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राज्यपाल का गुरूंग पर कटाक्ष, कानून का भगोड़ा, समाज के लिए भी भगोड़ा ही है

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के प्रमुख बिमल गुरूंग पर कटाक्ष करते हुए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि ‘कानून का भगोड़ा, समाज के लिए भी भगोड़ा ही है’. गुरूंग हत्या और यूएपीए के तहत अपराध के आरोपों में तीन साल तक फरार रहने के बाद हाल ही में नाटकीय रूप से कोलकाता में नजर आये थे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 1, 2020 9:24 PM
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सिलीगुड़ी : गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के प्रमुख बिमल गुरूंग पर कटाक्ष करते हुए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि ‘कानून का भगोड़ा, समाज के लिए भी भगोड़ा ही है’. गुरूंग हत्या और यूएपीए के तहत अपराध के आरोपों में तीन साल तक फरार रहने के बाद हाल ही में नाटकीय रूप से कोलकाता में नजर आये थे.

राज्यपाल ने दार्जीलिंग की अपनी महीने भर की यात्रा के दौरान एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘समाज में समस्या होगी, जब तक कि कानून के सामने हर कोई समान न हो.’ गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेता के नजर आने पर उन्होंने कहा, ‘कानून का भगोड़ा, समाज के लिए भी भगोड़ा ही है.’ राज्यपाल की दार्जीलिंग की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब गुरूंग ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी एनडीए से अपना समर्थन वापस लेगी.

गुरूंग ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को समर्थन देने की बात कही है. राज्यपाल रविवार से एक महीने लंबी दार्जीलिंग यात्रा पर हैं. उन्होंने कहा कि उनकी इस यात्रा का मकसद ‘जमीनी वास्तविकताओं’ को जानना है. श्री धनखड़ ने दार्जीलिंग जिला प्रशासन पर एक राजनीतिक पार्टी के इशारे पर काम करने का आरोप भी लगाया और उन्होंने जिलाधिकारी और एसपी को ‘आग से नहीं खेलने’ को कहा.

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उन्होंने कहा, ‘उत्तर बंगाल का प्रशासन एक राजनीतिक पार्टी के इशारे पर काम कर रहा है. रिपोर्ट मेरे पास आयी है. कानून अपना काम करेगा.’ राज्यपाल ने कहा कि राज्य के लोग केंद्र और तृणमूल कांग्रेस सरकार के बीच ‘एक ऐसी लड़ाई की कीमत अदा कर रहे हैं, जिसे टाला जा सकता है.’

उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि केंद्र और राज्य सरकार विकास के दो पहिये हैं और लोगों की मदद के लिए ‘सहयोगात्मक संघवाद और संयुक्त कार्यवाही’ के साथ काम किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘महामारी ने राज्य सरकार के स्वास्थ्य ढांचे की पोल खोल दी है. अगर सरकार आयुष्मान भारत योजना को अंगीकार करती, तो अच्छा होता. दुर्भाग्यवश, राज्य के लोग दूरदर्शिता की कमी और टाले जा सकने वाले टकराव की कीमत चुका रहे हैं.’

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राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री-किसान सम्मान निधि योजना के तहत केंद्र सरकार ने देश में प्रत्येक किसान के खाते में सीधे 12,000 रुपये की राशि भेजी, लेकिन राज्य के लोग इस लाभ से वंचित रहे. उन्होंने कहा, ‘यह गलत नीति, निष्क्रियता और केंद्र के साथ टकराव का परिणाम है.’ धनखड़ ने राज्य में महिलाओं के खिलाफ ‘बढ़ते’ अपराध की भी निंदा की.

Posted By : Mithilesh Jha

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