कोलकाता : पश्चिम बंगाल की राजनीति में लोकसभा चुनाव के बाद परिस्थितियां बदल चुकी हैं. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा 18 सीट जीतकर प्रमुख विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी. अब विधानसभा चुनाव में भी भाजपा राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस को कड़ी टक्कर देती नजर आ रही है.
यही वजह है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की ओर से चौरंगी विधानसभा सीट से फिर मैदान में खड़ीं निवर्तमान विधायक नयना बंद्योपाध्याय की जीत की राह इस बार आसान नहीं दिख रही है. लोकसभा में तृणमूल संसदीय दल के नेता व उत्तर कोलकाता से सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय की पत्नी नयना बंद्योपाध्याय को संयुक्त मोर्चा और भाजपा उम्मीदवार से कड़ी टक्कर मिल रही है.
संयुक्त मोर्चा की तरफ से प्रदेश कांग्रेस के कद्दावर नेता संतोष पाठक मैदान में हैं. महानगर के 45 नंबर वार्ड से कई बार पार्षद रह चुके संतोष पाठक की इस क्षेत्र में गहरी पैठ है. वहीं, भाजपा की ओर से देवव्रत माजी मैदान में हैं. भाजपा भी इस सीट पर कब्जा के लिए पूरा जोर लगा रही है. ऐसे में चौरंगी विधानसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा रहा है.
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चौरंगी विधानसभा सीट पर वर्ष 2006 से तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है. तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बख्शी ने 2006 में यहां से जीत दर्ज की थी. इसके बाद वर्ष 2011 में पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा की पत्नी शिखा मित्रा ने यहां से जीत दर्ज की. तब सोमेन व शिखा मित्रा तृणमूल में ही थे और बाद में दोनों ने पार्टी छोड़ दी.
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इसके बाद वर्ष 2014 में इस सीट पर हुए उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर नयना बंद्योपाध्याय ने जीत दर्ज की. इसके बाद वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव में नयना ने अपनी सीट बरकरार रखी और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी व दिग्गज कांग्रेस नेता सोमेन मित्रा को 13,260 वोटों के अंतर से पराजित कर दिया.
भारतीय जनता पार्टी के रितेश तिवारी को उस वक्त 15,707 वोटों से संतोष करना पड़ा था. वह तीसरे नंबर पर रहे थे. कांग्रेस से शिखा मित्रा की नाराजगी को देखते हुए भाजपा ने चौरंगी से उन्हें टिकट दे दिया था. बाद में शिखा ने कहा कि वह भाजपा के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ेंगी. इसकी वजह से भाजपा की काफी किरकिरी हुई थी.
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Posted By : Mithilesh Jha