शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल करने की सिफारिश
नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा करीब एक सदी पहले स्थापित शांतिनिकेतन को एक अंतरराष्ट्रीय सलाहकार निकाय ने यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल करने की सिफारिश की है. केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने यह जानकारी दी.
नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा करीब एक सदी पहले स्थापित शांतिनिकेतन को एक अंतरराष्ट्रीय सलाहकार निकाय ने यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल करने की सिफारिश की है. केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने यह जानकारी दी. भारत लंबे समय से पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित इस सांस्कृतिक स्थल को यूनेस्को की सूची में शामिल किये जाने को लेकर प्रयास करता रहा है.
केंद्रीय मंत्री ने किया ट्वीट
रेड्डी ने मंगलवार देर रात एक ट्वीट में कहा, ‘गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर भारत के लिए अच्छी खबर है. पश्चिम बंगाल में शांतिनिकेतन को यूनेस्को विश्व धरोहर केंद्र की सलाहकार संस्था आईसीओएमओएस द्वारा विश्व विरासत सूची में शामिल करने की सिफारिश की गयी है.’
सितंबर में हो सकती है औपचारिक घोषणा
मंत्री ने अपने ट्वीट में कहा, ‘यह दुनिया को हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत दिखाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाता है. सितंबर 2023 में सऊदी अरब के रियाद में होने वाली विश्व विरासत समिति की बैठक में इसकी औपचारिक घोषणा की जायेगी.’
आईसीओएमओएस के बारे में जानें
फ्रांस स्थित इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (आईसीओएमओएस) एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है, जिसमें पेशेवर, विशेषज्ञ, स्थानीय अधिकारियों, कंपनियों और विरासत संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं और यह वास्तुकला और विरासत के संरक्षण और वृद्धि के लिए समर्पित है.
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पहला विश्व विद्यालय बना विश्व भारती
इस सिफारिश को ‘गर्व का क्षण’ बताते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसका स्वागत किया है. विश्वविद्यालय की प्रवक्ता महुआ बंद्योपाध्याय ने बुधवार को कहा, ‘हमारी सूचना के अनुसार, विश्व-भारती भारत का पहला संचालित विश्वविद्यालय है, जिसे यह सम्मान मिलेगा.’
बंगाल और भारत के लिए गर्व का क्षण
उन्होंने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को विश्वविद्यालय को बताया कि यूनेस्को की सलाहकार संस्था आईसीओएमओएस ने विश्व भारती को विश्वविरासत स्थल में शामिल करने की सिफारिश की है. उन्होंने कहा, ‘गुरुदेव की जयंती पर आयी यह खबर बंगाल और भारत के लिए गर्व का क्षण होना चाहिए.’
कुलपति बोले -बहुत अच्छी खबर
गुरुदेव की 162वीं जयंती 9 मई 2023, बैशाख महीने के 25वें दिन है, जिसका दुनियाभर के बंगालियों में बड़ा महत्व है. विश्वभारती के कुलपति प्रोफेसर बिद्युत चक्रवर्ती ने कहा, ‘यह बहुत अच्छी खबर है और सभी के लिए गर्व का विषय है. विश्व भारती से जुड़े सभी पक्षकारों, सभी लोगों के लिए.’