बंगाल : महिला पर अपने बेटे को 1.50 लाख रुपये में बेचने का आरोप, कबूला अपना कृत्य
स्थानीय व्यवसायी विनोद अग्रवाल ने बच्चे को खरीदा. इसके बदले व्यवसायी ने महिला को 1.50 लाख रुपये भी सौंप चुका था. , गृहिणी ने भी नवजात को बेचने की बात स्वीकार कर ली है. आर्थिक तंगी के कारण ये काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा. हालांकि, विनोद अग्रवाल इस बारे में चुप्पी साधे हुए हैं.
मालदा जिले से झकझोर कर रख देने वाले घटना सामने आयी है. एक महिला पर अपने ही 18 माह के बेटे को 1.5 लाख रुपया रुपये में बेचने का आरोप है. इस मामले में एक तृणमूल नेता का भी नाम जोड़ा जा रहा है. वहीं यह घटना मालदा के हरिश्चंद्रपुर थाने के पिपला गांव की है. एक तृणमूल नेता और पूर्व पंचायत सदस्य ने कथित तौर पर इस घटना में हस्तक्षेप किया. उन पर महिला के पैसे को हड़पने का आरोप लगाया गया है. स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, महिला का पति एक प्रवासी श्रमिक है. इस वक्त वह विदेश में काम कर रहा है, जो अपनी पत्नी को समय पर पैसे नहीं भेज पाता है. इसलिए महिला ने आर्थिक तंगी से निपटने के लिए अपने बेटे को बेचा. महिला का कहना है कि उसके पास पैसे की काफी कमी थी. इस वजह से वह अपने नवजात शिशु के लिए आवश्यक भोजन भी नहीं खरीद पा रही थी. इसलिए उसने यह फैसला लिया.
गांव में बुलाई बैठक में हुआ फैसला
जानकारी के अनुसार, स्थानीय व्यवसायी विनोद अग्रवाल ने बच्चे को खरीदा. इसके बदले व्यवसायी ने महिला को 1.50 लाख रुपये भी सौंप चुका था. उधर, इसकी सूचना मिलते ही गांव में हड़कंप मच गया. गांव में मध्यस्थता बैठक हुई. बैठक की अध्यक्षता बंगाल के तृणमूल नेता द्रोणाचार्य बनर्जी ने की. आरोप है कि उन्होंने नवजात शिशु को व्यवसायी से लेकर गृहिणी को लौटा दिया. लेकिन आरोप यह भी है कि द्रोणाचार्य ने महिला से डेढ़ लाख रुपये जबरन लिये. बाद में जब गांव में मध्यस्थता बैठक हुई, तो उसने बच्चा खरीदने वाले व्यवसायी को 1.20 हजार रुपये लौटाये. लेकिन उसने बाकी 30 हजार नहीं दिये. तृणमूल नेता द्रोणाचार्य ने दावा किया कि वह सिर्फ बच्चों की बिक्री रोकना चाहते थे. पैसे के बारे में कुछ नहीं जानते. उधर, गृहिणी ने भी नवजात को बेचने की बात स्वीकार कर ली है. आर्थिक तंगी के कारण ये काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा. हालांकि, विनोद अग्रवाल इस बारे में चुप्पी साधे हुए हैं.