धार्मिक अनुष्ठानों के लिए राशि का इंतजार, छह माह बाद भी नहीं मिला आवंटन
खरसावां (शचिंद्र कुमार दाश) : चालू वित्तीय वर्ष में करीब छह माह गुजरने को हैं, लेकिन अब तक खरसावां अंचल कार्यालय को पूजा मद में आवंटन नहीं मिला है. खरसावां में दस अलग-अलग पूजा व धार्मिक अनुष्ठानों के लिये राज्य सरकार की ओर से खरसावां अंचल कार्यालय को साढ़े पांच लाख का आवंटन मिलता रहा है. इस राशि से दस अलग-अलग पूजा व धार्मिक अनुष्ठानों में खर्च किये जाते हैं, जबकि शेष राशि का उपयोग मंदिर की मरम्मत व रखरखाव पर खर्च किया जाता है.
खरसावां (शचिंद्र कुमार दाश) : चालू वित्तीय वर्ष में करीब छह माह गुजरने को हैं, लेकिन अब तक खरसावां अंचल कार्यालय को पूजा मद में आवंटन नहीं मिला है. खरसावां में दस अलग-अलग पूजा व धार्मिक अनुष्ठानों के लिये राज्य सरकार की ओर से खरसावां अंचल कार्यालय को साढ़े पांच लाख का आवंटन मिलता रहा है. इस राशि से दस अलग-अलग पूजा व धार्मिक अनुष्ठानों में खर्च किये जाते हैं, जबकि शेष राशि का उपयोग मंदिर की मरम्मत व रखरखाव पर खर्च किया जाता है.
खरसावां अंचल कार्यालय की ओर से इस वर्ष पूजा मद में साढ़े छह लाख रुपये का आवंटन मांगा गया है. चालू वित्तीय वर्ष में चडक पूजा, रथ यात्रा, इंद्रोत्सव, जंताल पूजा का आयोजन अन्य मद की राशि से किया गया है. अगले माह दुर्गा पूजा व काली पूजा का आयोजन होना है. प्रत्येक सप्ताह पाउड़ी मंदिर में भी पूजा पर इसी मद से राशि खर्च की जाती है.
खरसावां के मां पाउड़ी के पीठ पर प्रत्येक सप्ताह पूजा होती है. इसमें प्रति माह करीब 12 हजार रुपये खर्च होते हैं, लेकिन इस वर्ष आवंटन नहीं मिला है. इस वर्ष के दुर्गा पूजा को लेकर आगामी 30 सितंबर को अंचल अधिकारी की अध्यक्षता में अंचल कार्यालय में बैठक का आयोजन किया गया है. बैठक में दुर्गा पूजा के आयोजन पर विचार विमर्श किया जायेगा.
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खरसावां में दस धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन सरकारी खर्च पर होता है. बताया जाता है कि राजा-राजवाड़े के समय में इन धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन राजकोष से होता था. 1947 में देश की आजादी के बाद देशी रियासतों के भारत गणराज्य में विलय के दौरान खरसावां के अंतिम राजा रामचंद्र सिंहदेव व तत्कालीन गृह सचिव के बीच मर्जर एग्रीमेंट हुआ. मर्जर एग्रीमेंट के मुताबित दस धार्मिक अनुष्ठान व पूजा के आयोजन की जिम्मेवारी राज्य सरकार की है.
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झारखंड अलग राज्य गठन के पूर्व इस मद पर काफी कम राशि मिलती थी. अलग राज्य बनने के बाद राशि में बढ़ोत्तरी हुई है. पिछले 15 सालों से इस मद में करीब साढ़े पांच लाख रुपये का सालाना आवंटन मिलता है. चालू वित्तीय वर्ष में सरकार से साढ़े छह लाख रुपये के आवंटन की मांग की गयी है, लेकिन अब तक आवंटन नहीं मिला है.
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आयोजन खर्च
रथ यात्रा : 55 हजार
चडक पूजा : 30 हजार
इंद्रोत्सव : 7.5 हजार
धुलिया जंताल : 15 हजार
नुआखाई जंताल : 11 हजार
दुर्गा पूजा : 80 हजार
काली पूजा : 40 हजार
पाउड़ी पूजा : 1.56 लाख
मुहर्रम : 12 हजार
चैत्र पर्व : 50 हजार
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खरसावां के सीओ मुकेश मछुआ ने बताया कि जिला प्रशासन से पूजा मद में आवंटन की मांग की गयी है. अब तक आवंटन नहीं मिला है. जल्द ही आवंटन मिलने की संभावना है.
Posted By : Guru Swarup Mishra