Shattila Ekadashi 2023: षटतिला एकादशी कब है? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Shattila Ekadashi 2023: षटतिला एकादशी 18 जनवरी को मनाया जाएगा. इस एकादशी पर तिल का बेहद खास महत्व माना गया है. इस दिन भगवान श्री विष्णु जी का पूजन किया जाता है, और तिल के पानी में नहाने, तिलों का दान व तिल से हवन और तर्पण आदि करने का विशेष महत्व माना गया है.

By Bimla Kumari | January 10, 2023 1:07 PM

Shattila Ekadashi 2023: षटतिला एकादशी 18 जनवरी को मनाया जाएगा. इस एकादशी पर तिल का बेहद खास महत्व माना गया है. इस दिन भगवान श्री विष्णु जी का पूजन किया जाता है, और तिल के पानी में नहाने, तिलों का दान व तिल से हवन और तर्पण आदि करने का विशेष महत्व माना गया है. ज्योतिष के अनुसार इस दिन विधि विधान से भगवान विष्णु जी की पूजा और मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. आइये जानते हैं षटतिला एकादशी के मंत्र, पूजा विधि, व्रत कथा के बारे में सबकुछ…

Shattila Ekadashi 2023: षटतिला एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 17 जनवरी 2023 यानी मंगलवार शाम 6 बजकर 5 मिनट से शुरू हो रही है. ये अगले दिन 18 जनवरी 2023 को बुधवार शाम 4 बजकर 3 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदया तिथि को देखते हुए 18 जनवरी 2023 को षटतिला एकादशी का की पूजा होगी.

Shattila Ekadashi 2023: षटतिला एकादशी का पारण का समय

षटतिला एकादशी का पारण 19 जनवरी 2023 सूर्यास्त के वक्त शुरू होगा.

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Shattila Ekadashi 2023: षटतिला एकादशी व्रत का महत्व

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, षटतिला एकादशी के व्रत रखने से घर में सुख-शांति का वास होता है. इस दिन तिल का विभिन्न तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे घर के परिवार हर कष्ट से छुटकारा पाते हैं. इस व्रत को करने से जातक पर श्री हरि विष्णु की हमेशा कृपा बनी रहती है.

Shattila Ekadashi 2023: षटतिला एकादशी व्रत पूजा विधि

1. इस दिन व्रती को सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान करना चाहिए.

2. इसके बाद पूजा स्थल को साफ करना चाहिए, अब भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण की मूर्ति, प्रतिमा या उनके चित्र को स्थापित करना चाहिए.

3. भक्तों को विधि-विधान से पूजा अर्चना करनी चाहिए.

4. पूजा के दौरान भगवान कृष्ण के भजन और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए.

5. प्रसाद, तुलसी जल, फल, नारियल, अगरबत्ती और फूल देवताओं को अर्पित करने चाहिए.

6. अगली सुबह यानि द्वादशी पर पूजा के बाद भोजन का सेवन करने के बाद षट्तिला एकादशी व्रत का पारण करना चाहिए.

इन मंत्रों का करें जाप

1- ॐ नारायणाय नम:

2- ॐ विष्णवे नम:

3- ॐ हूं विष्णवे नम:

4- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:

5- ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्

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