धनबाद में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की योजना फेल, हर जगह पर आधा अधूरा ही हुआ काम
धनबाद के सरकारी कार्यालयों में इसे हर हाल में बनाने को कहा गया. इसके लिए सभी कार्यालयों को पैसे भी दिये गये. इसको लेकर जिले में अभियान चला. इस दौरान लाखों पौधे भी लगाये गये थे.
जलापूर्ति की समस्या से सब जूझ रहे हैं. इसको लेकर कई तरह की तैयारी की गयी, तो नियम भी बने. इनमें सबसे बड़ा कदम उठाया गया कि हर घर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग जरूरी कर दिया गया. नहीं बनाने पर दंड स्वरूप डेढ़ गुना होल्डिंग टैक्स वसूला जाने लगा, साथ ही तय हो गया कि बिना इसके किसी भी घर या अपार्टमेंट का नक्शा पास नहीं होगा.
दूसरी ओर सभी सरकारी कार्यालयों में इसे हर हाल में बनाने को कहा गया. इसके लिए सभी कार्यालयों को पैसे भी दिये गये. इसको लेकर धनबाद में अभियान चला. इस दौरान लाखों पौधे भी लगाये गये थे. इन सब पर लाखों रुपये खर्च किये गये और वर्ष 2019 में जल शक्ति अभियान के तहत धनबाद को राज्य में पहला स्थान मिला. शहरी क्षेत्र में सब ठीक रहे, इसके लिए नगर निगम को इसका नोडल एजेंसी बनाया गया है.
पर बरसात पूर्व तैयारियों का जायजा लेने के लिए जब प्रभात खबर की टोली ने गुरुवार को जिले के विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यालयों का निरीक्षण किया, तो हकीकत सामने आ गयी. वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम कहीं बना ही नहीं है, तो कहीं बनने के वर्षों बाद भी उसका उपयोग नहीं हाे पा रहा है. अधिकांश जगहों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग का सिस्टम फेल था. कहीं कचरा डंप हो रहा था, तो कहीं उसमें छत से आनेवाली पाइप भी नहीं जुड़ी हुई थी. दरअसल, वर्ष 2019 में कुछ काम कागज पर हुआ, तो कुछ जैसे-तैसे, बचीखुची कसर इसके देखरेख की व्यवस्था का नहीं होना रहा. इस वजह से सब साफ हो गया और हर जगह गड़बड़ी मिली. पढ़ें टीम प्रभात खबर की यह पड़ताल.
समाहरणालय में दो योजनाएं एक में टूटी कुर्सियां, तो दूसरी गमला रखने की जगह बनी
धनबाद समाहरणालय में वित्त वर्ष 2005-06 में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की दो योजनाएं ली गयी थीं. एक योजना की लागत 64,500 रुपये था. काम के नाम पर 79.5 फीट गहरा गड्ढा खोद कर उस पर प्लास्टर कर दिया गया. लेकिन समाहरणालय की छत से पाइप लाइन के जरिये इसे जोड़ने का काम आज तक पूरा नहीं हुआ. हद तो यह है कि अब एक रेन वास्टर हार्वेस्टिंग पर टूटी हुई कुर्सियां व अन्य कचरा का सामान रखा हुआ है, तो दूसरे पर पौधे लगा गमला सजाया गया है. दोनों में से किसी का उपयोग नहीं हो रहा है. बारिश का पानी यूं ही बरबाद हो जा रहा है.
मिश्रित भवन : दो रेन वाटर हार्वेस्टिंग योजनाएं, दोनों फेल
मिश्रित भवन में भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग की दो योजनाएं ली गयीं. दोनों का काम भी हुआ, लेकिन दोनों की स्थिति बुरी है. दोनों खुला हुआ है. आस-पास कूड़ा-कचड़ा फेंका रहता है. गड्ढे के अंदर प्लास्टिक की बोतलें व अन्य कचरा है, जबकि नियम है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग के जरिये केवल साफ पानी ही अंदर जाये. इस भवन में राज्य सरकार के दो दर्जन से अधिक विभागों के कार्यालय हैं.
जहां प्रभात खबर की टीम गयी
प्रभात खबर की टीम ने गुरुवार को समाहरणालय, वरीय पुलिस अधीक्षक कार्यालय, धनबाद नगर निगम, मिश्रित भवन, जमाडा कार्यालय व एसएनएमएमसीएच में रेन वाटर हार्वेस्टिंग का जायजा लिया. कहीं भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग चालू हालत में नहीं मिली.
बड़ा सवाल
जब रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं बनाने पर आम लोगों को चुकाना पड़ता है डेढ़ गुना अधिक होल्डिंग टैक्स, फिर सरकारी कार्यालयों पर क्यों नहीं लागू होता यह नियम
आम लोगों के लिए दंड, साहबों को माफी
300 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाले घर या बहुमंजिला इमारत में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं होने पर नगर निगम डेढ़ गुना होल्डिंग टैक्स वसूल करता है. यह व्यवस्था झारखंड बिल्डिंग बायलॉज के तहत है, पर सरकारी कार्यालयों के लिए कोई प्रावधान नहीं है.
नगर निगम की मेहरबानी से शहरी क्षेत्र के 9184 घरों में अब तक नहीं है व्यवस्था
झारखंड बिल्डिंग बॉयलॉज 2016 के तहत बिना रेन वाटर हार्वेस्टिंग के नक्शा पास नहीं होगा, लेकिन नगर निगम में इसका पालन नहीं होता. शहर के 50 फीसदी अपार्टमेंट में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं है, जबकि प्रोजेक्ट के नक्शा में यह दिखाया जाता है. अभियंता व बिल्डर की मिली भगत से बिना जांचे नक्शा पास कर दिया जाता है. बाद में भी जांच नहीं होती. इसी वजह से वर्ष 2019 में जल शक्ति अभियान के क्रम में जब 22669 घरों का सर्वे किया गया, तो 3000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले 9184 अपार्टमेंट व घर बिना रेन वाटर हार्वेस्टिंग के मिले थे.