Bicycle in Hindi: हम अपनी रोजाना की ज़िंदगी में बहुत से ऐसे शब्द बोलते हैं जो हिंदी के नहीं. लेकिन उन्हें बोलते हुए हमें ये अहसास नहीं होता कि हम किसी दूसरी भाषा के शब्द बोल रहे हैं. या फिर उन्हीं, दूसरी भाषा के शब्दों का पर्यायवाची हिंदी में देखें तो पता चलता है कि हमने कितनी आसानी से दूसरी भाषाओं के शब्दों को अपना लिया है. अक्सर पूछा जाता है कि साइकिल को हिंदी में कहा जाता है? बहुत से लोगों का इसका पता नहीं होगा
साइकिल की हिंदी जान लीजिए
जिस साइकिल को हम बचपन से चलाते आ रहे हैं उसे हिंदी में ‘द्विचक्र वाहिनी’ कहते हैं. दरअसल, साइकिल में दो पहिए होते हैं और इसकी वजह से इसे ‘द्विचक्र वाहिनी’ कहा जाता है. कई बार क्षेत्रीय भाषा में साइकिल को ‘पैरगाड़ी’ भी कह देते हैं क्योंकि इसे पैरों से चलाया जाता है. तमाम लोग साइकिल के हिंदी शब्दों को नहीं जानते होंगे.
साइकिल के बारे में रोचक जानकारियां
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सबसे पहले साइकिल का आविष्कार 1817 ई के अंदर ड्रेजिन ने किया था. वह खुद एक सरकारी कर्मचारी था. उस समय साइकिल के सिर्फ दो पहिये हुआ करते थे और पैड़ल नहीं थे . इसे चलाने के लिए पैरों से धक्का मारना होता था.
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यदि सबसे अधिक साइकिलों की बात करें तो यह चाइना के अंदर हैं. चाइना मे 50 करोड़ से अधिक साइकिले हैं. और यहां के लोग साइकिलों को चलाते भी हैं.
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साइकिल चलाना काफी मजेदार होता है. एक कार की तुलना मे साइकिल का मेंटेनेंस करना बहुत ही आसान होता है. यह लगभग 30 गुना तक सस्ता होता है.
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जापान एक ऐसा देश है जहां पर साइकिल के लिए अलग से स्पेसल प्रकार का पार्किंग सिस्टम लगा हुआ है और लोगों को यह अच्छा खासा पसंद भी आता है.
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एक साइकिल को पार्क करना बहुत ही आसान होता है. आप उसे कहीं पर भी आसानी से पार्क कर सकते हो और ट्रेफिक पुलिस भी इस पर कुछ ज्यादा ध्यान नहीं देती है. जबकि एक बार को पार्क करने पर वह अकेली 20 साइकिलों की जगह आसानी से घेर लेती है.
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समाज सुधारक सुमान बी ने एक बार यह कहा था कि साइकिल के आविष्कार ने महिलाओं को मुक्ति दिलाने का काम भी किया है. उसने साइकिल को स्वतंत्रता की मशीन के नाम से संबोधित किया था.
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1900 ई के अंदर साइकिल की 6 दिन वाली रेस सबसे प्रिय थी.इसमे विजय वह होता था जो लगातार साइकिल पर चलता रहता था. हालांकि इस दौरान प्रतियोगियों को नींद भी काफी अधिक परेशान करती थी.
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आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कई देशों के अंदर पक्की सड़के कारों की वजह से नहीं वरन साइकिल की वजह से बनी थी.
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हंस और मारग्रेट रे सन 1940 ई के अंदर साइकिल की मदद से पेरिस भाग गए थे . यह लोग भागते वक्त अपने साथ एक पांडुलिपी लेकर गए थे . जिसको बाद मे उन्होंने न्यूर्याक के अंदर प्रकाशित करवाया था.
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मैकिनक द्वीप पर M-185 अमेरिका मे एक मात्र ऐसा मार्ग है जहां पर कार या बाइक को जाने की अनुमती नहीं है. यहां बस साइकिल या पैदल जाया जा सकता है.