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गुजरात हादसे के बाद बंगाल सरकार भी एक्शन में, लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं के साथ आज मंत्री करेंगे बैठक

गुजरात में मोरबी केबल ब्रिज हादसे के बाद पश्चिम बंगाल सरकार भी सतर्क हो गयी है. राज्य सरकार ने बंगाल के विभिन्न क्षेत्रों के केबल ब्रिजों की स्थिति पर तत्काल रिपोर्ट मांगी है. हर जिले के विभागीय अभियंताओं को अगले 24 घंटों के अंदर संबद्ध ब्रिजों की स्थिति पर रिपोर्ट देने को कहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 1, 2022 11:30 AM

 गुजरात में मोरबी केबल ब्रिज हादसे के बाद पश्चिम बंगाल सरकार भी सतर्क हो गयी है. राज्य सरकार ने बंगाल के विभिन्न क्षेत्रों के केबल ब्रिजों की स्थिति पर तत्काल रिपोर्ट मांगी है. बताया गया है कि ज्यादातर केबल ब्रिज उत्तर बंगाल में हैं. जलपाईगुड़ी, अलीपुरदुआर, दार्जिलिंग व कुछ अन्य जिलों में सस्पेंशन ब्रिज बने हैं. राज्य के लोक निर्माण मंत्री(पीडब्ल्यूडी) पुलक राय ने हर जिले के विभागीय अभियंताओं को अगले 24 घंटों के अंदर संबद्ध ब्रिजों की स्थिति पर रिपोर्ट देने को कहा है. जिलों से रिपोर्ट आने के बाद मंगलवार को अपराह्न करीब चार बजे मंत्री, विभागीय अभियंताओं के साथ उच्चस्तरीय बैठक करेंगे. राज्य के सभी फ्लाइओवरों की हालत पर भी रिपोर्ट मांगी गयी है.

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कोलकाता में भी हुए हैं ब्रिज हादसे

पश्चिम बंगाल में कोलकाता व अन्य क्षेत्रों में ब्रिज टूटने की घटनाएं हो चुकी हैं. उत्तर कोलकाता के पोस्ता में निर्माणाधीन फ्लाइओवर ढह गया था, जिसमें 30 से ज्यादा जानें चली गयी थीं. वहीं, दक्षिण कोलकाता का माझेरहाट ब्रिज भी टूट गया था. इसके अलावा दक्षिण 24 परगना में भी एक निर्माणाधीन ब्रिज ढह गया था, हालांकि इसमें कोई हताहत नहीं हुआ था. मालूम रहे कि रविवार को शाम ढले गुजरात के मोरबी में 500 से ज्यादा लोगों की भीड़ से बोझिल केबल ब्रिज टूट कर नीचे मच्छु नदी में गिर गया. इसमें अनेक महिलाओं व बच्चों समेत 142 से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी. अभी कई लोग लापता बताये जा रहे हैं.

पुल टूटा नहीं, साजिश के तहत की गई सामूहिक हत्या

गुजरात के मोरबा पुल हादसे पर अपनी प्रतिक्रिया में राज्य के परिवहन मंत्री स्नेहाशीष चक्रवर्ती ने कहा कि वह पुल अपने आप नहीं टूटा, बल्कि सोची-समझी साजिश के तहत सामूहिक हत्या की गयी. एनओसी मिलने से पहले ही पुल चालू कर दिया गया था. गुजरात सरकार के मुताबिक132 लोगों की जान गयी है. लेकिन निजी आंकड़े उससे कहीं अधिक हैं. 2024 में होनेवाले लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा की मौत भी इसी तरह होगी.

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