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किसानों के समर्थन में 29 दिसंबर को कोलकाता में वापमंथियों की रैली, कांग्रेस के शामिल होने पर संशय

दिल्ली के बाहरी इलाके में महीने भर से चलने रहे किसान आंदोलन के समर्थन में पश्चिम बंगाल के वामपंथी पहले ही सड़कों पर उतर चुके हैं. वे सभाओं, जुलूसों और राजनीतिक कार्यक्रमों के जरिये लगातार किसानों के आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं. 29 दिसंबर को वामपंथियों ने धर्मतल्ला के रानी रासमनी एवेन्यू पर नये कृषि कानूनों के विरोध में एक दिन के प्रदर्शन का एलान किया है.

कोलकाता (नवीन कुमार राय) : दिल्ली के बाहरी इलाके में महीने भर से चलने रहे किसान आंदोलन के समर्थन में पश्चिम बंगाल के वामपंथी पहले ही सड़कों पर उतर चुके हैं. वे सभाओं, जुलूसों और राजनीतिक कार्यक्रमों के जरिये लगातार किसानों के आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं. 29 दिसंबर को वामपंथियों ने धर्मतल्ला के रानी रासमनी एवेन्यू पर नये कृषि कानूनों के विरोध में एक दिन के प्रदर्शन का एलान किया है.

वामपंथी चाहते हैं कि उनके इस आंदोलन में प्रदेश कांग्रेस भी शामिल हो. कांग्रेस ने कृषि कानून पर समान रूप से मोदी विरोधी रुख अपना रखा है. वामदलों को लगता है कि इस तरह के केंद्रीय कार्यक्रम में दो खेमों के शीर्ष नेता होने पर आम लोगों को गठबंधन का संदेश देना आसान होगा. राज्य वाम मोर्चा की बैठक में यह निर्णय लिया गया.

विमान बसु ने 29 दिसंबर को कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए अधीर रंजन चौधरी को प्रस्ताव दिया है. हालांकि, विमान बसु ने कहा कि अधीर बाबू और प्रदीप भट्टाचार्य दोनों शहर से बाहर थे. बुधवार को वे लोग कोलकाता लौटे. इस बाबत उनकी बात हुई है. प्रदेश कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय स्तर पर एक संयुक्त कार्यक्रम पर वाम शिविर के आग्रह के बावजूद 29 दिसंबर को होने वाले कार्यक्रम में भाग लेने की संभावनाएं कम हैं.

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बताया जा रहा है कि हाइकमान ने अभी तक विधानसभा चुनावों में गठबंधन के बारे में आधिकारिक घोषणा नहीं की है. हालांकि, वामपंथी खेमा इस बात को लेकर काफी परेशान है. वामपंथी खेमे का मानना है कि अभी तक कांग्रेस व वाममोर्चा के संयुक्त कार्यक्रम से लोगों में तृणमूल कांग्रेस व भाजपा के विकल्प के रूप में जिस ताकत को देखा जा रहा था, कांग्रेस के शामिल नहीं होने से उस पर असर पड़ेगा.

लिहाजा, वामपंथी खेमा चाहता है कि प्रदेश कांग्रेस सक्रिय रूप से किसानों के पक्ष में हो रही इस सभा में शामिल हो और लोगों में सकारात्मक संदेश जाये. कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, चुनाव में वाम मोर्चा के साथ गठबंधन को कांग्रेस आलाकमान ने कल तक मंजूरी नहीं दी थी.

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कांग्रेस को लगता है कि प्रदेश में अगर पिछली बार की तरह वह तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन करती है, तो कांग्रेस को सीटों का फायदा होगा. वाम मोर्चा वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में अपना खाता तक नहीं खोल पायी थी. यह उसके गिरते जनाधार को दर्शाता है. ऐसे में कांग्रेस आलाकमान फूंक-फूंककर कदम रखना चाहता है.

Posted By : Mithilesh Jha

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