नई दिल्ली : गाड़ी चलाने के समय क्लच की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. कार चलाने के लिए मोटर ट्रेनिंग देने वाले ट्रेनर प्रशिक्षुओं को सबसे पहले एक्सीलेटर उसके बाद क्लच लेकर गियर बदलने का आदेश देते हैं. कई बार ये ट्रेनर ये भी कहते हुए पाए जाते हैं कि हाफ क्लच लेंगे, तभी आपकी गाड़ी आगे बढ़ेगी. सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर हाफ क्लच ड्राइिवंग क्या है? हाफ क्लच ड्राइविंग का फायदा और नुकसान क्या है? आइए, जानते हैं इन सवालों का जवाब…
हाफ क्लच ड्राइविंग क्या है
आपको बता दें कि गाड़ी चलाते समय हाफ क्लच का इस्तेमाल पहाड़ी सड़कों, घाटी अथवा ऊंचाई पर चढ़ने के दौरान किया जाता है. आम तौर पर समतल या सपाट सड़कों पर हाफ क्लच का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. ऊंचाई पर जाती हुई गाड़ी में हाफ क्लच लेने से स्पीड बैलेंस में रहती है. गाड़ी चलाने के लिए ट्रेनिंग देने वाले मोटर ट्रेनर कभी भी ढलान या समतल सड़क पर ड्राइवर को हाफ क्लच लेने की सलाह नहीं देते हैं. ढलान वाली या समतल सड़क पर गाड़ी चलाते समय हाफ क्लच लेने पर आपकी गाड़ी वाइब्रेट करने लगती है.
हाफ क्लच ड्राइविंक का क्या है नफा-नुकसान
वहीं, अगर आप रोजाना की दिनचर्या में कार या किसी गाड़ी को चलाते समय हाफ क्लच का इस्तेमाल करते हैं, तो आपकी गाड़ी के इंजन पर बेमतलब का दबाव बढ़ेगा. ऐसा करने से क्लच प्लेट की लाइफ भी कम हो जाती है. हाफ क्लच लेकर गाड़ी ड्राइव करने का सबसे अधिक फायदा पहाड़ी सड़कों पर चढ़ाई के वक्त होता है. ढलान पर इसका इस्तेमाल करने से गाड़ी की स्पीड अनियंत्रित होने की आशंका अधिक रहती है और ऐसा करने पर गाड़ी सड़क से लुढ़क भी सकती है.
क्या होता है क्रॉस शॉफ्ट
ट्रांसमिशन के अंदर एक लीवर होता है, जिसे क्रॉस शाफ्ट के नाम से जाना जाता है. इसका काम क्लच पैडल पर डाले गए दबाव को ट्रांसफर करना होता है. जब क्रॉस शाफ्ट खराब हो जाता है, तो इससे पैडल को नीचे धकेलने में परेशानी हो सकती है. इस कारण आपको क्लच प्रेस करने में दिक्कत आती है. क्रॉस शाफ्ट अधिकतर समय क्लच पैडल पर पैर रखकर कार चलाने की बुरी आदतों के कारण खराब होते हैं.
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