कोलकाता. एसएससी के जरिये शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में आर्थिक लेनदेन की जांच करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (इडी) के हाथों गिरफ्तार राज्य के पूर्व शिक्षामंत्री पार्थ चटर्जी की तरफ से दायर की गयी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दोनों पक्ष की बातों को सुनने के बाद अदालत ने पार्थ की जमानत याचिका को खारिज कर दिया. फिलहाल आगे की सुनवाई चलने तक उन्हें न्यायिक हिरासत में ही रहना होगा.
अदालत ने दोनों पक्ष की बातों को सुनने के बाद कहा कि इडी की तरफ से जो भी सबूत पेश किये गये हैं, उससे यह स्पष्ट है कि पार्थ अत्यंत प्रभावशाली हैं और इस मामले से सीधे जुड़े हैं. ऐसी हालत में उन्हें जमानत नहीं दे सकते. यह कहकर अदालत ने पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया.
अदालत सूत्रों के मुताबिक पार्थ चटर्जी की तरफ से अदालत में बचाव पक्ष की तरफ से वकील ने कहा कि हमारे मुवक्किल पार्थ चटर्जी के कब्जे से या फिर उनके घर से इडी ने नकद राशि जब्त नहीं की है. इसके बावजूद उन्हें लगातार जेल में रखा जा रहा है. अदालत में यह भी तर्क दिया गया कि पार्थ चटर्जी से उनके आवास स्थल पर इडी ने पूछताछ की, हर बार उनके मुवक्किल ने जांच में सहयोग किया. इसके बावजूद उन्हें जेल में रखा जा रहा है. इडी चाहे तो जमानत मिलने के बाद भी पार्थ जांच में हर संभव सहयोग करते रहेंगे. हर तरह की मदद करते रहेंगे. उन्हें जमानत पर रिहा किया जाये.
इडी की तरफ से कहा गया कि पार्थ चटर्जी अत्यंत प्रभावशाली हैं. गिरफ्तारी के समय उन्होंने मुख्यमंत्री का नाम लेकर प्रभाव दिखाने की कोशिश की थी. अदालत में पेश की गयी केश डायरी में पार्थ के घर में जाकर हुगली के तृणमूल नेता कुंतल घोष एक नौकरी के बदले पार्थ को 10 लाख रुपये पहुंचाते थे, इससे जुड़े सबूत के बारे में जिक्र किया गया है. ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने इस राज्य के शिक्षा के स्तर को 100 साल आगे बढ़ाया था, लेकिन पार्थ ने इस राज्य के शिक्षा के स्तर को 100 साल पीछे कर दिया है. वह इस मामले में पूरी तरह से संलिप्त हैं. जमानत मिला तो जांच प्रभावित होगी.