बोलपुर (पश्चिम बंगाल), मुकेश तिवारी. पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में मौजूद विश्व भारती विश्वविद्यालय को हेरिटेज साइट घोषित करने के लिए केंद्र सरकार पहले ही पहल कर चुकी है. यूनेस्को जल्द ही प्रसिद्ध विश्वविद्यालय को विश्व धरोहर घोषित करेगा. 1921 में 1130 एकड़ पर विश्वभारती की स्थापना की गयी थी. मई 1922 में जब तक विश्व भारती सोसाइटी को एक संगठन के रूप में शामिल नहीं किया गया, तब तक इसका नाम नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के नाम पर रखा गया था. रवींद्रनाथ ने उस समय अपनी कई संपत्तियां, जमीन और एक बंगला विश्व भारती सोसाइटी को दान कर दिया था. यह आजादी तक एक कॉलेज था और 1951 में संस्थान को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था.
विश्व भारती विश्वविद्यालय के पहले थे रथींद्रनाथ टैगोर
विश्व भारती विश्वविद्यालय के पहले कुलपति रवींद्रनाथ टैगोर के पुत्र रथींद्रनाथ टैगोर थे और दूसरे कुलपति नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के दादा थे. बताया जाता है कि कुछ दिन पहले यूनिवर्सिटी के एक समारोह में बोलते हुए मौजूदा वाइस चांसलर बिद्युत चक्रवर्ती ने कहा कि यूनेस्को हेरिटेज कमीशन दुनिया में पहली बार किसी जीवित यूनिवर्सिटी को हेरिटेज बनाने की सोच रहा है, जो हम पर बहुत बड़ा कर्ज है. इसके अलावा उत्तराखंड के रामगढ़ में विश्व भारती विश्वविद्यालय का एक परिसर भी खोला जा रहा है. इससे पहले इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (ICOMOS) के इस प्रतिनिधिमंडल ने विश्व भारती विश्वविद्यालय के विभिन्न स्थानों का दौरा किया.
विश्व भारती में खुशी का माहौल
टीम में एक अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ और भारत सरकार का एक प्रतिनिधि शामिल था. उन्होंने विश्व भारती के मंदिर, आर्ट गैलरी समेत कई जगहों का दौरा किया. यूनेस्को की वेबसाइट से उपलब्ध जानकारी के अनुसार, विश्व भारती को विरासत की मान्यता का मुद्दा 2010 में योजना में लाया गया था. उस वर्ष कविगुरु की 150वीं जयंती थी. उस साल केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने शांति निकेतन को विरासत स्थल घोषित करने के लिए दूसरी बार आवेदन किया था. विश्व भारती विश्वविद्यालय विश्व विरासत स्थल के रूप में यूनेस्को की सूची में शामिल होने की खबर से विश्व भारती के छात्र-छात्राओं समेत अध्यापकों ने भी खुशी है.