बंगाल के राज्यपाल ने डीजीपी को किया तलब, कहा : पुलिस महानिदेशक को कानून-व्यवस्था की परवाह नहीं

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ प्रदेश के पुलिस महानिदेशक पर जमकर बरसे. कहा कि उन्हें कानून-व्यवस्था की कोई परवाह नहीं है और वह शुतुरमुर्ग की तरह आवरण लगाकर चीजों से अनजान बने रहने की प्रवृत्ति दर्शा रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 22, 2020 3:27 PM

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ प्रदेश के पुलिस महानिदेशक पर जमकर बरसे. कहा कि उन्हें कानून-व्यवस्था की कोई परवाह नहीं है और वह शुतुरमुर्ग की तरह आवरण लगाकर चीजों से अनजान बने रहने की प्रवृत्ति दर्शा रहे हैं.

राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की कड़ी आलोचना करते हुए राज्यपाल ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य आतंक एवं अपराध का ‘पनाहगाह’ बन गया है. धनखड़ ने कहा कि अपने गोपनीय संवाद पर डीजीपी के महज ‘दो वाक्य’ के जवाब से वह चकित हैं.

उन्होंने कहा कि उन्होंने पुलिस प्रमुख को ‘कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति’ और उसमें सुधार के लिए उठाये गये कदमों के बारे में बताने के लिए 26 सितंबर को बुलाया है.

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राज्यपाल ने कहा कि डीजीपी का यह कथन किसी को हजम नहीं होगा कि ‘पश्चिम बंगाल पुलिस कानून द्वारा निर्धारित मार्ग का दृढ़ता से अनुसरण करती है. किसी कानूनेतर मायने से किसी के साथ पक्षपात या भेदभाव नहीं किया जाता है.’ श्री धनखड़ ने आरोप लगाया कि यह कुछ भी हो सकता है, लेकिन भयंकर सच्चाई नहीं है.

विभिन्न मुद्दों पर राज्य सरकार के साथ उलझ रहे राज्यपाल ने आरोप लगाया, ‘पश्चिम बंगाल की कानून-व्यवस्था पर पुलिस महानिदेशक के ‘परवाह नहीं करने, शुतुरमुर्ग की भांति आवरण डालकर अनजान बने रहने की प्रवृत्ति से पीड़ा हुई है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘राज्य आतंक, अपराध, के लिए पनाहगाह बन गया है और यहां बम बनाने का धंधा, भ्रष्टाचार और मानवाधिकार का उल्लंघन एवं सभी विरोधियों का उत्पीड़न हो रहा है.’ उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कानून के शासन के सभी विरोधी तत्व लगातार प्रचुर मात्रा में नजर आ रहे हैं.

राज्यपाल ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल सरकार ‘पुलिस की बैसाखी’ पर चल रही है और पुलिस ‘राजनीतिक झुकाव’ के चलते अपने वैध सरकारी दायित्व को त्याग रही है .

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श्री धनखड़ ने कहा, ‘ऐसे हथियार डाल देना कानून के शासन की धमक खत्म हो जाती है और उच्चतम न्यायालय के फैसले की भावना का कोई अर्थ नहीं रह जाता कि वह कानून के अनुसार और स्वतंत्र रूप से काम कर सकते हैं.’ उन्होंने आरोप लगाया कि मानवाधिकार का रक्षक होने की बजाय पुलिस ऐसे अधिकारों के लिए खतरा साबित हो रही है.

Posted By : Mithilesh Jha

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