West Bengal Election 2021 Date: जल्द कोलकाता आयेगा चुनाव आयोग का फुल बेंच, 2016 में 6 चरणों में हुआ था वोट
West Bengal Election 2021 Date: पश्चिम बंगाल में विधासनभा चुनाव पर केंद्रित भारतीय जनता पार्टी की नयी दिल्ली में शुक्रवार को बैठक हो रही है. बंगाल चुनाव की रणनीति तय करने के लिए आयोजित इस हाईलेवल मीटिंग में गृह मंत्री एवं भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी मौजूद रहेंगे.
West Bengal Election 2021 Date: कोलकाता : पश्चिम बंगाल में विधासनभा चुनाव पर केंद्रित भारतीय जनता पार्टी की नयी दिल्ली में शुक्रवार को बैठक हो रही है. बंगाल चुनाव की रणनीति तय करने के लिए आयोजित इस हाईलेवल मीटिंग में गृह मंत्री एवं भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी मौजूद रहेंगे.
फरवरी के दूसरे और तीसरे सप्ताह के बीच बंगाल में चुनाव की अधिसूचना जारी की जा सकती है. इसलिए जनवरी में ही चुनाव आयोग के फुल बेंच के कोलकाता आने की संभावना जतायी जा रही है. कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग अप्रैल के अंत तक चुनाव संपन्न करा लेने की कोशिश करेगा.
उप निर्वाचन आयुक्त सुदीप जैन की दो दिन की यात्रा के बाद अब बंगाल में इस बात की चर्चा शुरू हो गयी है कि वर्ष 2016 में राज्य में 6 चरणों में मतदान हुआ था. इस बार कितने चरणों में चुनाव कराये जा सकते हैं. साथ ही इस यह भी कहा जा रहा है कि वर्ष 2021 के चुनाव अप्रैल तक संपन्न करा लिये जायेंगे.
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 में 294 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव 6 चरणों में संपन्न हुए थे. तब 4 अप्रैल को चुनाव की शुरुआत हुई थी और 5 मई को आखिरी चरण का चुनाव संपन्न हुआ था.दूसरे चरण का मतदान 17 अप्रैल को हुआ था, जबकि 21 अप्रैल को तीसरे, 25 अप्रैल को चौथे और 30 अप्रैल को 5वें चरण का मतदान हुआ था.
293 में 211 सीटें जीतीं ममता की पार्टी तृणमूल ने
करीब एक महीना तक चले मतदान की प्रक्रिया के बाद 19 मई को मतगणना हुई थी. इस दौरान करीब 6 करोड़ से अधिक लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. वर्ष 2011 में वामदलों को सत्ता से बेदखल करने वाली तृणमूल कांग्रेस ने वर्ष 2016 के चुनाव में पहले से 27 ज्यादा सीटें जीतीं. तृणमूल ने 293 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 211 सीटें जीतीं थीं.
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कांग्रेस-वामदल मिलकर भी नहीं हरा सके ममता को
ममता बनर्जी की सरकार के खिलाफ वर्ष 2016 में कांग्रेस और वामदलों ने गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा, लेकिन तृणमूल कांग्रेस को परास्त नहीं कर पाये. इस बार भी दोनों दल एकजुट होकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन, मुख्य विरोधी पार्टी के रूप में भारतीय जनता पार्टी का उदय हो चुका है और हर मोर्चे पर तृणमूल का वही मुकाबला कर रही है.
वामदलों को अपना वोट बैंक बचाये रखने के लिए चुनौती
यह तय हो गया है कि तृणमूल का मुकाबला भाजपा से ही है. वामदल या कांग्रेस मुकाबले में कहीं नहीं हैं. वामदलों की सबसे बड़ी चुनौती ये है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें जो 7 फीसदी वोट मिले थे, उसे वे बचा लें. दूसरी तरफ, सत्तारूढ़ दल पर तुष्टीकरण के अलावा तमाम तरह के भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, जिसने भाजपा को उस पर हमला बोलने का मौका दिया है.
Posted By : Mithilesh Jha