झारखंड : गांव बसाने के लिए सारंडा में काट डाले 500 से अधिक पेड़, वन विभाग और पुलिस ने लोगों को खदेड़ा
सारंडा में जंगलराज का मामला सामने आया है. मामला सारंडा वन क्षेत्र के अंकुवा कम्पार्टमेंट संख्या-48 में जराइकेला थाना के कोलबोंगा गांव के पास का है.
सारंडा में जंगलराज का मामला सामने आया है. मामला सारंडा वन क्षेत्र के अंकुवा कम्पार्टमेंट संख्या-48 में जराइकेला थाना के कोलबोंगा गांव के पास का है. यहां गांव बसाने के लिए दर्जनभर गांव के ग्रामीणों ने एक बार फिर से करीब 20 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र में लगे बेशकीमती 500 से अधिक पेड़ों को काटकर समतल मैदान बना दिया और इस पर दो दर्जन से अधिक झोपड़ी बनाकर रह रहे थे. वन विभाग और पुलिस की टीम ने गुरुवार को संयुक्त अभियान चलाकर यहां रह रहे सैकड़ों लोगों को उनके सामान के साथ जंगल से खदेड़ दिया. इनमें मनोहरपुर, आनंदपुर, सोनुआ, गोइलकेरा, गुदड़ी, खूंटी और रनिया समेत आसपास के दर्जनों गांवों के सैकड़ों ग्रामीण शामिल हैं. ये लोग गांव बसाने की नीयत से जंगल की अंधाधुंध कटाई कर रहे थे. वन विभाग व पुलिस को सूचना मिली कि सारंडा के कोलबोंगा जंगल में सैकड़ों लोग घुसकर जंगल की कटाई कर झोपड़ी बना रहे हैं. इसके बाद गुरुवार को वन विभाग की टीम पुलिसकर्मियों के साथ जंगल पहुंची. डीएफओ अभिरुप सिन्हा, प्रशिक्षु आइएफएस नीतीश कुमार व एसडीपीओ अजीत कुजूर के नेतृत्व में काफी संख्या में वनकर्मी, पुलिस व सीआरपीएफ के जवान कोलबोंगा पहुंचे और जंगल काटने वालों को खदेड़ दिया. मौके पर 250 से अधिक लोग मौजूद थे. उन्हें पेड़ नहीं काटने की चेतावनी देकर जंगल से बाहर खदेड़ दिया गया. पुलिस ने कुल्हाड़ी, सब्बल के अलावा 19 बाइकों को भी जब्त किये हैं. विभाग वन अधिनियम के तहत कार्रवाई में जुट गया है. पिछले पांच साल में चौथी बार जंगल काटकर गांव बसाने का प्रयास किया जा रहा था.
आनंदपुर के कांडी गांव में बनायी योजना
आनंदपुर थाना के कांडी गांव में ग्रामीणों ने बैठक की और गांव बसाने की योजना बनायी. ग्रामीणों से आर्थिक सहयोग लेने के बाद ही उन्हें जंगल काटकर वहां बसने के लिए भेजा गया. ग्रामीणों ने वन विभाग और पुलिस के समक्ष पूछताछ में इसका खुलासा किया है. वन विभाग और पुलिस की टीम जब मौके पर पहुंची, तो उनके होश उड़ गये. सभी लोग झोपडीनुमा घरों में रह रहे थे. महीने भर का चावल, तेल-मसाला, सब्जी, बर्तन, सोलर लाइट, बाइक, साइकिल के साथ रह रहे थे.
Also Read: चक्रधरपुर : माता-पिता को नया घर देने का सपना रह गया अधूरा, शहीद रामदेव का शव पहुंचा पैतृक गांव
प्रत्येक गांव में वन समितियां, फिर भी नहीं रुक रही गतिविधि
ग्रामीण दर्जनों एकड़ रिजर्व वन भूमि पर लगे सैकड़ों कीमती साल, बीजा, गम्हार, महुआ, आम आदि के हरे पेड़ों को काट करोड़ों रुपये के अलावा पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं. प्रत्येक गांव में वन रक्षा, वन ग्राम समेत अन्य समितियों का गठन वन विभाग ने कर रखा है. इसके बावजूद वन विभाग को इस तरह की गतिविधियों की जानकारी नहीं मिलती है. पेड़ों की कटाई में शामिल लोग पारंपरिक हथियारों से लैस होकर राशन पानी के साथ जंगल में रह रहे थे. इन क्षेत्रों में किसी को जाने की इजाजत नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि ये ग्रामीण बार-बार कैसे जंगल की कटाई कर गांव बसाने का प्रयास करते हैं.
2019 से गांव बसाने की हुई थी शुरुआत
अवैध रूप से जंगल काट कर घर बनाने की शुरुआत वर्ष 2019- 20 में हुई थी. इन लोगों ने पहले यहां रास्ता बनाया. इसके बाद 2022 में लगभग 55 लोगों ने जंगल में पेड़ों की कटाई शुरू की. यह मामला तब पहली बार सामने आया था. उस समय भी विभाग व पुलिस ने ग्रामीणों को सख्त चेतावनी देकर भगा दिया था. इसके बाद 6 जून 2022 को इन लोगों द्वारा घुसपैठ कर अवैध झोपड़ियां बनाने की तैयारी की जा रही थी. उस समय भी वन विभाग की ओर से छापेमारी की गयी थी. लेकिन सभी लोग मौके से भाग गये थे. इसके बाद जून में ही ग्रामीणों ने घुसपैठ कर जंगल की कटाई की. इस तरह से चौथी बार ग्रामीणों ने यहां जंगल काट कर गांव बसाने की कोशिश की है.
वन विभाग मामले में आवश्यक कार्रवाई करेगा. जंगल काटने वाले औजार और 19 बाइक को जब्त किया गया है. वन अधिनियम के तहत लोगों पर आवश्यक कार्रवाई की जायेगी.
अभिरूप सिन्हा, डीएफओ
Also Read: चक्रधरपुर: गोलमुंडा फाटक के पास माइनिंग ने की छापेमारी, बालू लदे तीन ट्रैक्टर जब्त