बंगाल : पुलिस ने दलुआखाकी जाने से माकपा नेताओं को फिर रोका

पश्चिम बंगाल गणतांत्रिक समिति की नेता मोनालिसा सिन्हा का कहना है कि दलुआखाकी में दर्जन से ज्यादा लोगों के घरों में तोड़फोड़ व आगजनी की गयी. वे लोग बेघर हो गये हैं. बच्चों की हालत भी दयनीय है. ऐसे में पीड़ित परिवारों को मदद की सख्त जरूरत है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 20, 2023 10:05 AM

गत सोमवार को दक्षिण 24 परगना के जयनगर थाना अंतर्गत बामनगाछी ग्राम पंचायत के सदस्य व तृणमूल नेता सैफुद्दीन लश्कर की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. इसके बाद दलुआखाकी गांव के नस्करपाड़ा इलाके में कई माकपा समर्थकों के घर पर उग्र भीड़ ने हमला कर दिया था. 16 से ज्यादा घरों में तोड़फोड़ और आगजनी की गयी थी. इस घटना से अब भी लोग आतंकित हैं. वहीं, रविवार को पीड़ितों के लिए राहत सामग्री लेकर जा रहे माकपा प्रतिनिधिमंडल को पुलिस ने दलुआखाकी गांव जाने से एक बार फिर रोक दिया. उन्हें गुदामेरहाट इलाके से आगे नहीं बढ़ने दिया गया. इस बात पर माकपा नेताओं और पुलिसकर्मियों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई. माकपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी भी की. प्रतिनिधिमंडल में शामिल सायन बंद्योपाध्याय ने कहा, “हमारी पार्टी से जुड़े लोग पीड़ितों की मदद के लिए राहत सामग्री लेकर दलुआखाकी गांव जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया. उक्त जगह पर धारा 144 भी लागू नहीं है.”


लोगों के घरों में तोड़फोड़ व आगजनी करने का आरोप

पश्चिम बंगाल गणतांत्रिक समिति की नेता मोनालिसा सिन्हा का कहना है कि दलुआखाकी में दर्जन से ज्यादा लोगों के घरों में तोड़फोड़ व आगजनी की गयी. वे लोग बेघर हो गये हैं. बच्चों की हालत भी दयनीय है. ऐसे में पीड़ित परिवारों को मदद की सख्त जरूरत है. उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस सत्तारूढ़ दल की ओर से कार्य कर रही है और सिविक वालंटियरों के जरिये कानून व्यवस्था नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है. बारुईपुर के एसडीपीओ अतीश विश्वास का कहना है कि इलाके में शांति कायम रखना उनकी पहली प्राथमिकता है. यही वजह है कि केवल गांव में रहने वाले लोगों को ही आवाजाही करने दी जा रही है, बाहरी लोगों को नहीं. गौरतलब है कि गत मंगलवार को भी राहत सामग्री लेकर माकपा नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल वहां जा रहा था, लेकिन पुलिस ने उन्हें दलुआखाकी गांव पहुंचने से पहले ही रोक दिया था. माकपा नेताओं के अलावा इंडियन सेकुलर फ्रंट (आइएसएफ) और कांग्रेस के नेताओं को भी वहां नहीं जाने दिया गया था.

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