पश्चिम बंगाल किराया विवाद: सरकार ने कहा-2018 में तय भाड़ा ही लें, बस संगठनों ने दी आंदोलन की धमकी

परिवहन मंत्री ने कहा कि सरकार अभी बस किराया बढ़ाकर यात्रियों पर अतिरिक्त बोझ नहीं डालना चाहती. इसलिए किराये में किसी प्रकार की वृद्धि नहीं की जा रही है. निजी बस संगठन इस आदेश का पालन करें.

By Prabhat Khabar News Desk | April 29, 2023 10:02 AM

परिवहन मंत्री स्नेहाशीष चक्रवर्ती ने शुक्रवार को निजी बस संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की, जिसमें बस किराये में वृद्धि को लेकर चर्चा की गयी. बैठक में परिवहन मंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि राज्य में फिलहाल निजी बसों का किराया नहीं बढ़ेगा. बस मालिकों को 2018 में तय हुआ किराया ही यात्रियों से लेना होगा. साथ ही सभी बसों में 2018 के बस किराये का चार्ट लगाना भी अनिवार्य होगा. मंत्री ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि कलकत्ता हाइकोर्ट के आदेशानुसार, निजी बस मालिक 2018 में तय किराया ही वसूलें.

बड़ी बसें न्यूनतम किराया सात रुपये और मिनी बसें न्यूनतम किराया आठ रुपये ही लें. परिवहन मंत्री ने कहा कि सरकार अभी बस किराया बढ़ाकर यात्रियों पर अतिरिक्त बोझ नहीं डालना चाहती. इसलिए किराये में किसी प्रकार की वृद्धि नहीं की जा रही है. निजी बस संगठन इस आदेश का पालन करें. यदि वह ऐसा नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. बस किराये को लेकर कलकत्ता हाइकोर्ट का आदेश जारी होने के बाद परिवहन विभाग ने भी इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया है.

तीन सप्ताह में मांगें पूरी करे सरकार वरना सड़कों पर नहीं उतरेंगी बसें

किराये में वृद्धि की मांग को लेकर निजी बस संगठनों के पदाधिकारी परिवहन मंत्री के पास पहुंचे थे. उन्होंने अपनी मांगों से संबंधित एक ज्ञापन भी परिवहन मंत्री को सौंपा. उन्हें उम्मीद थी कि इस बार सरकार निजी बसों का किराया बढ़ायेगी. लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी. उन्होंने निजी बसों का किराया नहीं बढ़ाये जाने के सरकार के फैसले से असहमति जतायी. साथ ही इस मुद्दे को लेकर वृहद आंदोलन करने की चेतावनी भी दे डाली.

Also Read: झारसुगुड़ा उपचुनाव: सत्तारूढ़ बीजद समेत विपक्षी भाजपा व कांग्रेस ने तेज किया प्रचार

बस संगठनों के प्रतिनिधियों का कहना है कि हमने पेट्रोल और डीजल के दामों में हुई वृद्धि का हवाला देते हुए बड़ी बसों का किराया 50.74 फीसदी और निजी बसों का किराया 44 प्रतिशत बढ़ाने की मांग की है. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने तीन सप्ताह के अंदर उनकी मांगें नहीं मानी, तो वे आंदोलन करने को बाध्य होंगे. सड़कों पर बसें नहीं उतारेंगे.

Next Article

Exit mobile version