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नंदीग्राम चाहता है औद्योगिक विकास, भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के 14 साल बाद कितना आया बदलाव

West Bengal Assembly Election 2021: पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में 14 साल पहले उद्योग के लिए कृषि भूमि अधिग्रहीत करने के खिलाफ खूनी आंदोलन हुआ था. इस आंदोलन ने राज्य की राजनीतिक तस्वीर बदल दी. अब वही नंदीग्राम चाहता है कि इलाके में उद्योगों का विकास हो, ताकि काम की तलाश में लोगों को बाहर न जाना पड़े.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 15, 2021 1:06 PM

नंदीग्राम (पूर्वी मेदिनीपुर) : नंदीग्राम औद्योगिक विकास चाहता है. यहां के लोग ऐसा नंदीग्राम चाहते हैं, जहां लोगों को रोजगार की तलाश में अपना घर छोड़कर किसी और शहर या राज्य में न जाना पड़े. कभी भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन का केंद्र रहे नंदीग्राम में 14 साल बाद कितना बदलाव आया है, इस पर लोगों ने खुलकर अपनी राय रखी.

पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में 14 साल पहले उद्योग के लिए कृषि भूमि अधिग्रहीत करने के खिलाफ खूनी आंदोलन हुआ था. इस आंदोलन ने राज्य की राजनीतिक तस्वीर बदल दी. अब वही नंदीग्राम चाहता है कि इलाके में उद्योगों का विकास हो, ताकि काम की तलाश में लोगों को बाहर न जाना पड़े.

नंदीग्राम में लड़ाई का अखाड़ा फिर से तैयार है. इससे पहले इसी इलाके ने 34 साल पुरानी शक्तिशाली वाम मोर्चा सरकार को हिला कर रख दिया था और वर्ष 2011 में तृणमूल कांग्रेस के लिए सत्ता में आने का रास्ता साफ किया था. इस बार एक अप्रैल को यहां मतदान होगा.

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शुभेंदु से है ममता का मुकाबला

इस सीट पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कभी उनके भरोसेमंद रहे और अब विरोधी बने शुभेंदु अधिकारी से मुकाबला है. इस विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक और सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण देखने को मिल रहा है, लेकिन पार्टियों और स्थानीय लोगों की इस मामले पर एक राय है कि इस इलाके में उद्योगों का खुले दिल से स्वागत किया जायेगा और वर्ष 2007 की तरह कड़े विरोध का सामना नहीं करना पड़ेगा.

अधिकारपाड़ा के रहने वाले बुजुर्ग अजित जना ने कहा, ‘यहां औद्योगिक केंद्र स्थापित करने से न केवल रोजगार मिलेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि हमारे बच्चे हमारे साथ रहेंगे. अगर नंदीग्राम में नहीं, तो आसपास के इलाकों में भी औद्योगिक विकास से मदद मिलेगी. युवाओं को रोजगार की तलाश में भटकना नहीं पड़ेगा.’

नंदीग्राम आंदोलन इतिहास की बात

गुरुग्राम की फैक्टरी में काम करने वाले और गोकुलनगर निवासी जॉयदेब मंडल मानते हैं कि अगर लोगों को अधिग्रहीत जमीन का उचित दाम दिया जाये, तो वे औद्योगिक विकास का विरोध नहीं करेंगे. 32 साल के जॉयदेब मंडल कहते हैं, ‘नंदीग्राम आंदोलन इतिहास की बात है. अगर लोगों को अच्छा मुआवजा मिलेगा और स्थानीय निवासियों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा, तो कोई समस्या नहीं आयेगी.’

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नंदीग्राम पूर्वी मेदिनीपुर जिले के तटीय इलाके में आता है और पानी में लवणता अधिक होने की वजह से यहां केवल एक फसल ही हो पाती है. पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर तृणमूल कांग्रेस के एक पंचायत समिति सदस्य ने कहा, ‘इस इलाके में केवल एक फसल होती है. जमीन बंटी हुई है. इसलिए लोग उद्योग चाहते हैं, यह कपड़ा या कृषि आधारित हो सकता है.’

