सत्य युग, स्वर्ग लोक: स्वर्ग लोक या स्वर्ग, जहां भगवान इंद्र के शासन में देवताओं का निवास माना जाता है. इसका निर्माण देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था.
त्रेता युग, सोने की लंका: भगवान शिव और पार्वती के लिए सोने की लंका बनाई जो बाद में रावण की लंका बन गई. जब पार्वती ने शिव से कहा कि देवताओं की तरह हमारा भी कोई महल होना चाहिए. तब शिव ने विश्वकर्मा और कुबेर को बुलाकर समुद्र के बीच सोने का महल बनवाया. इसे ही सोने की लंका कहा गया. इसे देख रावण को लालच आया और रावण ब्राह्मण का भेष धारण कर शिवजी के पास गया और दान में सोने की लंका मांग ली.
द्वापर युग, द्वारका: श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार, विश्वकर्मा जी ने भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारिका का भी निर्माण किया था. उन्होंने वास्तु शास्त्र को ध्यान में रखते हुए ही इसकी चौड़ी सड़कें, चौराहे और गलियों को बनाया था.
कलियुग हस्तिनापुर और इंद्रप्रस्थ: हस्तिनापुर और इंद्रप्रस्थ महाभारत काल में पाडंवों और कौरवों के लिए बनाया था. पांडवों और कौरवों के बीच बंटवारे के बाद पांडवों को खांडव वन दे दिया गया जहां भगवान श्रीकृष्ण ने भगवान विश्वकर्मा का आह्वान कर इंद्रप्रस्थ बसाया. साथ ही कौरवों के लिए हस्तिनापुर का भी निर्माण किया था.
शास्त्रों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र, शिवजी का त्रिशुल, कुबेर के लिए पुष्पक विमान, इंद्र के लिए दधीचि की अस्थियों से वज्र, यमराज के लिए कालदंड समेत अनेक अस्त्र-शस्त्र और उपकरणों का निर्माण भी किया. इनको यंत्र, औजार, उपकरणों का देवता माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस सृष्टि में निर्मित होनेवाली सभी वस्तुओं के मूल में भगवान विश्वकर्मा हैं.
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इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर दिन शनिवार को है. इस दिन सूर्य की कन्या संक्रांति भी है. इस दिन सूर्य सिंह राशि में निकलकर क्न्या राशि में गोचर करेंगे. हर साल कन्या संक्रांति के अवसर पर ही विश्वकर्मा पूजा मनाया जाता है.