गढ़वा, विनोद पाठक. गढ़वा जिले में बीते 16 मार्च से मौसम का मिजाज बदल गया है. यहां तक कि अचानक बादल छाने एवं बूंदा-बांदी से दिन में भी सड़क पर चल रहे वाहनों को रोशनी की जरूरत पड़ रही है. बताया जा रहा है कि लगातार 20 मार्च तक मौसम की यही स्थिति बनी रहेगी. इस दौरान आकाश में बादल छाने के साथ ही लगभग सभी क्षेत्रों में बीच-बीच में कमोवेश बारिश हो रही है. इस क्रम में गरज के साथ वज्रपात से तीन पशुओं की मौत हो गयी है. तेज हवा से सीआरपीएफ का अस्थायी कैंप पूरी तरह से उजड़ गया. मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक 21 मार्च से फिर तापमान बढ़ना शुरू हो जायेगा. कृषि विज्ञान केंद्र गढ़वा के मुख्य वैज्ञानिक डॉ अशोक कुमार ने कहा कि इस समय में होनेवाली बारिश को मैनगो शावर कहते हैं. इससे किसान ज्यादा परेशान नहीं हों.
वज्रपात से पशुओं की मौत
बड़गड़ में गरज के साथ वज्रपात से तीन पशुओं की मौत हो गयी. पुनदाग स्थित सीआरपीएफ का अस्थायी कैंप पूरी तरह से उजड़ गया. इससे सीआरपीएफ का कार्यालय, रसोई घर आदि तबाह हो गया. धुरकी में सबसे अधिक लगातार तीन घंटे तक लगातार बारिश हुई है. इधर, बारिश के साथ हवा की गति तेज हो जाने से तापमान अचानक सात डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है. बताया जा रहा है कि अगले दो दिनों में दो डिग्री तक तापमान में और गिरावट हो सकती है. गढ़वा और आसपास के क्षेत्रों में अधिकतम तापमान बढ़कर 35 डिग्री और न्यूनतम 25 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, जबकि शनिवार को गढ़वा में अधिकतम तापमान 28 और न्यूनतम 18 डिग्री रिकॉर्ड किया गया. 20 मार्च तक न्यूनतम तापमान 16 डिग्री तक होने का अनुमान है. इससे लोगों को गर्मी से राहत मिली है. सोन व कोयल नदी के बेसिन इलाके में न्यूनम तापमान और कम हो जाने से वहां लोगों को समेटकर रख दिये गये गर्म कपड़े को निकालना पड़ रहा है. मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक 21 मार्च से फिर तापमान बढ़ना शुरू हो जायेगा.
फसलों को कहीं नुकसान तो कहीं लाभ
इस समय की बारिश से जहां रबी फसलों को लाभ होने की बात कही जा रही है. वहीं तेज हवा में आम के मंजरों और महुआ के फूलों को नुकसान होने की आशंका है. साथ ही सभी पके हुये अनाज के झर जाने अथवा कीड़ा लगने की आशंका है. विशेषकर जहां बूंदा-बांदी के साथ ओले पड़े हैं अथवा अधिक बारिश हुई है, वहां सभी तरह के फलों एवं फसलों को नुकसान हुआ है. आगामी 20 मार्च तक बारिश एवं तेज हवा की गति इतनी तक सीमित रह जाती है, तो किसानों को ज्यादा नुकसान नहीं होगा, लेकिन आगे ओला गिरने एवं आंधी आने की स्थिति में उनके महुआ और आम के फल तो नष्ट हो ही जायेंगे, पके हुये फसलों को ज्यादा हानि हो सकती है.
चिंता नहीं करें, यह मैनगो शावर है : डॉ अशोक कुमार
कृषि विज्ञान केंद्र गढ़वा के मुख्य वैज्ञानिक डॉ अशोक कुमार ने कहा कि इस समय में होनेवाली बारिश को मैनगो शावर कहते हैं. यदि सिर्फ बूंदा-बांदी तक बारिश सीमित रहती है, तो यह आम के फलों के लिये काफी लाभदायक होगा. इससे आम में लग रहे टिकोरे को पोषण देने के साथ ही मंजरों में लग रहे कीड़ों से राहत देगी. इस बारिश से मंजर में लगनेवाले कीड़े नष्ट हो जाते हैं. बशर्ते कि ओला नहीं गिरे अथवा अधिक बारिश नहीं हो. हवा की गति अधिक तेज हो जाने पर भी नुकसान दायक हो सकता है. उन्होंने कहा कि इस समय कुछ अपवाद को छोड़कर ऐसी स्थिति नहीं आयेगी. इसलिये किसानों को ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है. जहां हल्की वर्षा हुई है, वहां किसानों के रबी फसलों को काफी लाभ होगा. साथ ही खाली पड़े खेतों में नमी आयेगी, इससे गर्मा फसल लगाने में किसानों को सुविधा हो जायेगी.