Bengal Election 2021: टीएमसी के पूर्व सांसद दिनेश त्रिवेदी ने आखिरकार सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए शनिवार को बीजेपी का दामन थाम ही लिया. हालांकि उनके तृणमूल से राज्यसभा सांसद के पद से इस्तीफे की घोषणा के बाद ही राजनीतिक गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म हो गया था कि दिनेश त्रिवेदी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.
अब दिनेश त्रिवेदी बीजेपी में शामिल हो गये हैं और उन्होंने दावा किया है कि बीजेपी ही एक ऐसी पार्टी है जो परिवार की नहीं बल्कि जनता की सेवा में तत्पर रहती है. मैं हमेशा से जनता की सेवा करना चाहता था और अब मुझे यह मौका मिला है. बीजेपी में आकर दिनेश त्रिवेदी को वो मुकाम मिल गया है जिसकी उन्हें सदा से चाह थी. उनका दावा कितना सही है यह तो अब वक्त ही बताएगा क्योंकि उनके राजनीतिक ग्राफ को देखते हुए अभी कुछ भी कह पाना जल्दबाजी है.
दरअसल, दिनेश त्रिवेदी के राजनीति में कदम रखने के पहले कई क्षेत्र से किस्मत आजमायी थी लेकिन उन्हें वो ठहराव नहीं मिला था जिसकी उन्हें ललक थी. उनके करियर में बहुत उतार -चढ़ाव थे. पहले एमबीए, फिर पायलट बने और फिर सितार वादक. इतना ही नहीं उन्होंने एक्टिंग में भी किस्मत आजमायी थी लेकिन उन्हें वहां भी वह किक नहीं मिली थी.
एक वक्त ऐसा भी था कि उन्होंने जीवन का सच जानने के लिए संन्यास लेने की राह में चल पड़े थे. मगर परिवार के दबाव में आकर उन्हें अपना यह फैसला बदलना पड़ा था. इसके बाद उनकी राजनीति सफर की शुरूआत हुई. वर्ष 1980 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की और राजनीति में कदम रख दिया. हालांकि, 10 साल बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया और वर्ष 1990 में जनता दल पार्टी ज्वाइन कर ली.
वर्ष 1990 से 1996 तक वे गुजरात में जनता दल पार्टी से राज्यसभा के सदस्य थे. इसके बाद वो बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ जुड़ गये थे. जानकारों का कहना है कि वो ममता बनर्जी के साथ उस वक्त जुड़े थे जब ममता बनर्जी राजनीति में संघर्ष कर रही थी. दरअसल, वर्ष 1998 में ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस पार्टी का गठन किया था और तब दिनेश त्रिवेदी ने ममता को ज्वाइन किया था.
2002 से 2008 तक वो बंगाल के तृणमूल कांग्रस की तरफ से राज्यसभा सांसद थे. 2009 में वो तृणमूल की तरफ से बैरकपुर लोकसभा से चुनाव लड़े थे और जीत हासिल किये थे. वो 2009 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भी बने थे. वहीं वर्ष 2011 में उन्होंने अन्ना हजारे के सपोर्ट में अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. 2011 में ममता बनर्जी ने मुख्यमंत्री बनने पर रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दिया था. इसके बाद दिनेश त्रिवेदी को रेल मंत्री बनाया गया था.
18 मार्च 2012 को उन्होंने रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद भी बैरकपुर लोकसभा से तृणमूल की तरफ से चुनाव लड़कर 2019 तक इस सीट पर बने रहे थे. लेकिन 2019 में वो भाजपा में शामिल हुए टीएमसी नेता अजुर्न सिंह से पराजित हुए थे. इसके बाद तृणमूल ने दिनेश त्रिवेदी पर भरोसा जताते हुए वर्ष 2020 को राज्यसभा सांसद बनाया था और इस साल 12 फरवरी को उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था.
Posted by : Babita Mali