बंगाल पंचायत चुनाव : मतदान के दिन हुई हिंसा पर हाइकोर्ट ने राज्य सरकार व बीएसएफ के आइजी से मांगी रिपोर्ट
कोर्ट ने कहा कि जरूरत पड़ने पर इलाज के लिए राज्य के किसी बड़े सरकारी अस्पताल में ले जाना होगा. अगर वहां सुविधा नहीं है तो राज्य सरकार अपने खर्च पर निजी अस्पताल में इनका इलाज करायेगी. इसके अलावा अदालत ने राज्य को मृतक के अंतिम संस्कार में हर संभव सहायता प्रदान करने का आदेश दिया.
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के मतदान के दिन हिंसा की घटनाओं पर कलकत्ता हाइकोर्ट ने राज्य सरकार व बीएसएफ के आइजी से रिपोर्ट तलब की है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम व न्यायाधीश हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने राजनीतिक हिंसा की घटनाओं पर यह रिपोर्ट मांगी है. साथ ही हाइकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को घायल लोगों को अच्छी चिकित्सा सेवाएं प्रदान करनी होंगी.
घायलों को जरूरत पड़ने पर बड़े सरकारी अस्पताल में ले जायें
कोर्ट ने कहा कि जरूरत पड़ने पर इलाज के लिए राज्य के किसी बड़े सरकारी अस्पताल में ले जाना होगा. अगर वहां सुविधा नहीं है तो राज्य सरकार अपने खर्च पर निजी अस्पताल में इनका इलाज करायेगी. इसके अलावा अदालत ने राज्य को मृतक के अंतिम संस्कार में हर संभव सहायता प्रदान करने का आदेश दिया. हाइकोर्ट ने प्रत्येक शव के पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी करने का भी आदेश दिया.
मुआवजा तय करने के लिए नियुक्त होंगे नोडल अधिकारी
वहीं, पीड़ित परिवार के मुआवजे के संबंध में हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कहा कि पीड़ित परिवार के लिए मुआवजा तय करने के लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी, जो सभी परिस्थितियों की जांच कर रिपोर्ट पेश करेंगे. वह रिपोर्ट देखने के बाद ही अदालत तय करेगी कि पीड़ित परिवार को कितना मुआवजा दिया जाये.
एक महीने में 39 लोगों की मौत
गौरतलब है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य अधीर रंजन चौधरी ने सोमवार को राज्य में पंचायत चुनावों से संबंधित हिंसा के पीड़ितों को मुआवजा देने की याचिका के साथ कलकत्ता हाइकोर्ट का रुख किया. आठ जून को मतदान की तारीख की घोषणा के बाद से राज्य में चुनाव संबंधी हिंसा में कथित तौर पर 39 लोगों की मौत हो गयी है, जबकि आठ जुलाई को मतदान के दिन 20 लोग हिंसा के शिकार हुए.
चीफ जस्टिस बोले- पीड़ितों को मुआवजा दें, दोषियों के खिलाफ करें कानूनी कार्रवाई
मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य, की खंडपीठ में दायर याचिका में अधीर रंजन चौधरी ने अपील की है कि पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने के अलावा, नरसंहार के लिए जिम्मेदार लोगों की भी पहचान की जानी चाहिए और उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए. मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सोमवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया.
याचिका में अधीर रंजन ने लगाये ये आरोप
अपनी याचिका में चौधरी ने यह भी आरोप लगाया है कि जिला प्रशासन, विशेष रूप से सबसे अधिक हिंसाग्रस्त मुर्शिदाबाद जिले में, घायल व्यक्तियों को अस्पतालों में स्थानांतरित करने की व्यवस्था करने में न्यूनतम जिम्मेदारी और मानवता नहीं दिखायी. याचिका में कांग्रेस नेता ने दावा किया कि वह मृतकों के परिवार के सदस्यों के साथ-साथ मतदान के दिन हिंसा में घायल हुए लोगों की ओर से याचिका दायर कर रहे हैं.
अधीर रंजन चौधरी ने हाइकोर्ट में खुद की बहस
सोमवार को अधीर रंजन चौधरी ने अपनी ओर से वकील तैनात करने के बजाय खुद खंडपीठ के सामने बहस की. शनिवार को चुनाव संबंधी हिंसा के शिकार मुख्य रूप से निम्न और मध्यम वर्ग के लोग हुए. उन्हें यह भी नहीं पता था कि इलाज के लिए किसके पास जायें. कई घायल लोगों को अस्पताल नहीं ले जाया जा सका. मैं उनकी ओर से आज यहां उपस्थित हुआ हूं. इस बीच, पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी पहले ही मांग कर चुके हैं कि राज्य सरकार को मृतकों के परिवारों को 50 लाख रुपये और घायलों को 10 लाख रुपये की दर से मुआवजा देना चाहिए.