आंदोलन की वजह से एसईजेड योजना हुई थी स्थगित

प्रदर्शन के बाद विशेष आर्थिक जोन (एसईजेड) योजना स्थगित कर दी गयी, जिसकी वजह से कोई भी उद्योगपति इस इलाके में नहीं आना चाहता है. प्रदर्शन के कारण कई लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से 14 लोगों की मौत पुलिस की गोली से हुई थी. इस इतिहास की वजह से नंदीग्राम आज भी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर निर्भर है और चावल, सब्जी और मछली की आसपास के इलाके में आपूर्ति करता है.

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उल्लेखनीय है वर्ष 2007 में भूमि उच्छेद प्रतिरोध कमेटी (बीयूपीसी) के तहत विभिन्न राजनीतिक धाराओं के लोगों ने प्रदर्शन किया था. इसमें स्थानीय लोगों के साथ तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस, आरएसएस और यहां तक कि वाम दलों के नाराज कार्यकर्ताओं ने भी हिस्सा लिया था, जिसकी वजह से इंडोनेशिया की सलीम समूह की कंपनी ने एक हजार एकड़ क्षेत्र में केमिकल हब बनाने की योजना रद्द कर दी थी.

नंदीग्राम के लोगों की मासिक आय 6 हजार रुपये

गत 14 सालों में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर बीयूपीसी की पूर्व नेता बाबनी दास ने कहा कि बदलाव का इंतजार है, क्योंकि नंदीग्राम में अधिकतर परिवारों की मासिक आय 6,000 रुपये से अधिक नहीं है. उन्होंने कहा, ‘अधिकतर परिवारों में कम से कम एक सदस्य दूसरे राज्य में कमाने गया है. यहां रोजगार का मतलब खेती, झींगा पालन या मनरेगा योजना के तहत मजदूरी है. युवाओं के पास अपने माता-पिता के विपरीत अकादमिक डिग्री है और उनकी रुचि खेती में नहीं है.’ बाबनी दास नंदीग्राम दिवस के अवसर पर आयोजित रैली से भी दूर रहीं.

उल्लेखनीय है कि तृणमूल कांग्रेस हर साल 14 मार्च 2007 को भूमि अधिग्रहण के विरोध में प्रदर्शन कर रहे 14 प्रदर्शनकारियों की पुलिस की गोली से हुई मौत के बाद से, उनकी याद में नंदीग्राम दिवस मनाती है. सुश्री दास ने कहा कि कोरोना की वजह से लागू लॉकडाउन भी आंख खोलने वाला था, क्योंकि सैकड़ों प्रवासी मजदूर जो दूसरे शहरों से घर लौटे हैं, वे यहां पर काम को लेकर चिंतित हैं.

ममता को लोगों ने भ्रमित किया : माकपा

पूर्वी मेदिनीपुर के माकपा जिलाध्यक्ष निरंजन ने कहा, ‘लोग समझ चुके हैं कि तृणमूल ने उन्हें भ्रमित किया. बिना उद्योग कोई विकास नहीं हो सकता.’ भाजपा के तमलूक जिला इकाई के अध्यक्ष नबारुण नायक ने कहा, ‘हम सुनिश्चित करेंगे कि जेल्लीनगाम शिपयार्ड परियोजना शुरू हो. तृणमूल ने 10 साल में स्थानीय लोगों के लिए कुछ नहीं किया. हम राज्य में औद्योगिक विकास के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे.’

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स्थानीय तृणमूल नेता अबु ताहिर ने हालांकि भगवा पार्टी पर पलटवार करते हुए कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने जेल्लीगाम परियोजना के लिए कुछ नहीं किया है. राजनीतिक विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती का मानना है कि इलाके में औद्योगिक विकास की मांग से वाम दलों का यहां उभार देखने को मिल सकता है.

Posted By : Mithilesh Jha

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