पश्चिम बंगाल: ठिठुरनभरी रात पर भारी पेट की आग, मुठ्ठीभर चावल के लिए घाटों पर डेरा
उल्लेखनीय है कि बसंती ही नहीं बल्कि इसके जैसे हजारों लोग है जो हावड़ा व कोलकाता में हुगली नदी के किनारे भिक्षा मिलने की आस में डेरा डाले हुए हैं. हुगली के लगभग सभी घाटों पर अभी से ही भिखारियों का जमावड़ा लगा हुआ है.
आजादी के 75 वर्ष बाद भी जब कपड़ों व अन्न की भीख की आस में पूरा परिवार ठिठुरन भरी रात में घाटों पर बिताने को मजबूर हो जाता है तो फिर सरकारी दावों की पोल खुल जाती है. हम बात कर रहे हैं हावड़ा के हुगली डक घाट की जहां बसंती और उसके जैसे भिखारियों के अनेक परिवार मकर संक्रांति पर मिलनेवाली भीख की उम्मीद में घाट पर डटे हुए हैं. पूरा देश सर्द हवाओं और हाड़ कंपा देने वाली ठंड से बचने को गर्म कपड़ों व रजाइयों में लिपटा है, तब बसंती मकर संक्रांति से दो दिन पहले ही अपने पुराने-फटे कपड़ों में हुगली डक घाट पर स्थान दखल करने में व्यस्त हैं.
सर्द रात पेट की आग पर इस कदर हावी है कि बसंती को घाट पर बेहतर स्थान पाने को ठंड की परवाह नहीं है. बसंती व उसका परिवार खुश है कि इस बार उसे घाट के एकदम करीब स्थान मिला है. उसे विश्वास है कि इस बार उसे मकर संक्रांति पर दान करनेवाले पुण्यार्थियों से अच्छा-खासा दान मिल जायेगा. बसंती कहती है, बाबू जी जब पेट की आग धधकती है, तो कोई काम कठिन नहीं लगता. जब कई-कई दिन तक अन्न का दाना तक पेट में नहीं जाता, तब सर्दी और गर्मी का असर नहीं रह जाता है. बसंती अपने पति, बेटे व दो बेटियों के साथ घाट पर शुक्रवार सुबह से ही बैठ गयी है. बताती है कि मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करने के लिए हजारों लोग हुगली डक के घाट पर पहुंचते हैं. स्नान व पूजन के बाद लोग घाटों पर बैठे भिखारियों को दान देते हैं. सनातन धर्म में मकर संक्रांति पर दर्शन-पूजन के बाद दान करने की महत्ता है. आस्था है कि इससे पुण्य मिलता है.
हुगली के घाटों पर हजारों भिखारियों का डेरा
उल्लेखनीय है कि बसंती ही नहीं बल्कि इसके जैसे हजारों लोग है जो हावड़ा व कोलकाता में हुगली नदी के किनारे भिक्षा मिलने की आस में डेरा डाले हुए हैं. हुगली के लगभग सभी घाटों पर अभी से ही भिखारियों का जमावड़ा लगा हुआ है. हावड़ा में जहां नया मंदिर, बाधाघाट पर भिखारियों की सबसे ज्यादा भीड़ है वहीं कोलकाता में बाबूघाट, अहिरीटोला घाट, जगन्नाथ घाट और दही घाट पर भिखारियों को भीड़ जमी हुई है.