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हम परों से नहीं, हौसलों से उड़ते हैं

कोरोना और लॉकडाउन से रोजी-रोजगार की समस्या पैदा तो हुई है, पर यह स्थायी नहीं है. यह जरूर एक कठिन दौर है, जो सिर्फ झारखंड या भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में है. लेकिन इसे गुजर जाना है. कई लोग छोटी-छोटी परेशानियों, बाधाओं व दुखों से अवसाद में चले जाते हैं, जो उन्हें आत्महत्या के लिए प्रेरित करता है. लेकिन मानव जीवन अनमोल है. यह व्यर्थ गंवाने के लिए नहीं, बल्कि संघर्ष कर मिसाल बनाने के लिए है. प्रभात खबर इस समस्या के अहम बिंदुओं को उजागर करने का प्रयास कर रहा है.

परीक्षा के परिणाम आ चुके हैं. जिनका रिजल्ट बढ़िया हुआ, उन्हें बधाई. जिनका नहीं हुआ, उन्हें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में/ वे तिफ्ल क्या गिरेगा जो घुटनों के बल चले. जंग के मैदान में शहसवार ही गिरते हैं. परीक्षा है, तो सफलता और असफलता दोनों हमें स्वीकार करना होगा.

यहां पर महत्वपूर्ण है, गिरकर उठना. यानी हिम्मत नहीं हारना और अगली परीक्षा की तैयारी में जुट जाना. याद रखिए, सैकड़ों परीक्षाओं में से बोर्ड एक परीक्षा है. इसे जब हम सामान्य परीक्षा की तरह लेंगे, तो चीजें सामान्य हो जायेंगी. अभी जीवन में कई इम्तिहान देने हैं. इसलिए निराश होने की जरूरत नहीं है. खुद का मनोबल बढ़ाइये. किसी ने खूब कहा है, किस तरह आंधियां हमको रोकेंगी/ हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं.

चौथी-पांचवीं बार में मिली सफलता : दसवीं और बाहरवीं बोर्ड को हम इतना महत्व दे देते हैं कि बाकी कुछ दिखायी नहीं देता. छात्रों को लगता है कि बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक नहीं मिले तो भविष्य खत्म हो जायेगा. ऐसा नहीं है. सैकड़ों उदाहरण मिल जायेंगे, जिनकी बोर्ड परीक्षा का परिणाम बढ़िया नहीं रहा. लेकिन बाद में वे काफी सफल रहे.

आइएएस, आइपीएस की सूची में से 80 से 90 प्रतिशत ऐसे छात्र हैं जिन्होंने चौथे, पांचवीं प्रयास में परीक्षा पास की. यानी वे लगातार दो बार-तीन बार असफल होते रहे. लेकिन हिम्मत नहीं हारी. अगली परीक्षा की तैयारी में जुट गये और सफल रहे. मुझे भी 12वीं बोर्ड परीक्षा में बहुत अच्छे अंक नहीं मिले थे. दाखिला नहीं मिल रहा था, तो मैं स्पोर्ट्स कोटा से डीयू में एडमिशन ले रहा था. जबकि मेरा मेडिकल परीक्षा का परिणाम काफी अच्छा रहा. मुझे ऑल इंडिया आठवां रैंक मिला. कहने का मतलब बोर्ड परीक्षा ही सब कुछ नहीं होता.

अलग-अलग तरीके से आ रही हैं नौकरियां : इसलिए भी चिंता करने की जरूरत नहीं, क्योंकि अब पारंपरिक नौकरियां खत्म हो रही हैं. अलग-अलग तरीके से नौकरियां आ रही हैं. हमें इसके लिए मानसिक रूप से तैयार रहना होगा. आप अपनी काबिलियत देखिए और उस फील्ड में आगे बढ़िए. मान लीजिए आपको साइंस में अच्छे अंक नहीं मिले लेकिन आपकी हिंदी बहुत अच्छी है, तो आप हिंदी को लेकर आगे बढ़ सकते हैं.

आप अच्छे पत्रकार बन सकते हैं. स्क्रिप्ट राइटर बन सकते हैं. लेखक बन सकते हैं. इसी तरह से अन्य फील्ड में भी आप करियर बना सकते हैं. कवि हरिवंश राय बच्चन ने कहा कि है कि लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती/ हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती. इसलिए हिम्मत नहीं हारिये. आगे बढ़िये.

Post by : Pritish Sahay

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