Garuda Purana In Hindi: गरुड़ पुराण में भूत-प्रेत और आत्माओं को लेकर क्या कहा गया है, यहां जानिए
Garuda Purana In Hindi: गरुड़ पुराण हिन्दू धर्म के महत्त्वपूर्ण पुराणों में से एक है. इसमें जीवन का उद्देश्य, धर्म, कर्म, पुनर्जन्म, मोक्ष, भूत-प्रेत आदि का वर्णन किया गया है. इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि गरुड़ पुराण में भूत-प्रेत और आत्माओं को लेकर क्या कहा गया है.
Garuda Purana In Hindi: गरुड़ पुराण हिन्दू धर्म के महत्त्वपूर्ण पुराणों में से एक है. यह पुराण भगवान विष्णु के भक्त गरुड़ (एक गरुड़ रूपी पक्षी) के मुख से सुनाया गया था, इसलिए इसे गरुड़ पुराण कहा जाता है. गरुड़ पुराण का विषय विभिन्न आध्यात्मिक, दार्शनिक और सामाजिक विषयों पर है.
इसमें जीवन का उद्देश्य, धर्म, कर्म, पुनर्जन्म, मोक्ष, भूत-प्रेत, अन्तिम समय, यात्रा के स्थल, तीर्थों के महत्व, विवाह, राजधर्म, धर्मशास्त्र, आत्मा, ब्रह्मांड, और भगवान विष्णु की महत्ता आदि का वर्णन किया गया है. इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि गरुड़ पुराण में भूत-प्रेत और आत्माओं को लेकर क्या कहा गया है. आइए जानते हैं विस्तार से इसके बारे में.
गरुड़ पुराण में भूत-प्रेत और आत्माओं को लेकर क्या कहा गया है
दरअसल गरुड़ पुराण में 84 लाख योनियों का जिक्र किया गया है. इसमें पशु, पक्षी, वृक्ष, कीड़े-मकौड़े और मनुष्य आदि हैं. इस पुराण में मनुष्य योनि को सबसे श्रेष्ठ बताया गया है.
गरुड़ पुराण के अनुसार मौत के बाद आत्मा को इन्हीं योनियों में से किसी एक योनि में जन्म मिलता है. मौके के बाद आत्माओं का किस योनि में प्रवेश होगा वह उस व्यक्ति के कर्मों के आधार पर निर्धारित किया जाता है.
Also Read: Masik Shivratri 2023, PHOTOS: कब है मासिक शिवरात्रि, जानें महादेव की कृपा पाने के लिए इस दिन क्या करेंगरुड़ पुराण के अनुसार जिस व्यक्ति की मृत्यु अप्राकृतिक रूप से यानी कि डूबने से जलने से, ऊंचाई से गिरकर मरने से, आत्माहत्या, हत्या, सांप के काटने या किसी दुर्घटना आदि से होती है तो उस व्यक्ति की आत्मा प्रेत योनि में शामिल हो जाती है.
ऐसे में उस आत्मा को वायु प्रधान शरीर मिलता है. वहीं बुरे कर्म वाली आत्माएं को भी मृत्युलोक में भटकना पड़ता है. ऐसी आत्माओं को तभी शांति मिलती है जो उन्हें पिंडदान और श्राद्ध दिए जाते हैं.
Also Read: Utpanna Ekadashi 2023: उत्पन्ना एकादशी व्रत कल, यहां जानें पूजन विधि और नियमगरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि जिन लोगों की मृत्यु के बाद सही तरीके से अन्त्येष्टि संस्कार यानी अंतिम संस्कार नहीं किए जाते हैं तो उनकी आत्मा भी प्रेत योनि में भटकती रहती है.
लेकिन जब शास्त्रों के अनुसार उनका प्रेत संस्कार, दशगात्र विधान, षोडश श्राद्ध, सपिंडन विधान कर दिया जाता है तो उस आत्मा को प्रेत योनि से मुक्ती मिल जाती है.
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