कोलकाता : बंगाल चुनाव के दो चरण (27 मार्च और 1 अप्रैल) समाप्त हो चुके हैं. तीसरे चरण (6 अप्रैल) में कोलकाता से सटे डायमंड हार्बर लोकसभा क्षेत्र की सभी 7 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस कड़ी मशक्कत कर रही है. इस लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो एवं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे एवं तृणमूल नेता अभिषेक बनर्जी कर रहे हैं.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का जनाधार बढ़ने और अम्फान तूफान राहत कार्य में भ्रष्टाचार के आरोपों ने तृणमूल कांग्रेस को चिंतित कर दिया है. यह चिंता इसके बावजूद है कि अभिषेक ने इस सीट पर 3.2 लाख मतों के भारी अंतर से वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी. वाम नीत संयुक्त मोर्चा तीसरी ताकत के रूप में उभरा है.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) एवं इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आइएसएफ) के कार्यकर्ता अपने-अपने प्रत्याशियों के समर्थन में महौल बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. डायमंड हार्बर लोकसभा सीट की सात विधानसभा सीटो में अभिषेक बनर्जी को मुस्लिम बहुल मटियाबुर्ज और बजबज में भारी बढ़त मिली थी. महेशतला, बिष्णुपुर, सतगछिया, फलता और डायमंड हार्बर में भी वह आगे रहे थे.
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इन सीटों पर भी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की अच्छी-खासी आबादी है. इस चुनाव में माकपा डायमंड हार्बर, सतगछिया, बिष्णुपुर और महेशतला में लड़ रही है, जबकि संयुक्त मोर्चा गठबंधन के तहत कांग्रेस के हिस्से में बजबज और फलता सीटें आयी हैं. आइएसएफ का प्रत्याशी मटियाबुर्ज में किस्मत आजमा रहा है, जो दक्षिण-पश्चिमी कोलकाता का बाहरी इलाका है.
पिछले साल मई में आये अम्फान तूफान में राहत सामग्री बांटने में अनियमिता के आरोपों में राज्य सरकार घिर गयी थी और कलकत्ता हाइकोर्ट ने महानियंत्रक एवं महालेखाकर (कैग) से लेखा परीक्षण कराने का आदेश दिया था. भाजपा का शीर्ष नेतृत्व लगभग प्रत्येक चुनावी रैली में इन आरोपों को उठा रहा है, जबकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जोर देकर दावा कर रही हैं कि कुछ खामियों को छोड़ सभी प्रभावितों तक राहत पहुंचाई गयी.
विधानसभा की इन सात सीटों पर कुल 17,18,454 मतदाता हैं, जिनमें से 8,32,059 महिलाएं, 8,86,339 पुरुष और 56 तीसरे लिंग के हैं. निर्वाचन आयोग दक्षिण 24 परगना के 31 विधानसभा सीटों पर अभूतपूर्व तरीके से तीन चरणों में मतदान करा रहा है. डायमंड हार्बर की चार सीटों (फलता, सतगछिया, बिष्णुपुर और डायमंड हार्बर) पर 6 अप्रैल को चुनाव होगा, जबकि महेशतला, बजबज और मटियाबुर्ज के मतदाता 10 अप्रैल को अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.
बिष्णुपुर के कंपनीपाकुड़ गांव के रहने वाले स्थानीय तृणमूल नेता बासुदेव मंडल कहते हैं, ‘हमें सब कुछ मिला, हमारे विधायक दिलीप मंडल ने बहुत काम किया. हमारे पास बिजली है, अच्छी सड़क है और इलाके में शांति है.’ इलाके में अवसंरचना बेहतर दिखाई देती है, गड्ढे वाली सड़कों के स्थान पर चिकनी सड़क बन गयी है, लेकिन मतदाताओं का एक धड़ा अंतुष्ट भी दिखाई देता है.
असंतुष्ट मतदाताओं की शिकायत अम्फान तूफान के बाद राहत सामग्री वितरण में भेदभाव और रोजगार की कमी को लेकर है. यहां तक कि वे अवंसरचना के विकास पर भी बात करते हैं. हालांकि, कई लोगों ने कहा कि राहत सामग्री बिना किसी बाधा बांटी गयी. सब्जी बेचने का काम करने वाले हबीबुल्ला शेख ने बताया कि उनके परिवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ‘रूपश्री’ योजना से बहन की शादी के लिए पैसे मिले.
इलाके में अधिकतर स्थानों पर तृणमूल के झंडे लहरा रहे हैं, लेकिन नजदीक ही भाजपा के कमल निशान वाले झंडे भी दिखाई दे रहे हैं. बेरोजगार पलाश मंडल (25) ने कहा, ‘बंगाल में दशकों से एक पार्टी का शासन रहने की परंपरा रही है, लेकिन इसे जारी नहीं रहना चाहिए, क्योंकि इससे भ्रष्टाचार पैदा होता है और विकास बाधित होता है.’
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स्नातक तक पढ़ाई कर चुके मंडल ने कहा, ‘जो नौकरी चाहते हैं, वे बदलाव चाहते हैं.’ लगता है कि स्थानीय नेता के खिलाफ नाराजगी की वजह से तृणमूल कांग्रेस को सतगछिया से चार बार की विधायक सोनाली गुहा को बदलना पड़ा, जिससे वह भाजपा में शामिल होने को प्रेरित हुईं. इससे मतदाताओं में भ्रम का संदेश गया और इससे यह भी प्रतीत हुआ कि पार्टी में आम राय नहीं है.
ऑटो रिक्शा चालक तुलसी पाल ने दावा किया, ‘कई लोग पिछली पंचायत चुनाव में मतदान नहीं कर सके. इस बार उम्मीद है कि हालात अलग होंगे.’ तृणमूल कार्यकर्ता रणजीत दास ने दावा किया कि पार्टी फलता सीट पर जीत दर्ज करेगी. इस इलाके में स्थित विशेष आर्थिक जोन के तहत कई कारखाने हैं और यह इलाका राजनीतिक कार्यक्रमों से अपेक्षाकृत दूर और शांत रहा है.
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तृणमूल ने फलता से शंकर कुमार नस्कर को उम्मीदवार बनाया है. उन्हें तीन बार के विधायक तामोनश घोष के निधन के बाद उम्मीदवारी दी गयी है, जिन्होंने महामारी के दौरान स्थानीय सांसद के साथ रिश्तों में असहजता को प्रकट करने से गुरेज नहीं किया.
Posted By : Mithilesh Jha