Q शनि हमेशा हानि ही करता है या लाभ भी देता है?
– विजय रजक, जमुई
लाभ या हानि की पटकथा ग्रह नहीं, हमारे कर्म लिखते हैं. ज्योतिष में शनि को न्यायाधीश माना गया है. यदि शनि कुंडली में तृतीय, षष्ठ और एकादश भाव में आसीन हों, तो शनि अपनी दशा में हानि नहीं, लाभ का कारक बन जाता है. तब शनि से संबंधित कर्म अपार धन, संपत्ति व सफलता का सबब बनते हैं.
Q अमीर बनने की सही उपासना कौन-सी है?
– प्रतीक त्यागी, गया
अपनी क्षमता में सदैव इजाफे के प्रयास, मीठी वाणी और मधुर व्यवहार के साथ सही दिशा में निरंतर उचित कर्म ही समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करते हैं. इस जन्म की समृद्धि के कारण पूर्व जन्मों के कर्मों में छिपे होते हैं और इस जन्म में किये गये कर्म का फल आगे के जन्मों में मिलेगा, ऐसा अध्यात्म मानता है. ज्योतिष के अनुसार भाग्येश, कर्मेश, लग्नेश, धनेश और प्रथमेश की उपासना धन प्रदायक होती है. तंत्रशास्त्र यक्ष यक्षिणी की उपासना के साथ अपने इष्ट की उपासना को धन प्रदायक मानता है. लक्ष्मी व कुबेर यक्षिणी व यक्ष हैं. रात्रि में पश्चिमाभिमुख होकर लक्ष्मी की उपासना धन प्रदायक मानी जाती है. लाल किताब मीठी वस्तुओं के वितरण को यश और समृद्धि का कारक मानता है. बिल्व के वृक्ष के नीचे शृंगार व ऐश्वर्य के मंत्रों का जाप भी धन प्रदान करता है, ऐसा तंत्र के सूत्र कहते हैं.
Q क्या मकर राशि के लोग गैर जिम्मेदार होते हैं?
– सोनी कुमारी, राउरकेला
नहीं, मकर राशि के लोग जिम्मेदार लोगों में शुमार होते हैं. ये अच्छे मैनेजर माने जाते हैं. ये लोग बेहद महत्वाकांक्षी, अनुशासित, निडर और वक्त के पाबंद होते हैं. स्वभाव से ये दृढ़ और उग्र होते हैं. किसी बंधन में ये घुटन महसूस करते हैं. दब कर रहना इन्हें पसंद नहीं होता. इन्हें ऐसा बोध होता है कि ये काफी कुछ जानते हैं. इन्हें निराशा बहुत जल्दी घेर लेती है. इन्हें प्रकृति से बहुत लगाव होता है. अतार्किक बातें इन्हें स्वीकार नहीं होतीं. संगीत और कला के प्रति इनका स्वाभाविक रुझान होता है.
Q मुझे सरकारी पद मिलेगा? जन्म-11.05.1993, समय-शाम 07.36, स्थान-दरभंगा.
– सुबोध कुमार सिंह, दरभंगा
आपकी राशि धनु और लग्न मिथुन है. लाभ भाव में सूर्य और बुध की युति जहां बुद्धादित्य योग निर्मित कर रही हैं, वहीं कर्मेश वृहस्पति लाभ भाव में विराजमान हैं. इसके साथ पंचमेश व व्ययेश शुक्र कर्म भाव में आसीन हैं. विधाता का संकेत है कि यदि आप पूरी क्षमता और संकल्प राशि से प्रयास करें, तो अवश्य प्रशासनिक पद पर विराजमान हो सकते हैं.
शनि फेफड़े, त्वचा, जोड़ों और मांसपेशियों पर सीधा असर डालते हैं. इसलिए शनि की साढ़ेसाती और अढ़ैया में धूम्रपान, तंबाकू आदि नशा समस्या को बढ़ाता है. मान्यताओं के अनुसार, हनुमान चालीसा का सस्वर पाठ फेफड़ों को बल देता है. शनिजनित कष्ट में हनुमान चालीसा व सुंदरकांड के पाठ को बेहद असरदार माना गया है. शनि के प्रभाव में आनेवाले वालों को प्राणायाम, योगासन, कसरत करने चाहिए. दूध व नीम के पत्तों का सेवन भी लाभप्रद.
शहद का सेवन मंगल दोष निवारण में महती भूमिका निभाता है. पीपल के पत्ते पर काजल रखकर भूमि प्रवाह करने से शनि जनित कष्ट कम होते हैं, ऐसा मान्यताएं कहती हैं. सकारात्मक कर्मों का कोई विकल्प नहीं.
सद्गुरुश्री
स्वामी आनंद जी
Posted By: Sumit Kumar Verma