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UP Election 2022: वीवीपैट मशीन क्या है, निष्पक्ष चुनाव कराने में किस तरह करती है मदद?

UP Election 2022: VVPAT प्रणाली वाली EVM पूरी पारदर्शिता के साथ मतदान प्रणाली की सटीकता सुनिश्चित करती हैं और मतदाताओं का विश्वास बहाल करती हैं. ईवीएम और VVPAT चुनाव प्रक्रिया को तेज करते हैं, क्योंकि EVM पर मतों की गिनती मतपत्रों की गिनती की तुलना में बहुत कम समय लेती है.

By Prabhat Khabar News Desk | February 14, 2022 6:14 AM
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UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के दूसरे चरण का मतदान 14 फरवरी को होना है. इसे लेकर निर्वाचन आयोग ने खास तैयारियां की हुई है. मतदान में वीवीपैट मशीन की अहम भूमिका होती है. आज हम आपको बताएंगे कि वीवीपैट मशीन क्या है और चुनाव में इसकी क्या भूमिका है…

VVPAT का फुल फॉर्म

दरअसल, वीपीपैट मशीन का पूरा नाम वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल है. यह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम से जुड़ी एक स्वतंत्र प्रिंटर प्रणाली है, जो मतदाताओं को यह बताती है कि उनका वोट उनके पसंदीदा उम्मीदवार को ही मिला है.

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हर ईवीएम के साथ लगायी जाती है वीवैपैट मशीन

जब भी कोई मतदाता वोट डालता है तो वीवीपैट से निकलने वाली पर्ची उनको यह बताती है कि उनका वोट किस प्रत्याशी को गया है. अब हर ईवीएम के साथ एक वीवीपैट मशीन लगाई जाती है ताकि चुनाव निष्पक्ष ढंग से सम्पन्न हो.

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कैसे काम करता है वीवीपैट?

  • भारत में मतदान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का उपयोग करके किया जाता है, जिसे दो इकाइयों के साथ डिजाइन किया गया है- नियंत्रण इकाई और मतदान इकाई.

  • मशीन की बैलेटिंग यूनिट में उम्मीदवारों के नाम और पार्टी चिन्हों की एक सूची होती है, जिसके आगे नीले रंग का बटन होता है. मतदाता जिस उम्मीदवार को वोट देना चाहता है, उसके नाम के आगे वाला बटन दबा सकता है.

  • जब मतदाता ईवीएम पर वोट डालता है, तो ईवीएम से जुड़ा प्रिंटर जैसा वीवीपैट एक पर्ची बनाता है, जिसमें उस उम्मीदवार का क्रमांक, नाम और चुनाव चिन्ह दिखाई होता है, जिसे वोट दिया गया था.

  • इस पर्ची से मतदाता अपने डाले गए वोट का सत्यापन कर सकता है.

  • यह वीवीपैट पर्ची अपने आप कटने से पहले 7 सेकंड के लिए प्रदर्शित होती है.

  • पर्ची को एक बार देखने के बाद काट दिया जाता है और वीवीपैट मशीन के ड्रॉप बॉक्स में गिरा दिया जाता है. जिसके बाद एक बीप सुनाई देती है.

  • वीवीपैट की यह पर्ची आपको नहीं दी जाती है. सिर्फ पोलिंग अधिकारी ही वीवीपैट की इस पर्ची को देख सकते हैं.

  • चुनाव की मतगणना के वक्त किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में इन पर्चियों की भी गणना की जा सकती है.

सितंबर 2013 में पहली बार वीवीपैट का इस्तेमाल हुआ

वीवीपीएटी का उपयोग पहली बार अक्टूबर 2010 में एक सर्वदलीय बैठक के दौरान सुझाया गया था. इसके बाद, केंद्र सरकार ने अगस्त 2013 में एक अधिसूचना जारी कर चुनाव नियम, 1961 में संशोधन किया, ताकि आयोग इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग के साथ वीवीपीएटी का उपयोग कर सके. ईवीएम के साथ वीवीपैट का पहली बार सितंबर 2013 में नागालैंड के त्युएनसांग जिले में नोकसेन विधानसभा सीट के उपचुनाव में इस्तेमाल किया गया था.

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ईवीएम के साथ वीवीपैट का महत्व

वीवीपैट, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में संभावित चुनावी धोखाधड़ी या खराबी का पता लगाने में मदद करता है. यह संग्रहीत इलेक्ट्रॉनिक परिणामों के ऑडिट के लिए एक साधन प्रदान करता है. यह वोटों को बदलने या नष्ट करने से बचाने में मददगार साबित होता है. वीवीपैट प्रणाली वाली ईवीएम पूरी पारदर्शिता के साथ मतदान प्रणाली की सटीकता सुनिश्चित करती हैं और मतदाताओं का विश्वास बहाल करती हैं. ईवीएम और वीवीपीएटी चुनाव प्रक्रिया को तेज करते हैं, क्योंकि ईवीएम पर मतों की गिनती मतपत्रों की गिनती की तुलना में बहुत कम समय लेती है.

Posted By: Achyut Kumar

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