पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि अंडमान-निकोबार में द्वीपों का नाम बदलने का मकसद बस प्रचार या लोकप्रियता पाने का हथकंडा है, क्योंकि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने खुद ही 1943 में इन द्वीपों के नाम ‘शहीद’ और ‘स्वराज’ रखे थे. उन्होंने केंद्र पर महान स्वतंत्रता सेनानी के परिकल्पित योजना आयोग के खात्मे का भी आरोप लगाया.
मालूम रहे कि ममता बनर्जी ने कई गणमान्य अतिथियों और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिजनों के साथ यहां रेड रोड पर आयोजित कार्यक्रम में महान स्वतंत्रता सेनानी को श्रद्धांजलि दी. मौके पर दोपहर 12.15 में सायरन बजाया गया और मुख्यमंत्री ने शंख बजा कर नेताजी को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये. गौरतलब है कि अंडमान में नील और हैवलॉक द्वीपों का नाम वर्ष 2018 में केंद्र ने ‘शहीद’ द्वीप और ‘स्वराज’ द्वीप रखे थे. स्वतंत्रता सेनानी को सम्मानित करने के लिए रॉस द्वीप का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रखा गया.
ममता बनर्जी का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब नेताजी की 126वीं जयंती पर अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के 21 बड़े द्वीपों का नामकरण प्रधानमंत्री ने परमवीर-चक्र विजेताओं के नाम पर रखे हैं. बनर्जी ने आगे कहा, “आज बस लोकप्रियता पाने के लिए कुछ लोग, अंडमान के शहीद व स्वराज द्वीप के नाम उनके द्वारा रखे जाने का दावा कर रहे हैं. इन द्वीपों के नाम तो असल में नेताजी ने ही तब रखे थे, जब वह वहां सेल्युलर जेल का दौरा करने गये थे.’’
इधर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने सोमवार सुबह कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत की स्वतंत्रता के मुख्य नायक थे. लेकिन दुख की बात यह है कि किसी भी सरकार ने उन्हें वह उचित सम्मान नहीं दिया, जिसके वह हकदार हैं. सिर्फ उनके नाम का इस्तेमाल किया गया. केवल भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही नेताजी को उचित सम्मान दिया. उन्होंने कहा कि नेताजी को अगर किसी ने सम्मान दिया है, तो वह भाजपा सरकार ही है. दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही उनकी मूर्ति लगायी. नेताजी को उचित सम्मान देकर उनके आदर्शों को युवाओं के सामने लाया गया है.