मानव तस्करी का हब बनता जा रहा है पश्चिम बंगाल
देशभर में मानव तस्करी के मामले में पश्चिम बंगाल एक हब का रूप लेता जा रहा है. कुछ महीने पहले जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर गौर करें तो महिला व बच्चों की तस्करी के मामले में महाराष्ट्र के बाद बंगाल का स्थान दूसरे नंबर पर है.
कोलकाता : देशभर में मानव तस्करी के मामले में पश्चिम बंगाल एक हब का रूप लेता जा रहा है. कुछ महीने पहले जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर गौर करें तो महिला व बच्चों की तस्करी के मामले में महाराष्ट्र के बाद बंगाल का स्थान दूसरे नंबर पर है. आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2016 से 18 के बीच महाराष्ट्र में मानव तस्करी के 33 हजार 964 मामले दर्ज किये गये, जबकि पश्चिम बंगाल में 2016-18 के बीच ऐसे मामलों की संख्या 31 हजार 299 थी.
जांच में कई बार यह पाया गया कि तस्करी की शिकार पीड़ितों में से 35 प्रतिशत ऐसे लोग मिले, जिन्हें बाल मजदूरी एवं घरेलू कार्य के लिए ट्रैफिकिंग के लिए ले जाया गया था. इनमें से निजी स्वयंसेवी संस्था एवं पुलिस की कोशिश से 15 प्रतिशत ट्रैफिकिंग के शिकार लोगों को वापस लाने में मदद मिली है.
हावड़ा में रहस्य बन गये वे 11 बच्चे: राज्य के विभिन्न जिलों के साथ हावड़ा में भी अबतक 11 ऐसे बच्चों के गायब होने के मामले सामने आ चुके हैं, जिनकी शिकायत स्थानीय थाने में दर्ज हुई है. बच्चे गायब होने के मामले में हावड़ा का पिलखाना इलाका सबसे प्रमुख रहा है. कुल 11 बच्चों का अबतक कोई पता नहीं चल पाया है. इलाके के लोगों के मुताबिक पुलिस ने कई संदिग्धों को पकड़ा, लेकिन बच्चों के बारे में सटिक जानकारी नहीं मिली. हावड़ा में सबसे पहले वर्ष 2003 में बच्चा चोरी का एक मामला समाने आया था. 2003 से लेकर अब तक ढेर सारे बच्चे लापता हुए, जिनमें से 11 बच्चों का आज तक सुराग नहीं मिल पाया है.
कोलकाता भी नहीं है तस्करी से दूर
एनसीबी के आंकड़ों पर गौर करें तो कोलकाता में वर्ष 2018 में 2584 महिला तस्करी के मामले दर्ज किये गये थे, जबकि बच्चों की तस्करी के मामले में इसकी संख्या 989 थी. इधर पूरे बंगाल में मानव तस्करी के मामले में नदिया जिला चौथे स्थान पर था, वहां इसकी संख्या 2017 में 1708 थी. 2018 में यह आंकड़ा बढ़कर 2468 के साथ दूसरे स्थान पर पहुंच गया. पुलिस के मुताबिक इनमें रिहा करवाये गये पीड़ितों को जबरन विवाह, बाल मजदूरी एवं शारीरिक शोषण के लिए दूसरे राज्यों में ले जाया गया था. अधिकारी यह भी बताते हैं कि कई मामले ऐसे सामने आये जिसमें दूसरे राज्यों में बार गर्ल एवं बैंड पार्टियों में डांस कराने के लिए युवतियां मानव तस्करी की शिकार हुई थीं.
क्या कहना है कोलकाता पुलिस का
कोलकाता पुलिस के संयुक्त आयुक्त (अपराध) मुरलीधर शर्मा ने बताया कि कोलकाता के विभिन्न इलाकों से ऐसी सूचनाएं अक्सर मिलती हैं, जिसमें पड़ोसी देशों से युवतियों को बेहतर काम के लालच में कोलकाता लाकर उनसे अवैध काम करवाया जाता था. कोलकाता से भी कई लोगों के लापता होने की शिकायतें थानों में दर्ज होती है. सूचना पाकर इस तरह की 50 से ज्यादा मानव तस्करी की शिकार युवतियों को अबतक स्वदेश भेजा जा चुका है. उन्हें सीमा पार करानेवाले तस्करों पर भी शिकंजा कसा गया है.